पिछले दो सालों में कोविड-19 के प्रकोप के कारण छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए, उन्हें वोकेशनल स्किल ट्रेनिंग तथा उच्च शिक्षा हेतु मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से चंडीगढ़ वेलफेयर ट्रस्ट ने आज 'शिक्षित शहर-विकसित शहर' के बैनर तले एक विशेष अभियान शुरू किया।ॾयह अभियान आज सेक्टर-38 वेस्ट स्थित गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल (दादुमाजरा कॉलोनी) में एजुकेशन डिपार्टमेंट, चंडीगढ़ के सहयोग से शुरू किया गया।
अभियान के उद्घाटन पर चंडीगढ़ वेलफेयर ट्रस्ट के चीफ पैट्रन स. सतनाम सिंह संधू और स्कूल के प्रिंसिपल श्री बिनॉय कुमार भट्टाचार्य विशेष तौर पर उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ वेलफेयर ट्रस्ट इस अभियान के तहत स्वयंसेवी शिक्षकों के सहयोग से ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों को कैमिस्ट्री, मैथ, फिजिक्स, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, पॉलिटिकल साइंस, इंग्लिश और जियोग्राफी में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेगा।
इसके अलावा 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को गणित, सोशल साइंस, हिंदी, इंग्लिश आदि की शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस बारे में बात करते हुए चंडीगढ़ वेलफेयर ट्रस्ट के चीफ पैट्रन स. सतनाम सिंह संधू ने कहा कि एजुकेशन सेक्टर कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है, ऐसे में शिक्षा व्यवस्था के लिए की जा रही आगामी नीतियों और विभिन्न आयामों में हम सभी की भागीदारी महत्त्वपूर्ण बदलाव की जनक बन सकती है।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर कई कामकाजी अभिभावकों की नौकरियां खोने की वजह से उनके बच्चों के स्कूल छूट गए, वहीं जरूरतमंद बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थता का सामना करना पड़ा। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (एआईपीए) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि देशभर में सरकारी स्कूलों के लगभग 30 प्रतिशत छात्रों को किसी न किसी कारण से कोविड-19 के दौरान स्कूल छोड़ना पड़ा था।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) के आंकड़ों के अनुसार, चंडीगढ़ के स्कूलों में हर शैक्षणिक स्तर पर ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो (जीईआर) में कमी आई है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर जीईआर पिछले वर्ष के 89.29 प्रतिशत से गिरकर इस वर्ष 86.92त्न हो गया है, वहीं उच्च प्राथमिक स्तर पर पिछले साल के 102.17त्न से कम होकर 99.33त्न हो गया है।
इसके अलावा एलिमेंट्री लेवल पर पिछले साल के 94.16 प्रतिशत की तुलना में इस साल 91.61 प्रतिशत हो गया है, वहीं सेकेंडरी लेवल पर गत वर्ष के 92.71 प्रतिशत से इस वर्ष 87.55 प्रतिशत तथा सीनियर सेकंडरी लेवल पर पिछले वर्ष के 83.79 प्रतिशत से लुड़क कर इस वर्ष 78.03 प्रतिशत हो गया है। स. संधू ने कहा कि यह एक चिंताजनक स्थिति है और इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि महामारी ने स्कूलों में आरक्षित सीटों को भी प्रभावित किया है, जिसमें 2019-20 में 44 सीटें, 2020-21 में 66 और 2021-22 में 99 सीटें खाली रही हैं, जबकि लगातार दो सालों तक देश का नेतृत्व करने के बादए लेटेस्ट परफोर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) में दूसरे स्थान पर खिसक गया है।
स. संधू ने कहा कि जहां शिक्षण संस्थानों द्वारा ऑनलाइन मोड को अपनाया गया था, वहीं विद्यार्थी स्कूली शिक्षा के व्यावहारिक रूप से सीखने तथा कक्षा के माहौल वंचित रहे। उन्होंने कहा कि ऐसे छात्रों की मदद करने और कोविड-19 के कारण शिक्षा के मामले में उन्हें हुए नुकसान की भरपाई के लिए हमने यह पहल शुरू की है।
स. संधू ने बताया कि इस पहल के तहत सीडब्ल्यूटी ऐसे छात्रों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएगा, साथ ही उन्हें करियर काउंसलिंग और व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य चंडीगढ़ के स्कूलों में एनरोलमेंट रेशो में वद्धि के साथ पाठ्यक्रम सेशन के बीच में स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना है तथा सीडब्ल्यूटी द्वारा इसी खाई को पाटने के लिए शिक्षित शहर, विकसित शहर मुहिम की शुरुआत की गई है।
सीडब्ल्यूटी की भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए स. संधू ने कहा कि छात्रों के बीच स्कूल छोड़ने की दर को कम करने के लिए प्रयास किए जाएंगे, इसके अलावा उन बच्चों को स्कूलों में लाने के प्रयास किए जाएंगे, जो कभी स्कूल नहीं पहुंचे। चाइल्ड मैपिंग सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, चंडीगढ़ में 3160 ड्रॉपआउट छात्र हैं, जबकि 3282 बच्चों ने कभी स्कूलों में दाखिला नहीं लिया।
हमारा ध्यान उनकी शिक्षा के लिए काम करना है, साथ ही उन्हें वैकल्पिक करियर के लिए वोकेशनल स्किल ट्रेनिंग भी प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूटी इन स्कूलों की फैकल्टी के लिए फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के साथ-साथ सर्टिफिकेशन कोर्स भी चलाएगा।
इस अवसर पर बोलते हुए, बिनॉय कुमार भट्टाचार्य ने सीडब्ल्यूटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में हर एक बच्चा शिक्षित और सशक्त हो। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूटी वास्तव में चंडीगढ़ और इसके निवासियों के विकास और आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण प्रयासों के बादए सीडब्ल्यूटी ने अब शिक्षकों और प्रशिक्षकों के रूप में सरकारी स्कूलों को जनशक्ति प्रदान करके शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा है, इस प्रकार छात्रोंए विशेष रूप से कोविड-19 द्वारा प्रभावित लोगों के लिए एक समृद्ध सीखने का अनुभव सुनिश्चित करना है।