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हरदीप सिंह पुरी ने देश में शहरी परिदृश्य में वृद्धि और विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया

भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मेट्रो नेटवर्क प्रणाली बनने की ओर अग्रसर : हरदीप सिंह पुरी

Hardeep Singh Puri, Minister of Housing & Urban Affairs and Petroleum & Natural Gas, BJP, Bharatiya Janata Party
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5 Dariya News

नई दिल्ली , 31 Aug 2023

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शहरी परिदृश्य में बदलाव लाने की दिशा में सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए, आवासन एवं शहरी कार्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री, श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि शहरी क्षेत्र में निवेश बढ़कर 18,07,101 करोड़ रुपये (2014 के बाद) हो चुका है, जो कि 1,78,053 करोड़ रुपये (2004-2014) था। मंत्री ने भारत के शहरी क्षेत्र में वृद्धि एवं विकास के प्रति सरकार की पूर्ण इच्छाशक्ति और संकल्प को दोहराया।

मंत्री 'ट्रांसफॉर्मिंग अर्बन लैंडस्केप' शीर्षक से एक अपडेट ई-पुस्तिका (2014-2023) के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव, श्री मनोज जोशी और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मंत्री द्वारा आज जारी की गई पुस्तिका में भारत में शहरी परिदृश्य के विकास के उद्देश्य से चलाई गई विभिन्न योजनाओं/पहलों/कार्यक्रमों/मिशनों की प्रगति के आंकड़ों/सूचनाओं को शामिल किया गया है। 

इन योजनाओं/मिशनों में अन्य के अलावा स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू), प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू), कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत), प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना और दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) शामिल हैं।

कार्यक्रम के दौरान मीडिया को जानकारी देते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने शहरी विकास के प्रति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के एक बयान को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि “हम शहरीकरण को एक अवसर के रूप में देखते हैं और हम शहरों को विश्व स्तरीय शहर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो जीवन को आसान बनाते हैं।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, सरकार ने पिछले नौ वर्षों में शहरी क्षेत्र में बदलाव लाने के अवसर का सदुपयोग किया है। उन्होंने बल देकर कहा कि यह क्षेत्र पहले उपेक्षित रहा है।

मंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन (यू) के अंतर्गत हुई प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मिशन ने 67.10 लाख घरेलू शौचालयों और 6.52 लाख सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय के निर्माण के साथ शौचालयों तक अपनी शतप्रतिशत पहुंच बनाई है। इस मिशन के माध्यम से अपशिष्ट प्रसंस्करण में चार गुना बढ़ोतरी हुई है और यह 2014 में 18 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 75.20 प्रतिशत हो चुकी है। 

एसबीएम-यू के अंतर्गत किए गए प्रयासों के कारण नगरपालिका द्वारा ठोस कचरे का पृथक्करण और डोर-टू-डोर संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पीएमएवाई-यू के अंतर्गत उपलब्धियों की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए, श्री पुरी ने कहा कि अब तक, इस योजना ने 1.19 करोड़ घरों को मंजूरी प्रदान कर मील का पत्थर प्राप्त किया है।  113 लाख से ज्यादा घरों का निर्माण किया गया है, जिनमें से 76.34 लाख का निर्माण पूरा हो चुका है और उसे लाभार्थियों में वितरित कर दिया गया है। 

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह मिशन महिला के नाम पर या संयुक्त नाम पर घरों को शीर्षक प्रदान करके महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। पीएमएवाई-यू के अंतर्गत 94 लाख से ज्यादा घर महिलाओं या संयुक्त स्वामित्व के नाम पर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पीएमएवाई-यू के अंतर्गत परियोजनाओं/घरों के निर्माण के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर रही है। ग्लोबल चैलेंज प्रक्रिया के माध्यम से 54 नई प्रौद्योगिकियों की पहचान की गई है और इनका उपयोग विभिन्न लाइट हाउस परियोजनाओं के निर्माण में किया जा रहा है।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री ने शहरी परिवहन को मजबूत करने की दिशा में की गई विभिन्न पहलों के परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज 20 विभिन्न शहरों अर्थात् दिल्ली और सात एनसीआर शहरों, बैंगलोर, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, जयपुर, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद, नागपुर, कानपुर और पुणे में लगभग 872 किलोमीटर मेट्रो लाइनें परिचालित हो रही हैं जिनकी औसत दैनिक सवारियां 85 लाख हैं। इसके अलावा, पूरे देश के विभिन्न शहरों जैसे दिल्ली, बंगलौर, कोलकाता, चेन्नई, कोच्चि, मुंबई, नागपुर, अहमदाबाद, गांधीनगर, पुणे, कानपुर, आगरा, भोपाल, इंदौर, पटना, सूरत और मेरठ में लगभग 988 किमी की मेट्रो रेल परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिसमें दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस भी शामिल है। 

