झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने दावा किया है कि वह आने वाले वर्षो में प्रत्येक गांव में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे, लेकिन राज्य के अधिकांश हिस्से पारेषण नुकसान (ट्रांसमिशन लॉस) तथा खराब ट्रांसफॉर्मरों के कारण अंधेरे में हैं। विद्युत विभाग के सूत्रों के मुताबिक, राज्य में पांच हजार से अधिक ट्रांसफॉर्मर खराब हैं।विद्युत विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को आईएएनएस से कहा, "राज्य में कई ऐसे जगह हैं, जहां 25 केवी से लेकर 63 केवी तक के ट्रांसफॉर्मर लगाए गए थे, लेकिन जरूरत कम से कम 100 केवी के ट्रांसफॉर्मर लगाने की थी। ये ट्रांसफॉर्मर भार नहीं सह सके और पांच हजार से अधिक ट्रांसफॉर्मर जल गए या खराब हो गए।"
विद्युत व्यवस्था के परिदृश्य को बदलने को लेकर झारखंड सरकार ने खराब व जले हुए ट्रांसफॉर्मरों को बदलने के लिए ज्योति मिशन 2016 योजना की शुरुआत की है।राज्य ने ट्रांसफॉर्मरों को बदलने के लिए योजना की भले ही शुरुआत कर दी है, लेकिन इसमें कुछ बाधाएं हैं।अधिकारी ने कहा, "वर्तमान बाधा यह है कि विद्युत विभाग के पास इतने ट्रांसफॉर्मर नहीं हैं कि वह सभी खराब ट्रांसफॉर्मरों को बदल सके। 5,200 से अधिक ट्रांसफॉर्मर खराब हैं और हमारे पास मुश्किल से कुल जरूरत के 25 फीसदी ट्रांसफॉर्मर हैं।"उन्होंने कहा, "सभी खराब व जले हुए ट्रांसफॉर्मरों को बदलने में एक या दो साल का वक्त लग सकता है। दूसरा मुद्दा ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता का है।"
अधिकारियों को आशंका है कि नए ट्रांसफॉर्मरों का हाल भी पुराने जैसा ही होगा।कुल पांच हजार ट्रांसफॉर्मरों को बदलने में 400 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।दूसरा बड़ा मुद्दा पारेषण के वक्त विद्युत नुकसान का है। पारेषण से संबंधित मुद्दों को देखने वाले एक अधिकारी ने कहा, "पारेषण नुकसान के कारण झारखंड को वित्तीय व बिजली का नुकसान झेलना पड़ा है। कर्नाटक में 12.58 फीसदी तथा तमिलनाडु में 16 फीसदी की तुलना में झारखंड में पारेषण नुकसान 32.49 फीसदी है। देश में ऐसे कम से कम 20 राज्य हैं, जहां पारेषण नुकसान 22 फीसदी से कम हैं।"अधिकारी ने कहा, "इससे न केवल राज्य के खजाने को नुकसान होता है, बल्कि विद्युत आपूर्ति भी प्रभावित होती है।"