अमरनाथ यात्रा 2022: चलो बुलावा आया है.. 3 साल बाद बाबा बर्फानी के दर्शन को बेताब भक्त

Friday, 19 April 2024

 

 

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अमरनाथ यात्रा 2022: चलो बुलावा आया है.. 3 साल बाद बाबा बर्फानी के दर्शन को बेताब भक्त

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पहलगाम , 11 May 2022

अमरनाथ यात्रा 2022 की तैयारियां जोरों-शोरों पर हैं। 3 साल बाद भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए बहुत उत्साहित है। कहते हैं जब तक बाबा का बुलावा ना आए तब तक कोई अमरनाथ यात्रा पर नहीं जा पाता। शायद मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है। कईं सालों से इस यात्रा पर जाने की इच्छा है लेकिन शायद अभी कुछ और साल इंतजार करना होगा, क्योंकि मेरे लिए अभी बाबा का बुलावा आया नहीं। खैर! कहा जा रहा है इस साल रिकॉर्ड यात्रा को देखते हुए तैयारियां खास है। अनुमान है कि इस साल 9 लाख से ज्यादा भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे। तो आइए आपको अमरनाथ यात्रा और अमरनाथ गुफा की कुछ बातें बताते हैं। 

30 जून 2022 से शुरु होगी अमरनाथ यात्रा 

अमरनाथ यात्रा 30 जून 2022 से शुरू हो रही है, जिसके लिए आज से कुछ दिन पहले, गांदरबल जिले के बालटील क्षेत्र में बालटाल से अमरनाथ घप्पा तक ट्रैक की मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है। काम जोरों पर हैं वहीं कैंप लगाने के लिए टूटे हुए छोटे पुलों की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है वहीं सड़क पर फर्श की टाइलें बिछाने का काम जोरों पर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह यात्रा 11 अगस्त तक चलेगी। अगर आप भी अमरनाथ यात्रा पर जाने के इच्छुक है तो अभी भी देर नहीं हुई है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अभी भी चल रही हैं। आप  https://jksasb.nic.in/   इस लिंक पर क्लिक करके रिजस्ट्रेशन करवा सकते हैं और बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यात्रा पर जा सकते हैं।

अमरनाथ की अमर कथा-

अमरकथा : इस पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। इस तत्वज्ञान को 'अमरकथा' के नाम से जाना जाता है इसीलिए इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा। यह कथा भगवती पार्वती तथा भगवान शंकर के बीच हुआ संवाद है। यह उसी तरह है जिस तरह कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद हुआ था। आपको आसान भाषा में बताते हैं- हिंदू धर्म के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि मुझे आपकी अर्धांगिनी बनने के लिए हर जन्म में कठोर तपस्या करनी पड़ती है। लेकिन आप तो अजर-अमर हैं। आप मुझे भी अजर-अमर होने का रहस्य बताइए। क्या आपके गले में पड़ी नरमुड़ माला आपके अमर होने का रहस्य है? महादेव पहले कुछ नहीं बोले , लेकिन पत्नी की जिद्द की वजह से इस रहस्य का खुलासा किया। भगवान शिव नहीं चाहते थे कि कोई भी प्राणी इस गूढ़ रहस्य को जाने वरना पृथ्वी का संतुलन बिगड़ सकता है। इसके लिए उन्होंने एक जगह चुनी और उस ओर चल पड़े। भगवान शिव नहीं चाहते थे कि कोई भी प्राणी इस गूढ़ रहस्य को जाने वरना पृथ्वी का संतुलन बिगड़ सकता है। इसके लिए उन्होंने एक जगह चुनी और उस ओर चल पड़े। भगवान शिव पार्वती के साथ चलते-चलते अमरनाथ गुफा पहुंचे, सुरक्षित जगह समझकर शिव ने कथा सुनाना शुरू किया। लेकिन सुनते-सुनते माता पार्वती को नींद आ गई। यह कथा दो पक्षी (नर-मादा) भी सुन रहे थे। जब शिव को पता चला तो वह उन पक्षियों को मारने उसके पीछे दौड़ पड़े। लेकिन कथा सुनकर वो दोनों चालाक हो गए थे और वहां से भाग गए थे। कहा जाता है कि यह दोनों कबूतर आज भी अमरनाथ गुफा में दिखाई देते हैं। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमरनाथ से जुड़ी अन्य और भी कथाएं प्रचलित हैं। 

