“ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया है और उन्होंने दुनिया को दिखाया है कि अगर दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के साथ कार्य किया जाए, तो बड़े से बड़े सपने भी हासिल किए जा सकते हैं! ” ये शब्द अमेरिका में इंडियन एम्बेसेडर श्री तरनजीत सिंह संधू ने कहे। इस दौरान वह विश्व सद्भावना की भावना और भाईचारे, सद्भाव, एकीकरण और सामूहिक प्रगति को समर्पित एनआईडी फाउंडेशन द्वारा आयोजित शिकागो, अमेरिका में 'विश्व सद्भावना' कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान अमेरिका में इंडियन एम्बेसेडर श्री तरनजीत सिंह संधू ने बतौर मुख्यातिथि कार्यक्रम में शिरकत की, जिस दौरान उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी पर लिखी गई दो पुस्तकों का विमोचन किया।
इस दौरान दुनियाभर के थॉट लीडर्स, उद्यमी, यूएस सीनेट के सदस्य, कॉरपोरेट नेता, शिक्षाविद और आध्यात्मिक नेताओं सहित यूएसए तथा भारतीय मूल के प्रख्यात गणमान्य, जिनमें सीनियर अमेरिकी सीनेटर रॉन जॉनसन, भारतीय आध्यात्मिक नेता गुरुदेव श्री श्री रविशंकर, विस्कॉन्सिन-पार्कसाइड यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ डेबी फोर्ड, रॉबिन वोस, विस्कॉन्सिन राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, एनआईडी फाउंडेशन के चीफ पेट्रन स. सतनाम सिंह संधू तथा प्रमुख अमेरिकी व्यवसायी दर्शन सिंह धालीवाल और भारतीय संसद के सदस्य हंस राज हंस विशेष तौर पर मौजूद रहे।
सभा को संबोधित करते हुए, अमेरिका में इंडियन एम्बेसेडर स. तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी दृष्टिकोण, उनके नेतृत्व गुणों तथा सबसे बढ़कर मानवता के लिए उनकी विनम्रता व प्रेम ने उन्हें सही मायने में एक ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित किया है। एम्बेसेडर संधू ने कहा, कि प्रधान मंत्री भारत-अमेरिका संबंधों की क्षमता को समझते हैं और उन्होंने दोनों देशों के बीच विश्वास के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अमेरिका को प्रधानमंत्री ने एक बहुत करीबी दोस्त और एक मजबूत साथी के रूप में देखा, जो लगभग 1.4 बिलियन भारतीयों के सपनों और विकास की आकांक्षाओं को वास्तविकता में बदलने के लिए महत्वपूर्ण था। भारत और अमेरिका किसी भी अन्य देश की तुलना में आज एक-दूसरे के साथ अधिक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास करते हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार जो 1990 के दशक के अंत में 0 डॉलर था, अब 20 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। इसी तरह, हमारा एनर्जी ट्रेड, जो 5 साल पहले 0डॉलर था, आज 20 बिलियन डॉलर है। पिछला साल इस दिशा में ऐतिहासिक रहा, जब हमने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार में 160 अरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत युवाओं का देश है। "लगभग 1.4 बिलियन भारतीय लोगों में से 50% 26 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं और वे भारत में यूएसए के सबसे अच्छे दोस्त हैं, क्योंकि इन युवाओं में ऊर्जा और सकारात्मकता है। वे अमेरिका को बहुत सकारात्मक नजरिए से देखते हैं। 2,00,000 से अधिक भारतीय छात्र यूएसए में पढ़ रहे हैं और उनमें से 2/3 एसटीईएम क्षेत्रों में हैं, जो यूएसए के लिए बहुत महत्तवपूर्ण क्षेत्र हैं।
