राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के निदेशकों के सम्मेलन का उद्घाटन किया। वर्तमान राष्ट्रपति के कार्यकाल में के दौरान एनआईटी निदेशकों का यह दूसरा सम्मेलन है और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएसईआर के साथ राष्ट्रपति की नियमित बातचीत का हिस्सा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी एनआईटी का आह्वान किया कि वे समाज के साथ गहरा और व्यापक जुड़ाव स्थापित करें। उन्होंने कहा कि एनआईटी के कार्य को जनता की जरुरतों और आकांक्षाओं के साथ प्रतिध्वनि मिलनी चाहिए। प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में शुरु की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना की तर्ज पर एनआईटी को कम से कम एक गांव को अपनाकर उसे आदर्श गांव बनाना चाहिए। उन्हें जरुरत पड़ने पर अन्य केन्द्रीय विद्यालयों से विशेषज्ञ लेने चाहिए जो आदर्श गांव को बनाने संबंधी विभिन्न मुद्दों पर समाधान प्रदान कर सकें।
राष्ट्रपति ने एनआईटी से कहा कि वह खास तौर से सरकार द्वारा शुरू किये गये मेक इन इंडिया और डिजीटल इंडिया पहल को ध्यान में रखते हुए देश में डिजीटल विभाजन, आय असमानता और गांव तथा शहरों के बीच के अंतर को पाटने के लिए सबसे आगे रहें। उन्होंने कहा कि एनआईटी ग्रामीण अविष्कारों, स्थानीय रोजगार और विश्व स्तर के निर्माण के बीच संपर्क बन सकता है और इसे बनाने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने अनुसंधानों और अविष्कारों के क्षेत्र में एनआईटी के योगदान के लिए उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि सही माहौल दिये जाने पर हमारे वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ दुनिया में किसी से पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में गुणवत्तापूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एनआईटी सबसे आगे निकल गया है। आवश्यकता इस बात की है कि एनआईटी देश और विदेश में इसी तरह के अन्य संस्थानों के साथ सामंजस्यपूर्ण सहयोग करे।
राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक विकास और शैक्षणिक प्रगति के बीच सहजीवी संबंध हैं। हमारे इंजीनियर और वैज्ञानिक राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज के संदर्भ में शहरीकरण, पानी की आपूर्ति, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कुशलता की आवश्यकता है। हमारे इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के पास इतनी सामर्थ्य होनी चाहिए कि वे नये युग की समस्याओं का समाधान नये युग के जवाबों से कर सकें। एनआईटी जैसे तकनीकी संस्थानों को विश्व स्तर के पेशेवर और प्रतिस्पर्धा करने योग्य इंजीनियर तैयार करने चाहिए जिससे वे न केवल भारत को प्रौद्योगिकी की नई ऊंचाइयों पर ले जाएं बल्कि हमारे देश की जनता के जीवन स्तर में भी सुधार लाएं।
एनआईटी के अध्यक्ष और निदेशकों को साहसिक, नवपरिवर्तनशील और प्रेरणाप्रद नेतृत्व प्रदान करना चाहिए। देश के अधिकतर केन्द्रीय संस्थानों में सभी स्तरों पर प्राध्यापकों की कमी का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी नॉर्वे और फिनलैंड की यात्रा के दौरान उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और शिक्षाविदों का आह्वान किया कि वे अंशकालिक अथवा पूर्णकालिक आधार पर, नियमित, अतिथि अथवा अनुबंध प्राध्यापक के रूप में भारतीय कैंपसों का हिस्सा बनें। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ विचार-विमर्श करके इस तरह के कार्य के लिए उचित माहौल बनायेगा।