गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीटीआई) के विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर सोमवार को सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि "विद्यार्थियों को प्रदर्शन नहीं करना चाहिए था।" पारसेकर ने कहा, "यह मेरे राज्य से संबंधित मामला नहीं है। अगर आईएफएफआई में कुछ गलत या आपत्तिजनक घट जाता तो इससे राज्य सरकार के कामकाज पर सवाल उठता। बिना किसी वजह के मेरी सरकार से विवाद मोल लेने का क्या मतलब?"
पारसेकर एफटीटीआई विद्यार्थियों के इस आरोप पर अपनी बात रख रहे थे कि उनकी जांच की गई और पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया।पारसेकर ने इस बात को गलत बताया कि उनकी सरकार को केंद्र से एफटीटीआई छात्रों पर नजर रखने का निर्देश मिला था। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन छात्रों का अधिकार नहीं है।मुख्यमंत्री ने कहा, "मैं नहीं समझता कि प्रदर्शन अधिकार का मामला है। हम इसका (आईएफएफआई) आयोजन कर रहे हैं। उन्हें अपने मुद्दों को मेरे पास लाना चाहिए था।
मैं इसे संबंधित व्यक्ति के सामने उठाता। लेकिन, यह तो कोई तरीका नहीं हुआ।"एफटीटीआई विद्यार्थियों ने 12 जून से 139 दिनों की हड़ताल की थी। वे संस्थान के अध्यक्ष पद पर अभिनेता गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध कर रहे थे। उनका कहना है कि चौहान इस पद के योग्य नहीं हैं।विद्यार्थियों ने 29 अक्टूबर को हड़ताल तो खत्म कर दी, लेकिन कहा कि उनका विरोध जारी रहेगा।एफटीटीआई के दो पूर्व विद्यार्थियों को आईएफएफआई के उद्घाटन समारोह (20 नवंबर) में नारे लगाने और नारे लिखी पट्टियां लहराने पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
कहा जा रहा है कि शनिवार को कथित रूप से एक विद्यार्थी को इसलिए हिरासत में ले लिया गया, क्योंकि उसने एफटीटीआई के लोगो वाली टी-शर्ट पहन रखी थी।एफटीटीआई के प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों के प्रवक्ता प्रतीक वत्स ने गोवा पुलिस पर लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि रविवार को आईएफएफआई परिसर में 10 विद्यार्थियों को अस्थाई रूप से हिरासत में ले लिया गया था।