केंद्रीय कानून मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम ने जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व किया, क्योंकि लोकसभा एवं राज्यसभा के 100 फीसदी सदस्यों ने इसे समर्थन दिया। गौड़ा की ओर से यह बयान शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एनजेएसी अधिनियम को रद्द करने और उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति व स्थानांतरण से संबंधित पुरानी कॉलेजियम प्रणाली बहाल करने के फैसले के बाद आया।
शीर्ष अदालत ने संविधान के 99वें संशोधन और एनजेएसी अधिनियम को 'असंवैधानिक' करार दिया है। गौड़ा ने संवाददाताओं से कहा, "जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व संसद के माध्यम से किया जाता है। हमने जन इच्छा का सम्मान किया। राज्यसभा एवं लोकसभा के 100 फीसदी सदस्यों ने इसे समर्थन दिया।"कानून मंत्री ने कहा कि वह फिलहाल इस फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने अभी न्यायालय का निर्णय पूरी तरह नहीं पढ़ा है।उन्होंने कहा, "जहां तक इस फैसले का सवाल है, तो मैं अभी इस पर कोई बयान नहीं दे सकता, क्योंकि मैं अभी न्यायालय के निर्णय से पूरी तरह अवगत नहीं हूं। हमें इस बारे में विस्तृत जानकारी लेगी होगी।"