समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन ने सदन को बताया कि जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम/ नियमों के प्रावधानों के तहत उपलब्ध योग्यता मानदंडों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ रहने वाले निवासियों को आरक्षण का लाभ प्रदान किया जा रहा है।सत पाल शर्मा के एक प्रश्न के जवाब में मंत्री ने कहा कि हालांकि आरक्षण के लाभ उनको लागू नहीं किए जा सकते है, जैसा कि प्रचलित नियमों के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर रहने वाले लोगों के समकक्ष नहीं किया जा सकता है।मंत्री ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों की लगातार मांग को देखते हुए, पिछड़ा वर्ग के प्रावधानों के तहत लाभ के विस्तार के संबंध में एक प्रस्ताव जम्मू व कश्मीर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अधीन है और अगर सिफारिशें आती है तो सरकार उन पर उचित कार्रवाई करेगी।लोन ने आगे कहा कि विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मसौदे और नियंत्रण रेखा के साथ रहने वाले लोगों के वास्तविक मुद्दों और शिकायतों को हल करने के लिए एक समावेशी सर्वेक्षण किया गया है। कुलदीप राज, राजीव जसरोटिया और जावेद अहमद राणा ने मुख्य प्रश्न पर पूरक प्रश्न उठाए और सीमा पार से लगातार गोलीबारी की पृष्ठभूमि में सीमावर्ती लोगों की दुर्दशा के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने अपने पुनर्वास के लिए एक ठोस नीति की मांग की।