जम्मू एवं कश्मीर के बीमार वयोवृद्ध अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार को कहा कि हुर्रियत कांफ्रेस उनकी मौत के बाद ही उनका उत्तराधिकारी घोषित करेगी। अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा करने संबंधी अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने कहा, "तहरीक-ए-हुर्रियत के पदाधिकारी मेरी मौत के बाद ही उत्तराधिकारी के नाम पर फैसला लेंगे।"मीडिया में रविवार को खबरें आई थीं कि गिलानी वरिष्ठ अलगाववादी नेता हुर्रियत कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष अशरफ सेहराई को अपना उत्ताधिकारी घोषित कर सकते हैं।
वर्ष 1990 में जम्मू एवं कश्मीर में अलगाववादी अभियान शुरू होने के समय से ही गिलानी (86) की हुर्रियत कांफरेंस में महत्वूपर्ण भूमिका रही है। 2003 से वह हुर्रियत के अपने उस धड़े के अध्यक्ष रहे हैं जिसे कट्टरपंथी माना जाता है।तीन बार विधायक रह चुके गिलानी 2006 में जब जेल में थे तब पता चला था कि उन्हें गुर्दे का कैंसर है। इसी साल मार्च में नई दिल्ली में उन्हें हल्का दिल का दौरा भी पड़ा था।गिलानी 2008 से ज्यादातर श्रीनगर में घर में नजरबंद रहे हैं। वह अलगाववादी आंदोलन में बेहद सक्रिय रहे हैं और जम्मू एवं कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करने के पक्षधर हैं।