उन्होंने कहा कि “जहां एक ओर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी विकसित देशों में वैश्विक निर्णयों को प्रभावित करते हैं, वहीं वह विकासशील देशों की मजबूत आवाज बने हैं। चाहे शिक्षा और स्पेस रिसर्च से लेकर पूरी दुनिया को कोविड-19 टीके प्रदान करने का कार्य हो; ग्लासगो में सीओपी26 ग्लोबल लीडर्स समिट से लेकर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दावोस समिट के दौरान श्री नरेंद्र मोदी ने वास्तव में दुनिया का मार्गदर्शन किया है।
इस दौरान एम्बेसेडर संधू ने आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पर लिखी गई दो पुस्तकों का विमोचन किया गया, जो उनके अद्वितीय और सुशासन मॉडल, मानवता और विशेष तौर पर भारतीयों के लिए उनके प्यार तथा स्नेह को दर्शाती हैं। एनआईडी फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित, 'हार्टफेल्ट-दि लिगेसी ऑफ फेथ' पुस्तक प्रधानमंत्री जी के पंजाबियत और सिखों के प्रति स्नेह को दर्शाती है।
सद्भावना कार्यक्रम के माध्यम से इस पुस्तक की प्रस्तुति इसलिए भी आवश्यक थी, ताकि सिखों के इतिहास की इबारत में स्वर्णिम अक्षरों में उल्लिखित प्रधानमंत्री जी के ऐतिहासिक प्रयास और सद्भावना की मेजबानी अवश्य ही भारत के उज्ज्वल भविष्य का मार्गदर्शन करें। अमेरिका में प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. भरत बरई की दूसरी पुस्तक, 'मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी', बौद्धिक और डोमेन एक्सपर्ट्स द्वारा लिखे गए कुछ अध्यायों का संकलन है, जो पिछले 20 सालों में गुजरात में एक अनोखे शासन मॉडल और संपूर्ण राष्ट्र में अभूतपूर्व परिवर्तन के बारे में बताता है।
एनआईडी फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस तरह के आयोजनों की श्रृंखला में इसी तरह का सद्भावना कार्यक्रम इस साल अप्रैल में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जो भारत सहित विदेशों में रहने वाली 138 से ज्यादा सिख शख्सियतों का मेजबान बना। सद्भावना की मुख्यधारा से जुड़े सिख संत समाज ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से मुलाकात की, जहां सद्भावना कार्यक्रम का मंच विश्वास और स्नेह की उस कड़ी का सूत्रधार बना, जिसकी सिख समाज वर्षों से प्रतीक्षा कर रहा था।
अपने संबोधन में, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कहा कि सद्भावना का अर्थ है कल्याण, लोगों में एकता और सद्भावना लाना है, जिसकी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दुनिया को सबसे ज्यादा जरूरत है। पिछले आठ सालों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई विभिन्न पहलों के लिए उनकी सराहना करते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा, “भारत परिवर्तन के एक बहुत महत्त्वपूर्ण पड़ाव पर है, जहां बुनियादी ढांचे के विकास से लेकर, समाज के सबसे गरीब तबके के लोगों तक पहुंच, व्यापार करने में आसानी से लेकर कई अन्य पहलों तक, प्रधान मंत्री द्वारा की गई प्रगति और विकास अभूतपूर्व हैं।
मैं, उन लोगों से अपील करता हूं जो पिछले कुछ सालों में भारत नहीं आए हैं, कृपया भारत आएं और नए, आधुनिक भारत को देखें। श्री श्री ने कहा कि सिख समुदाय भारतीय संस्कृति की रीढ़ रहा है और सभी को सिख समुदाय की अद्वितीय वीरता और करुणा को आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय का अभिवादन 'सत श्री अकाल' सबसे बड़ी शुभकामनाओं में से एक है। यह सत्य और धर्म को बनाए रखने का आह्वान करता है और हमें परमात्मा की शक्ति में विश्वास करने तथा सभी में सुंदरता और ज्ञान की इस शक्ति को देखने का आह्वान करता है।"
