एक कहावत है मानों तो मैं गंगा हूं, और ना मानों तो बहता पानी। ठीक ऐसे ही अगर आपकी भगवान में श्रद्धा है तो वो आपको जरूर किसी न किसी रूप में मदद करेंगे, या हो सकता है आप साक्षात उनके चमत्कार को देख पाएं। देवों के देव महादेव की महिमा अपरम्पार है, उनकी सर्वोच्च शक्तियों की वजह से न केवल शैतान बल्कि अन्य देव भी डरते हैं। पूरे साल भगवान महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है और यही कारण है कि आपको देश के हर कोने में उनके मंदिर मिल जाएंगे। देश में ज्यादातर मंदिर नए हैं, लेकिन कुछ मंदिर का अपना प्राचीन इतिहास है।
उन्हीं पुराने मंदिरों में भगवान शिव का एक मंदिर है, जिसका निर्माण 12 वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां की सीढ़ियों से संगीत की धुन निकलती है, जिस वजह से ये मंदिर अन्य मंदिरों से काफी अलग है।
इस मंदिर का नाम Airavatesvara Temple है, जो दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम के पास 3 किमी की दूरी पर स्थित है। ये मंदिर शिव भगवान को समर्पित है, जिसे 12 वी शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि ये प्राचीन बास्तुक्ला के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिर की आकृति और अंदर बनी मंदिर की डिजाइनिंग लोगों को काफी आकर्षित करती है। अगर इसके इतिहास पर गौर करे तो इसे राजा राज चोल द्वितीय ने बनवाया था।
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इस मंदिर में भगवान शिव को ऐरावतेश्वर के नाम से भी पूजा जाता है, क्योंकि ऐसा मानते हैं कि यहां इंद्र देव के सफेद हाथी ऐरावत ने महादेव की पूजा की थी। हाथी के नाम पर ही इस मंदिर का नाम ऐरावतेश्वर रखा गया है। भगवान शिव का ये मंदिर कला और वास्तुकला से घिरा हुआ है, जहां आपको शानदार पत्थर की नक्काशी देखने को मिल जाएगी। माना जाता है कि मंदिर को द्रविड़ शैली में भी बनाया गया था।
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प्राचीन मंदिर में आपको रथ की संरचना भी दिख जाएगी और वैदिक और पौराणिक देवता जैसे इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, सूर्य, विष्णु, सप्तमत्रिक, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, यमुना जैसे भगवान यहां शामिल हैं। समय के साथ आपको मंदिर के कई हिस्से टूटे हुए दिखाई देंगे। बाकि कुछ हिस्से आज भी उसी मजबूती के साथ खड़े हैं। एक खास चीज जो इस मंदिर को बेहद दिलचस्प और एकदम खास बनाती है, वो यहां की सीढ़ियां।
मंदिर के एंट्री वाले द्वार पर एक पत्थर की सीढ़ी बनी हुई है, जिसके हर कदम पर अलग-अलग ध्वनि निकलती है। इन सीढ़ियों के माध्यम से आप आप संगीत के सातों सुर सुन सकते हैं। इसके लिए आपको लकड़ी या पत्थर से ऊपर से लेकर नीचे तक रगड़ना पड़ेगा। किसी चीज टकराने से सीढ़ी से संगीत के स्वर निकलते हैं। वैसे आपको कुछ रगड़ने की जरूरत नहीं है, आप सीढ़ियों पर चलेंगे तब भी आपको धुन सुनने को मिल जाएंगी।