केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री वाई. एस. चौधरी की उपस्थिति में औषधि अन्वेषण अनुसंधान केन्द्र (डीडीआरसी) और हैदराबाद स्थित अनुसंधान एवं विकास कंपनी, रेवेलेशन्स बायोटेक प्रा. लि. (आरबीपीएल) के बीच एक समझौता-दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए। डीडीआरसी भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग का फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान का एक प्रमुख केन्द्र है। इस अनुसंधान सहयोग से मधुमेह के निदान और उपचार में नई संभावनाओं की शुरुआत होगी।
मंत्री ने कहा, "दुर्भाग्य से दुनिया में सर्वाधिक मधुमेह के मरीज भारत में हैं और यह बहुत चिंता का विषय है। मधुमेह से अन्य कई प्रकार के रोग पैदा हो जाते हैं।" उन्होंने कहा कि यदि हम मधुमेह की रोकथाम के लिए 100 रुपये खर्च करें तो इस तरह पूरी उपचार प्रक्रिया में लगभग 400 रुपये खर्च करने से बच जाएंगे।बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव प्रो. के. विजय राघवन ने कहा कि डीडीआरसी-आरबीपीएल सहयोग से दो कार्यक्रमों के जरिए इस समस्या को हल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पहले कार्यक्रम के तहत एक डाटा बेस सॉफ्टवेयर पैकेज विकसित किया जाएगा, जिसके तहत ऐसे व्यक्तियों की पहचान की जाएगी, जिन्हें मधुमेह होने का खतरा है। दूसरे पैकेज के तहत नई दवा विकसित की जाएगी, ताकि गुर्दों में ग्लूकोज जमा न हो सके।