गांव पनिहारी के निवासियों के सामुहिक प्रयासों ने यह साबित कर दिया कि सरकारी सहायता के बिना भी सार्वजनिक कार्यों को मिलजूल कर पूरा किया जा सकता है। सिरसा मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर स्थित गांव पनिहारी के लोगों को आजादी के बाद से ही गांव को रोडी, कालांवाली, अलीकां सहित सीमावर्ती राज्य पंजाब के अनेक क्षेत्रों में जाने के लिए उन्हें घग्गर नाली को पार करना पड़ता था। यही नहीं स्कूल के छात्र-छात्राएं भी नाव के जरिए घग्गर पार कर स्कूल जाने को मजबूर थे। पिछले दिनों घटी एक घटना में जब दो बच्चें डूब गए तो गांववासियों ने सरकारी सहायता के लिए नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों के चक्कर काटने की बजाए, स्वयं चंदा एकत्रित कर यहां पर पुल बनाने का निर्णय लिया। इससे पहले गांववासियों ने पिछले 50 वर्षों में अनेक नेताओं और अधिकारियों को इस अति आवश्यक पुल को बनाने की गुहार लगाई थी। परंतु उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने स्वयं चंदा इका कर व श्रमदान कर एक करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस पुल का निर्माण गत वर्ष बैसाखी के दिन आरंभ किया।
गांव पनिहारी के सरपंच मंजिंद्र का कहना है कि सरकारी सहायता की आस छोड़कर लोगों ने स्वयं ही पुल निर्मित करने का निर्णय लिया और इसके लिए 90 लाख रुपए एकत्रित किए। जिसमें हरियाणा के पूर्व गृहराज्य मंत्री गोपाल कांडा ने अपने निजी कोष से 5 लाख 51 हजार रुपए और सांसद चरणजीत सिंह रोडी ने 1 लाख रुपए प्रदान किए।वहीं गांव के युवा जीवन सिंह का कहना है कि इस पुल को आगामी दो-तीन दिन के बाद आरंभ कर देंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने एक हजार रुपए अपनी प्रति एकड़ जमीन के हिसाब से पुल निर्माण के लिए दिए। यहां तक की कई लोगों ने अपनी वृद्धावस्था पेंशन की राशी भी भेंट की। उन्होंने कहा कि उनका गांव कालांवाली हल्का में आता है फिर भी सिरसा के पूर्व विधायक गोपाल कांडा ने 5 लाख 51 हजार रुपए भेंट किए तथा उस वक्त यहां के विधायक और वर्तमान सांसद चरणजीत सिंह रोडी ने 1 लाख रुपए देकर सहायता की। इस पुल के निर्माण से गांव के लोगों को अन्य गांवो में जाने के लिए अब 22 किलोमीटर की बजाए 8 किलोमीटर का रास्ता ही तय करना पड़ेगा। क्योंकि घग्गर में अधिक पानी होने के कारण उन्हें अपने खेतों, स्कूल आदि जाने के लिए सड़क मार्ग से लंबा रास्ता तय करना पड़ता था।