केरल में कांग्रेस अंतरकलह के कारण राज्य की सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी ने शनिवार को यहां यह बात कही। पार्टी के निर्वाचित प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित करते हुए एंटनी ने कहा, "पार्टी के अंदर का झगड़ा कभी खत्म नहीं होने के कारण हम सत्ता को बरकरार रख पाने में नाकाम रहे। बैठकें करने और फोटो खींचने का कोई मतलब नहीं है। पार्टी में युवाओं और महिलाओं को अधिक अवसर दिया जाना चाहिए। यह समय पीढ़ी के बदलाव का है।"
वर्ष 2016 के मई में हुए विधानसभा चुनाव में ओमन चांडी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार फिर सत्ता में बने रहने को लेकर बहुत ज्यादा आश्वस्त थी, लेकिन जब मतों की गिनती हुई तो वह शर्मनाक ढंग से हारी। 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में वह मात्र 47 सीटों पर सिमट गई। इससे पहले इस माह पार्टी को तब एक जबर्दस्त झटका लगा जब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का तीसरा सबसे बड़ा घटक केरल कांग्रेस ( मानी) इससे अलग हो गया। छह विधायकों वाली यह पार्टी 1982 से ही यूडीएफ में थी।
एंटनी ने कहा, "समय की मांग है कि यह देखें कि जो छोड़ गए उन्हें वापस लाया जाए। यह तब तक नहीं होने जा रहा है जब तक कांग्रेस पार्टी में झगड़ा नहीं रुकता।"एंटनी ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वी. एम. सुधीरन के नेतृत्व को बदलने के लिए हर तरफ से मांग की जा रही है। पार्टी के बहुत सारे लोगों का कहना है कि इस पद के लिए सुधीरन सही पसंद नहीं हैं। चांडी और तत्कालीन गृहमंत्री रमेश चेन्निथला जैसे नेताओं की इच्छा के विरुद्ध वर्ष 2014 में राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी पर थोपा था। चेन्निथला पार्टी में अभी विद्रोही गुट का नेतृत्व कर रहे हैं।