दलाईलामा की नगरी में हर वर्ष लगभग डेढ़ हजार नए तिब्बती बाहर से आते हैं
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5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)
धर्मशाला , 01 Mar 2013
दलाईलामा की नगरी मेक्लोडगंज में हर वर्ष लगभग डेढ़ हजार नए तिब्बती बाहर से आते हैं। पहुंचते तो हर वर्ष हजारों की तादाद में है, लेकिन वापस कुछ एक ही लौटते हैं। इनके पंजीकृत आंकड़ों पर नज़र दौड़ाएं तो मात्र 22808 तिब्बती ही वैध रूप से मकलोड़गंज सहित विभिन्न स्थानों में रहते हैं। स्थानीय पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि उनके पास हर वर्ष लगभग एक से डेढ़ हजार तिब्बती पहुंचते हैं। करीब एक जैसी वेशभूषा वाले इन शरणार्थियों की पहचान करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। भारत में तिब्बतियों के आने और फिर वापस लौटने को लेकर कड़े नियम न बने तो यह घातक हो सकता है। बाहर से आने वाले लोग धीरे-धीरे आक्रामक होकर स्थानीय लोगों को निशाना भी बनाने लगे हैं। शरण लेकर रहने वाले तिब्बतियों के भारत आने की प्रक्रिया तो सरल है, लेकिन वापस जाने का कोई कड़ा प्रावधान नहीं है। हर वर्ष लगभग एक से डेढ़ हजार नए तिब्बती दलाईलामा के दर्शनों और शिक्षा ग्रहण करने के नाम पर धर्मशाला पहुंचते हैं। तिब्बती नेपाल के काठमांडू स्थित तिब्बतियन रिस्पेशन सेंटर से स्पेशल एंट्री परमिट लेकर सीधे दिल्ली के मजनू टिल्ला पहुंच जाते हैं। वहां पजीकरण के बाद धर्मशाला में आरसी बनवाते हैं। यह सिलसिला लगातार चलता रहता है। सूत्र बताते हैं कि धर्मशाला-मकलोड़गंज में बेहतर वातावरण व सारी सुविधाएं पाकर बाहर से आने वाले अधिकतर लोग यहीं रुक जाते हैं। इसके चलते इनकी आबादी में लगातार इजाफा हो रहा है। तिब्बतियों के बढ़ते हौसलों और खूंखार होती प्रवृत्ति के कारण अब स्थानीय लोगों सहित सुरक्षा एजेंसियों की भी चिंताएं बढ़ने लगी हैं। इनके वापस जाने की पुख्ता योजना न होने को सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी ढील माना जा रहा है।