रयात बाहरा यूनीवरसिटी सकूल आफ़ ऐगरीकलचर साईंसज़ और यूनीवरसिटी के एनएसएस यूनिट की ओर से अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के सबंध में एन आर आरगैनिकस, मोहाली के संस्थापक गुर रजनीश द्रारा वरमी-कपोसट पर एकवर्कशाप का आयोजन किया गया।
इस दौरान माहिर गुर रजनीश ने वेस्ट मटीरियल के प्रयोग और वरमी कपोसटिंग की त्यारी बारे चर्चा की॥
उन्होंने वरमी कपोसटिंग, वरमीवाश और वरमीकल्चर जैसी प्रक्रियाओं में प्रयोग की जाने वाली तकनीक पेश की। वरमी कपोसटिंग एक कुदरती प्रक्रिया है, जिसमें कीड़े कठोर ढांचे के साथ अवशेष को खाद में बदलते हैं। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को एकाएक समझाया। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में पैदा की गई खाद को पौद्यों के विकास को बढाने के लिए एक कुदरती खाद के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है॥
आम तौर पर पशुओं का गोबर ज़्यादातर गाय का गोबर और सूखी काटी हुई फसलों के अवशेष इस के लिए मुय कच्चा माल है। इस से पहले ऐगरीकलचर विभाग की मुखी डा. अमिता महाजन ने आए महमानों का स्वागत किया और माहिर बुलारोंे की जान-पहचान करवाई। इस सैशन की समाप्ती रयात बाहरा यूनीवरसिटी के सहायक प्रोफैसर डा. गीता पांडे और प्रो.ए.एस.चाहल आरबीयू के एनएसएस कोआरडीनेटर के धन्वादी संबोधन के साथ हुई॥