सिविल सर्जन डा. दविन्दरजीत कौर के निर्देशानुसार सी.एच.सी. चनारथल कबीले के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह के नेतृत्व में मां के दूध के महत्व को लेकर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।इस अवसर पर सी.एच.सी. चनारथल कलां में गर्भवती, धात्री माताओं व उनके परिजनों को जानकारी देते वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डाॅ. सुरिंदर सिंह ने कहा कि नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत होता है।
नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे के अंदर सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए और मां का त्वचा से त्वचा का संपर्क बच्चे से होना चाहिए ताकि मां और बच्चे का स्नेह विकास हो सके । उन्होंने कहा कि जो महिलाएं अपने नवजात शिशुओं को 6 माह तक केवल स्तनपान कराती हैं उनका विकास लगातार होता है और वे अन्य शिशुओं की तुलना में अधिक स्वस्थ रहती हैं।
नवजात शिशुओं में मृत्यु का मुख्य कारण डायरिया और निमोनिया है, जो मुख्य रूप से शिशुओं को बोतल से दूध पिलाने के कारण होता है। इसलिए यदि माताएं अपने बच्चों को जन्म के बाद कम से कम छह माह तक केवल अपना दूध ही पिलाएं तो शिशु मृत्यु दर को और भी कम किया जा सकता है।
इस अवसर पर ब्लॉक एक्सटेंशन एजुकेटर महावीर सिंह ने कहा कि सी.एच.सी. चनारथल कलां के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य संस्थानों में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह "कामकाजी माता-पिता में बदलाव लाने, बच्चे को मां के दूध के लिए उपयुक्त बनाने" थीम के तहत माताओं को नवजात शिशु के लिए मां के दूध के महत्व बारे में जागरूक करने की गतिविधियां आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कामकाजी माता-पिता के बीच अक्सर देखा जाता है कि बच्चे को बोतल से अतिरिक्त दूध पिलाया जाता है, जिससे बच्चों में संक्रमण का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि कामकाजी माताएं अपना दूध स्टील या कांच के कंटेनर में रख सकती हैं, जिसे 6 घंटे तक बच्चे को पिलाया जा सकता है।
इस अवसर पर चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. कंवर पाल सिंह, ब्लॉक एक्सटेंशन एजुकेटर महावीर सिंह, नर्सिंग सिस्टर दलजीत कौर, मंगत राम रेडियोग्राफर, स्टाफ नर्स गुरप्रीत कौर, उपवेद प्रीति जैदका, फार्मेसी ऑफिसर निरपाल सिंह, अमनदीप सिंह, पार्षद चरणवीर सिंह, ए.एन.एम. गीता गौतम, आशा समेत अन्य मौजूद रहे।