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बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम 2016 पूर्व रूप में लागू नहीं हो सकता : Supreme Court

Supreme Court, New Delhi, Supreme Court Of India

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5 Dariya News

नई दिल्ली , 23 Aug 2022

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 की धारा 3(2) को स्पष्ट रूप से मनमाना होने के आधार पर असंवैधानिक करार दिया। प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 1988 के अधिनियम में 2016 का संशोधन अधिनियम प्रकृति में संभावित है और यह पूर्व रूप में लागू नहीं हो सकता। 

धारा 3(2) में प्रावधान है कि जो कोई भी किसी भी बेनामी लेनदेन शुरू करता है तो उसे एक तय अवधि का कारावास, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पीठ ने कहा, "हम 1988 की धारा 3 (2) को असंवैधानिक मानते हैं। 

इस तरह के प्रावधान का पहले जैसा प्रभाव नहीं हो सकता।"पीठ ने कहा कि 2016 के संशोधन को केवल प्रक्रियात्मक नहीं माना जा सकता। फैसले का विस्तृत विवरण प्रतिदिन अपलोड किया जाएगा। शीर्ष अदालत का फैसला कलकत्ता हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर एक अपील पर आया। 

संशोधन के बाद बेनामी लेनदेन के लिए सजा तीन साल से बढ़कर सात साल हो गया और जुर्माना बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य का 25 प्रतिशत तक हो सकता है।

 

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