पंजाब में बिजली की हद से ज्यादा महंगी दरों के विरोध में आम आदमी पार्टी (आप) का वफद शुक्रवार को पंजाब के माननीय राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर को मिला।वफद का नेतृत्व कर रहे पार्टी के सीनियर नेता और विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा और विधायक अमन अरोड़ा जो 'आप' द्वारा राज्य में शुरु किए गए 'बिजली आंदोलन' के को-आर्डीनेटर भी हैं, ने पंजाब के राज्यपाल को मांग पत्र सौंप कर मांग की है कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार के दौरान तीन प्राईवेट थर्मल प्लांटों के साथ उच्च दरों पर लोग विरुद्ध -पंजाब विरोधी शर्तों के अंतर्गत बिजली खरीद समझौते (पीपीएज) तुरंत रद्द किए जाएं, क्योंकि इन घातक शर्तों वाले समझौते के कारण पंजाब को 25 सालों में 70 हजार करोड़ रुपए की बड़ी राशि बिना वजह इन निजी थर्मल प्लाटों को अदा करनी पड़ रही है, क्योंकि शर्तों के मुताबिक बेशक पंजाब इन प्राईवेट थर्मल प्लाटों से एक यूनिट भी बिजली नहीं खरीदता, तो भी पंजाब सरकार इन को वार्षिक 2800 करोड़ रुपए बतौर फिक्स चारजिज अदा करती रहेगी। जो पहले ही वित्तीय संकट से गुजर रहे पंजाब के लिए घातक कदम है और यह इतनी बड़ी राशि बिजली बिलों के द्वारा पंजाब के बिजली खप्तकारों की जेबों में से निकाली जा रही है।राज्यपाल से मुलाकात के उपरांत मीडिया को संबोधन करते हुए हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि माननीय राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने उनके द्वारा रखे गए दस्तावेजी तथ्यों को बेहद गंभीरता के साथ लिया और यह मुद्दा राज्य सरकार के पास उठाने का भरोसा दिया।
इस मौके अमन अरोड़ा ने बताया कि 'आप' के वफद ने राज्यपाल पंजाब के ध्यान में लाया कि पंजाब खुद भी बिजली पैदा करता है। करीब 30 प्रतिश्त बिजली हाईड्रो (पण) प्रोजेक्टों से बेहद सस्ती लागत पर पैदा होती है। पिछली बादल सरकार पंजाब को 'बिजली सरपलस्स स्टेट' बताती रही है। फिर भी पंजाब देश में सबसे महंगी बिजली देने वाले राज्यों में शामिल है। दूसरी तरफ दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार दिल्ली के लोगों की सारी बिजली पूर्ति प्राईवेट कंपनियों से बिजली खरीद कर करती है, तो भी दिल्ली का बिजली खप्तकार सब से सस्ती बिजली प्राप्त कर रहा है। इसका कारण यह है कि केजरीवाल सरकार ने लोग हितों के लिए 'बिजली माफिए' को खत्म कर दिया, जो चार साल पहले सरकार बनने के समय हावी थी।अमन अरोड़ा ने कहा कि यदि दिल्ली सरकार पिछली सरकार की तरफ से पाले प्राईवेट बिजली माफिया को खत्म करके लोगों को सस्ती बिजली की राहत दे सकती है, तो पंजाब सरकार पिछली बादल सरकार की तरफ से लाए निजी थर्मल प्लांट माफिए को खत्म करने के लिए घातक पीपीएज रद्द करने से क्यों भाग रही है, जबकि चुनावों से पहले कांग्रेस ने यह वायदा लोगों के साथ किया था।वफद में विधायक कुलतार सिंह संधवां, रुपिन्दर कौर रूबी, मीत हेयर, कुलवंत सिंह पंडोरी, राजनीतिक समिक्षा समिति के चेयरमैन हरचन्द सिंह बस्र्ट, कोर समिति मैंबर कुलदीप सिंह धालीवाल और स्टेट मीडिया इंचार्ज मनजीत सिंह सिद्धू शामिल थे।