भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने बुधवार को कहा कि कुछ नदियों को तो आपस में जोड़ा जा सकता है लेकिन देश के अधिकांश भागों में नदियों को जोड़ना संभव नहीं भी हो सकता है। इसका कारण है कि देश की अधिकांश नदियों में पहले से ही जल की कमी है। जोशी लोकसभा की प्राक्कलन समिति द्वारा गंगा नदी के कायाकल्प पर र्पिोट पेश किए जाने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उनसे पूछा गया था कि क्या नदियों को जोड़ना भारत के जल संकट का समाधान हो सकता है? इस पर जोशी ने कहा, "यह एक जटिल मुद्दा है। केन और बेतवा नदियों को जोड़ा जा सकता है लेकिन केन और गंगा को नहीं। "
उन्होंने सवाल किया, "सभी नदियां सूख रही हैं, आप किस तरह नदियों को जोड़ सकते हैं?" जोशी ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तार से बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "नदियों को जोड़ने पर बहुत अधिक बहस की जरूरत है। यह केवल कुछ ही जगहों पर संभव है। गंगा से कावेरी को जोड़ना संभव नहीं है।" नदियों में पानी की कमी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "एक भिखारी दूसरे भिखारी को भला क्या देगा?"नदियों को जोड़ने के विचार के पीछे यह सिद्धांत है कि कुछ नदियों में ज्यादा और कुछ में कम पानी है। इन नदियों को जोड़ने की योजना मुख्य रूप से पानी के अच्छे वितरण से जुड़ी हुई है।
पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों ने इस परियोजना के खिलाफ चेतावनी दी है। उनका कहना है कि नदियों के साथ पानी के पाइपलाइन की तरह नहीं व्यवहार किया जा सकता है। नदी की धारा को बदलने से हो सकता है कि नदी की पारिस्थितिकी नष्ट हो और नदी खुद नष्ट हो जाए।जल संसाधन विकास मंत्री उमा भारती ने पिछले माह नदियों को जोड़ने की एक विशेष बैठक में सूखे से निपटने के लिए नदियों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया था।