राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फिनलैंड से भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' का लाभ उठाने का आह्वान किया है। फिनलैंड दौरे पर आए राष्ट्रपति मुखर्जी ने गुरुवार को फिनलैंड की संसद को संबोधित किया और कहा कि भारत की नई सरकार विकास और देश में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने, विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने, कौशल विकास को बढ़ावा देने, अत्याधुनिक शहरों का विकास करने इत्यादि जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।मुखर्जी ने कहा, "विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खास तौर पर जैव प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे द्विपक्षीय समझौते बेहद सफल रहे हैं। अब फिनलैंड इस दिशा में और आगे बढ़ते हुए 'मेक इन इंडिया' का लाभ उठा सकता है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।"राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक आर्थिक गिरावट के बावजूद दोनों देशों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। खासतौर पर गैस और तेल, पोत उद्योग, अक्षय ऊर्जा और सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे संबंध और मजबूत हुए हैं।
मुखर्जी ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले वर्षो में राजनीतिक, आर्थिक, भू-राजनैतिक और सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच संबंध और सुदृढ़ होंगे।उन्होंने कहा, "फिनलैंड के पास संचार, विनिर्माण, जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, स्वास्थ्य, अवसंरचना निर्माण आदि क्षेत्रों में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी है। भारत इन क्षेत्रों में फिनलैंड की विशेषज्ञता का लाभ उठाना चाहेगा।"मुखर्जी ने भारत और फिनलैंड के अग्रणी विश्वविद्यालयों के बीच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाने पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत की 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम की है और यह समझौते भारत की इस विशाल युवा आबादी के कौशल विकास में काफी मददगार साबित होंगे।मुखर्जी ने कहा, "भारत ने फिनलैंड को उन चुनिंदा देशों में शामिल किया है जिसे वीजा नियमों में छूट दी गई है। भारत, फिनलैंड द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करने पर उसकी सराहना करता है।"