पहलगाम से शुरु होती है बाबा बर्फानी की यात्रा- 

इस यात्रा की शुरुआत पहलगान से होती है। आपके पास पैसा है तो आप खच्चरों पर बैठकर ये यात्रा कर सकते हैं। वैसे ज्यादातर भक्त पैदल ही यह यात्रा करते हैं। सच कहूं तो मुझे तो कभी इस यात्रा पर जाने का सौभाग्य नहीं मिल पाया, लेकिन मैंने किताबों और खबरों में पड़ा है कि पहलगाम से पवित्र गुफा तक का रास्ता दुनिया की सबसे सुंदर पर्वत मालाओं में से होकर गुजरता है। इसमें बर्फ से ढकी पहाडियां, ऊंचाई से गिरते झरने, ठंड से जमे हुए सरोवर.. सब मिलकर प्रकृति की असल सुंदरता को दिखाते हैं। लिद्दर नदी के किनारे बसा एक छोटा-सा कस्बा पहलगाम के नाम से जाना जाता है। पहलगाम से श्रावण पूर्णिमा से 3 दिन पहले, शिव की प्रतीक पवित्र छड़ी के नेतृत्व में  हर-हर महादेव के जयघोष के बीच साधु-संतों की टोलियों के साथ यात्री अगले पड़ाव चंदनवाड़ी की ओर बढ़ते हैं। यह पहलगाम से 16 किमी दूर है। 

चंदनवाड़ी से 13 किमी दूर है शेषनाग जगह है। पिस्सू टॉप की कठिन चढ़ाई पार कर जोजापाल नाम की चारागाह से गुजरते हुए लिद्दर के किनारे-किनारे चलते हुए शेषनाग पहुंचा जा सकता है। इसके बाद यात्रा का दूसरा व सबसे मुश्किल चरण शुरु होता है। 13 किमी दूर पंजतरणी की ओर फिर से शुरू होती है एक और कठिन चढ़ाई, महागुनस शिखर की ओर जो 14800 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस शिखर पर ऑक्सीजन की कमी है क्योंकि अमरनाथ यात्रा के दौरान यही शिखर सबसे ऊंचा है। ऑक्सीजन की कमी के कारण कुछ लोगों का सांस फूल सकता है। इसमें घबराने जैसे बात कुछ नहीं है। जगह जगह भक्तों की सेवा के लिए डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं। भक्त फिर से अपनी सांसो को भरते और महादेव की भक्ति में लीन पवित्र गुफा की ओर बढते हैं।  रास्ता खतरनाक भी है और सुंदर भी। पगडंडी से नीचे नजर जाते ही खाईयों में बहती बर्फीली नदी को देख कर डर लगता है, लेकिन महादेव का एक जयकारा फिर से शरीर में हौंसला भर देता है। फिर एक मोड़ से गुफा का दूर से दर्शन होने पर लोग उत्साहित हो जय-जयकार करते बर्फ के पुल को पार करके पहुंचते हैं पवित्र गुफा के नीचे बहती अमर गंगा के तट पर।

इस बार नहीं कर पाएंगे सिगरेट, तंबाकू का सेवन- 

अगर आपने इस बार बाबा बर्फानी के दर्शन का प्लान किया है तो सब नशे-वसे छोड़ दीजिए। इस बार अमरनाथ तीर्थ यात्रा को तंबाकू से पूरी तरह से मुक्त रखा जाएगा। तीर्थ यात्रा मार्ग में सिगरेट, तंबाकू, गुटका जैसी पदार्थ पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेंगे। वहीं श्रद्धलुओं के को जागरूक करने के लिए तंबाकू के दुष्प्रभाव से अवगत कराने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। यह निर्णय स्वास्थय सेवा निदेशानल कश्मीर और श्री अमराथ श्राइन बोर्ट के अधिकारियों ने एक बैठक में लिया है। इस मीटिंग में फैसला लिया गया है कि यदि किसी भी भक्त के पास नशे से जुड़ा सामान मिलता है तो तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अमरनाथ यात्रा पर इस बार मांसाहारी, शराब, तंबाकू, गुटका, पान मसाला, धूम्रपान आदि इनटाक्सिकैंट पदार्थ प्रतिबंधित रहेंगे। पुलाव और फ्राइड चावल के बजाय सादे चावल, जीरा चावल, खिचड़ी और न्यूट्रेला चावल मिलेंगे।

यात्रा के लिए जरूरी-

13 साल से लेकर 75 साल तक के लोग अमरनाथ यात्रा कर सकते हैं। वहीं, 6 महीने से ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाओं को यात्रा की अनुमति नहीं है।

ये हैं जरूरी दस्तावेज-

- यात्रा के लिए दिए गए फॉर्मेट में भरा गया एप्लीकेशन बेहद जरूरी है।

- डॉक्टर या मेडिकल संस्थान से हासिल मेडिकल सर्टिफिकेट, जो निश्चित समय के अंदर लिया गया हो। 

- चार पासपोर्ट साइज फोटो

 

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