उन्होंने कहा कि देश विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मेट्रो नेटवर्क प्रणाली बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने 'पीएम-ई-बस सेवा' का भी उल्लेख किया, जिसे हाल ही में मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है, यह पीपीपी मॉडल पर आधारित और 10,000 ई-बसों के माध्यम से सिटी बस संचालन को बढ़ाने वाली योजना है।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव, श्री मनोज जोशी ने पहले से रुकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं को पूरा करने के उपायों की सिफारिश करने के लिए जी-20 शेरपा, श्री अमिताभ कांत की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिशों के बारे में विस्तार से बताया। समिति ने 21 अगस्त 2023 को आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

श्री मनोज जोशी ने रुकी हुई परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए समिति द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न सुझावों के बारे में बात की, जिसमें अन्य सहित रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के नेतृत्व में समाधान और परियोजनाओं के समाधान के लिए आईबीसी का उपयोग शामिल है। 

समिति द्वारा दी गई कुछ सिफारिशें निम्न प्रकार हैं:-

रेरा के साथ अनिवार्य पंजीकरण: सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का पंजीकरण रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 [रेरा] में होना अनिवार्य है। इसके अलावा, जवाबदेही और पारदशता सुनिश्चित करने के लिए समिति सिफारिश करती है कि इस प्रावधान को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है और विनियामक प्राधिकरण आवश्यक शर्तों और दंड/जुर्माने को माफ करके पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेगा। 

सभी कब्जे वाली इकाइयों के लिए पंजीकरण/उप-पट्टा दस्तावेज का निष्पादन: कमिटी ने सिफारिश की है कि यूनिटों पर कब्जा करने वाले घर खरीददारों के पक्ष में उप-पट्टा का तत्काल पंजीकरण/निष्पादन किया जाए और इसे बिल्डरों से बकाया राशि की वसूली से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इससे लगभग एक लाख घर खरीददारों को फायदा होगा। 

कमिटी ने यह भी सिफारिश की कि डिफॉल्टर बिल्डरों से बकाया राशि की वसूली के लिए कठोर और सख्त कार्यवाही एक साथ शुरू की जानी चाहिए। ऐसे मामलों में जहां घर खरीदारों से बिल्डरों को बकाया राशि का भुगतान करने की उम्मीद की जाती है, समिति का सुझाव है कि रेरा को बिल्डरों को दरकिनार करते हुए सीधे घर खरीदारों से यह भुगतान एकत्रित करना चाहिए।

वास्तव में पूरी हो चुकी सभी परियोजनाओं का अधिकार/कब्जा: कमिटी ने सुझाव दिया कि विनियामक प्राधिकरणों को समाधान के लिए ऐसी परियोजनाओं की पहचान करनी चाहिए जहां निर्माण वास्तव में पूरा हो चुका है लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र/पूर्णता प्रमाण पत्र के अभाव में कब्जा नहीं दिया गया है। समिति यह भी सिफारिश करती है कि इन परियोजनाओं के लिए व्यवसाय और पूर्णता प्रमाण पत्र सहित मंजूरी प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए, भले ही डेवलपर्स ने अधिकारियों को अपने बकायों का भुगतान न किया हो। 

राज्य सरकार के पुनर्वास पैकेज का प्रस्ताव: कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार रुकी हुई परियोजनाओं के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा कर सकती है जिससे इन परियोजनाओं को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके। रेरा की रूपसेखा और प्रशासक के नेतृत्व में परियोजनाओं का 

पुनरुद्धार: कमिटी ने सुझाव दिया कि जिन परियोजनाओं में डेवलपर पैकेज के अंतर्गत परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी नहीं लेता है या ऐसा करने में विफल रहता है, ऐसी परियोजनाओं को रेरा के नेतृत्व वाले पुनरुद्धार संरचना द्वारा पूरा किया जा सकता है। अगर घर खरीदार खुद परियोजना को पूरा करने का प्रस्ताव रखते हैं, तो उन्हें वरीयता प्रदान करनी चाहिए। इस रुपरेखा के अंतर्गत, समिति सभी हितधारकों के बीच समान कटौती का सुझाव देती है और प्रशासक की नियुक्ति से लेकर बोली प्रदान करने तक की पूरी प्रक्रिया 6 महीने के अंदर पूरी की जानी चाहिए।

रुकी हुई परियोजनाओं का वित्तपोषण: कमिटी ने सुझाव दिया कि परियोजनाओं को पूरा करने के लिए वित्तपोषण को प्राथमिकता वाला वित्तपोषण माना जाना चाहिए और स्वामी फंड को इन रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से वित्त प्रदान करना चाहिए। 

परियोजनाओं के लिए अंतिम उपाय के रूप में आईबीसी का उपयोग: कमिटी ने सुझाव दिया कि रियल एस्टेट परियोजनाओं के मामले में आईबीसी का उपयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिए। कमिटी ने यह भी सलाह दिया कि राज्य सरकारों/बिल्डरों/बैंकरों/क्रेताओं/भूमि प्राधिकरणों को उन मामलों में और मुकदमेबाजी से बचना चाहिए जहां माननीय उच्चतम न्यायालय अपना निर्णय सुना चुका है।  

 

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