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कृषि जिन्‍सों की बर्बादी

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5 दरिया न्यूज

नई दिल्ली , 25 Nov 2014

कृषि मंत्रालय राज्‍य सरकारों और भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के सहयोग से देश में मौसम से संबंधित हालातों, बुवाई की प्रगति, फसलों की सेहत इत्‍यादि पर नियमित रूप से करीबी नजर रखता है। एक अंतर-मंत्रालय फसल मौसम निगरानी समूह (सीडब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूजी) की बैठक हर हफ्ते होती है जिस दौरान देश में मौसम एवं वर्षा के रुख (पैटर्न), फसलों की दशा, जल संग्रहण और कच्‍चे माल की उपलब्‍धता की समीक्षा की जाती है। इसके अलावा राज्‍यों के साथ हर सप्‍ताह वीडियो कांफ्रेंसिंग भी की जाती है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर राज्‍यों की तैयारी के बारे में आरम्भिक जानकारी ली जा सके और जरूरत पड़ने पर राज्‍यों को समुचित सलाह दी जा सके। यह जानकारी कृषि राज्‍य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्तर में दी।

केन्‍द्रीय शुष्‍क भूमि कृषि शोध संस्‍थान (क्रिडा) ने राज्‍यों के कृषि विश्‍वविद्यालयों के सहयोग से देश के 576 जिलों के लिए आकस्मिक योजनाएं तैयार की हैं ताकि सूखा, बाढ़ इत्‍यादि की स्थिति में कृषि उत्‍पादन को लगातार बनाये रखने के लिए स्‍थान विशेष से जुड़े ठोस कदम उठाये जा सकें। भारतीय कृषि शोध परिषद (आईसीएआर) ने मौसम अनुरूप कृषि पर राष्‍ट्रीय पहल (एनआईसीआरए) नामक एक नेटवर्क परियोजना शुरू की है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य रणनीतिक शोध, तकनीकी प्रदर्शन, क्षमता सृजन इत्‍यादि के जरिये मौसम में आने वाले बदलाव और मौसम की मार पड़ने की स्थिति में भारतीय कृषि का लचीलापन बढ़ाना है। मंत्रालय ने वर्ष 2012 के खरीफ सीजन से देश में तकरीबन वास्‍तविक समय में ही सूखे के असर का आकलन करना शुरू किया है। इस आकलन से राज्‍य/जिला/उप-जिला स्‍तर पर सूखे के फैलाव, विकट हालात और इसकी निरंतरता पर सूचनाएं हासिल होती हैं। 

अधिसूचित प्राकृतिक आपदा की नौबत आने पर राज्‍य सरकारों को राज्‍य आपदा कार्रवाई कोष (एसडीआरएफ) से आवश्‍यक राहत कार्य शुरू करने का अधिकार दिया गया है। यह कोष जरूरत पड़ने पर उन्‍हें तत्‍काल उपलब्‍ध करा दिया जाता है। राज्‍य सरकारों से राहत संबंधी ज्ञापन मिलने पर एसडीआरएफ के अलावा एनडीआरएफ से अतिरिक्‍त वित्तीय सहायता तय नियमों एवं प्रक्रियाओं के तहत मुहैया कराई जाती है। अनेक वित्त आयोगों के फैसले के बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के तहत वस्‍तुओं की सूची और सहायता के मानकों में संशोधन की समीक्षा सामान्‍य तौर पर की जाती है। महंगाई समेत अनेक कारकों को ध्‍यान में रखते हुए सरकार समय-समय पर एसडीआरएफ/एनडीआरएफ के तहत वस्‍तुओं की सूची और सहायता मानकों में संशोधन करती रही है। इस तरह का संशोधन इससे पहले 28 नवम्‍बर, 2013 को हुआ था। 

अन्‍य बातों के साथ मात्रा मानकों के तहत अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं के कारण सभी तरह की कृषि एवं बागवानी फसलों को हुये नुकसान के लिए किसानों को कृषि कच्‍चा माल सब्सिडी (जहां फसल नुकसान 50 फीसदी या उससे ज्‍यादा है) के रूप में सहायता दी जाती है। सहायता का स्‍तर वर्षा आधारित फसलों के लिए प्रति हेक्‍टेयर 4500 रुपये और निश्चित सिंचाई वाली फसलों के लिए प्रति हेक्‍टेयर 9000 रुपये है। इसके तहत न्‍यूनतम सहायता राशि 750 रुपये है और यह केवल बुवाई वाले क्षेत्रों तक ही सीमित है। वहीं, सभी तरह की बारहमासी फसलों के लिए सहायता का स्‍तर प्रति हेक्‍टेयर 12000 रुपये है। इसके तहत न्‍यूनतम सहायता राशि 1500 रुपये है और यह केवल बुवाई वाले क्षेत्रों तक सीमित है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ से वित्तीय सहायता तात्‍कालिक राहत के रूप में दी जाती है और इसे फसलों को हुए नुकसान के लिए मुआवजा नहीं माना जाना चाहिए। मौसम आधारित फसल बीमा योजना और राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत किसान मुआवजा पाने के हकदार हैं। 

 

 

Tags: Dr Sanjeev Kumar Balyan

 

 

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