Parwanoo Timber Trail: हिमाचल प्रदेश के परवाणू में रोपवे (केबल कार) ख़राब होने की वहज से 11 टूरिस्ट की जान हवा में अटक गई हलांकि इस लोगों की जान बचाने के लिए रेस्क्यू टीम ने दूसरी केबल कार भेजी और एक व्यक्ति का रेस्क्यू कर लिया Timber Trail (cable-car) में आई दिक्कत की वजह से हवा में 11 जाने अटक गई थीं। तकनीकी टीम जल्द से जल्द केबल कार (cable-car) को ठीक करने कि कोशिश में हैं इस मौके पर वहाँ पुलिस भी अपना पूरा ध्यान इस स्थिति पर बनाए हुए है खबर है की रोपवे में फंसे हुए लोग 5 परिवारों के 10 मेंबर हैं हलांकि टीम ने 10 लोगों को बचा लिया है जिसमें से 5 महिलाएं और 5 पुरुष हैं।
एसपी सोलन वीरेंद्र शर्मा ने बताया की करीब 1:30 बजे परवाणू के टीटीआर में तकनीकी दिक्कत आने के कारण केबल कार बीच मे अटकी गई। केबल कार में फंसे पर्यटकों ने बताया है कि वे लोग रिजॉर्ट जा रहे थे तकनीकी दिक्कत आने के कारण यहां पर टिंबर ट्रेल फंस चुकी है,उनका कहना है कहा कि रेस्क्यू ट्रॉली के माध्यम से उन्हें नीचे उतारने का प्रयास किया जा रहा है।
सीएम जयराम मौके के लिए रवाना
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सोलन के परवाणू टिंबर ट्रेल में फंसे पर्यटकों का रेस्क्यू अभियान जारी है। घटना की जानकारी मिलते ही मैं खुद मौके पर जा रहा हूं। प्रशासन मौके पर है। एनडीआरएफ व प्रशासन की मदद से जल्द सभी यात्रियों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया जाएगा।
पहले भी देखा गया है ऐसा मामला
ये पहली बार का मामला नहीं है इससे पहले भी इस तरह की घटना 13 अक्टूबर 1992 में सामने आ चुकी है उस समय भी लगभग दिल्ली वह पंजाब के 10 लोगों की जाने तीन दिनों तक हवा में अटक गई थी और एक व्यक्ति की जान भी चली गई थी।
उस दौरान यात्रियों की जान बचाने के लिए आर्मी व एयर फोर्स के जवानों ने हवा में अटकी लोगों की जनों को बचा लिया था। जिसके बाद यह खबर सब जगह आग की तरह फैल गई थी।
ट्रॉली अटेंडेंट ने गवाई थी जान
11 अक्टूबर, 1992 को कालका-शिमला नेशन हाइवे पर स्थित परवाणू के समीप बने टिबर ट्रेल रिजोर्ट में चलने वाली रोपवे ट्रॉली में पर्यटक बैठकर जा रहे थे तो सैकडों फुट की ऊंचाई पर ट्रॉली अचानक एक झटके के साथ रुक गई। अंदर बैठे लोगों समेत ही ट्रॉली तार पर पैंडूलम की तरह हिलने लगी।
जिसके बाद ट्रॉली न आगे बढ़ी न ही पीछे हट पाई। जानकारी के अनुसार ट्रॉली में अटेंडेंट समेत 12 लोग मौजूद थे, जिसमें एक छोटा बच्चा भी शामिल था। इसी दौरान ट्राली अटेंडेंट गुलाम हुसैन ने जान बचाने के लिए छलांग लगा दी थी जिस कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं दरवाजा बंद होने से पहले ही एक व्यक्ति गिर गया था, जिसमें उसको चोटें आई थीं।
इस घटना में लोगों की जान बचाने के लिए 3 दिन लग गए थे जिसके लिए स्पेशल कमांडो दस्ते को बुलाया गया था।13 अक्टूबर को इस दस्ते के मेजर क्रैस्टो अपने हेलीकॉप्टर के साथ ठीक ट्राली के ऊपर पहुंचे और एक रस्सी की सहायता से छत पर उतरे। एक-एक करके सभी को रस्सी की सहायता से हेलीकॉप्टर तक पहुंचाकर वहां से सुरक्षित बाहर निकाला गया। बचाव अभियान में शामिल तत्कालीन मेजर इवान जोसेफ क्रैस्टो, ग्रुप कैप्टन फली होमी, विग कमांडर सुभाष चंद्र, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पी उपाध्याय को सम्मानित भी किया गया था।