शिरोमणि अकाली दल ने जाने-माने लोक गायक हंसराज हंस के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने को एक समझदारी भरा कदम बताया है। दलितों को पैरों की जूती समझने वाले अमरेंदर सिंह जैसे रजवाड़े हंस को बराबरी का दर्जा दे ही नहीं पाए। नतीजतन हंस ने कांग्रेस से किनारा कर लिया।यह मानना राज्य के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री गुलजार सिंह रणिके का है। उन्होंने कहा कि हंस जैसे उच्च कोटी के कलाकार का कांग्रेस के दलदल में टिक पाना संभव भी नहीं था। यह होना ही था। कोई भी पंजाब और पंजाबियत से प्रेम करने वाला इंसान पंजाब को बरबाद करने वाली कांग्रेस में ज्यादा देर रह भी नहीं सकता। कांग्रेस जी हुजूरी करने वाले चापलूसों का टोला है और कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति इसमें खप नहीं सकता। हंस भी नहीं रह सके और उन्होंने खुद को आजाद कर लिया। हंस का यह फैसला उनके राजनीतिक और व्यक्गित जीवन के लिए पूरी तरह उचित है।रणिके ने कहा कि जाहिर है हंस अब अपनी घर वापसी से खुद को स्वतंत्र और सम्मानित महसूस कर रहे होंगे। अमरेंदर सिंह जैसे राजे रजवाड़े हंस जैसे ऊंचे दर्जे के कलाकारों को दिल बहलाने का सामान समझते हैं और उन्हें उचित सम्मान नहीं देते। ऐसे में उन्हें अपने बराबर बिठाना बहुत दूर की बात है। कांग्रेस की इसी दलित विरोधी सोच ने कांग्रेस को लोगों से अलग कर दिया है। कांग्रेस अपनी बदहाली की खुद जिम्मेवार है।