श्री श्री ने 'हार्टफेल्ट: द लिगेसी ऑफ फेथ' पुस्तक के साथ आने के लिए एनआईडी फाउंडेशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि “पुस्तक सिख समुदाय के लिए पीएम मोदी के कुछ सबसे ऐतिहासिक फैसलों को उजागर करती है, जिन्हें पुस्तक में सटीक रूप से दर्शाया गया है, चाहे वह 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को मुआवजा हो या करतारपुर कॉरिडोर खोलने की सिखों की लंबित मांग, चाहे वह गुरु नानक देव जी की विचारधारा और शिक्षाओं को जनता तक ले जाने के लिए 15 अन्य भाषाओं में गुरु नानक बानी का अनुवाद हो या पाकिस्तान में सिख विरासत की सुरक्षा। मैं एनआईडी फाउंडेशन और स. सतनाम सिंह संधू को बधाई देता हूं, जो चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के माध्यम से हजारों युवाओं को शिक्षा प्रदान करने के साथ सद्भावना की भावना का प्रसार कर रहे हैं।
"आंतरिक और बाहरी शांति हमारा मंत्र है, जैसा कि सभी 10 सिख गुरुओं का मानना है, आंतरिक शांति के बिना बाहरी शांति नहीं हो सकती। आइए हम सब सद्भावना में एकजुट हों और उन सभी की मदद करें, जिन्हें मदद की ज़रूरत है। इस अवसर पर बात करते हुए, रॉन जॉनसन ने कहा कि भारत में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से यूएस-इंडो द्विपक्षीय संबंध पहले से भी बेहतर हुए हैं। उन्होंने कहा कि “अमेरिका ने हमेशा भारत को अपना सच्चा सहयोगी माना है।
पिछले महीने क्वाड समिट में, हमारे राष्ट्रपति जो बिडेन ने दोहराया कि वह भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी को और बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भारत के कोविड वैक्सीनेशन के वैश्विक प्रयासों की सराहना की तथा उनका मानना है कि दोनों देश बहुत से क्षेत्रों में एक साथ कार्य कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि किसी भी देश के महान बनने में राष्ट्र द्वारा अपने लोगों की स्वतंत्रता की सुरक्षा आवश्यक है, जॉनसन ने कहा कि दोनों देशों- अमेरिका और भारत में लाखों लोगों ने उस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी है और अपनी जान गंवाई है। “भारतीय मूल के लोग हमारे राष्ट्र को अधिक शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने में हमारी मदद करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण विश्व के लिए भारत के साथ हमारे संबंध विशेष और मजबूत होने चाहिए।"
इस अवसर पर एनआईडी फाउंडेशन के चीफ पेट्रन स. सतनाम सिंह संधू ने प्रधान मंत्री मोदी जी को एक अद्भुत नेता, अत्यधिक अनुभवी रणनीतिकार और एक महान मानवतावादी के रूप में सम्मानित किया और उनके नेतृत्व में वर्तमान सरकार के सिख समर्थक कार्यों के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि "प्रधानमंत्री जी के राजनीतिक और मानवीय कौशल ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत के 'विश्व गुरु' (विश्व नेता) बनने के मार्ग में प्रवासी भारतीयों की भूमिका फिर से सबसे महत्वपूर्ण बनी है। किसी भी देश की हर यात्रा पर, प्रधानमंत्री जी हमेशा अपने भारतीय समुदाय के लोगों से मिलने, उनसे बात करने और उनके सामने आने वाली किसी भी समस्या या मुद्दों का जायजा लेने के लिए समय निकालते हैं।
उन्होंने कहा कि विश्व सद्भावना की भावना का वैश्विक स्तर पर लोगों और मानवता के लिए माननीय प्रधान मंत्री जी के प्यार और सम्मान से उद्भव हुआ है। स. संधू ने कहा कि एनआईडी फाउंडेशन की पुस्तक 'हार्टफेल्ट-दि लिगेसी ऑफ फेथ' पुस्तक के माध्यम से प्रधानमंत्री जी के पंजाबियत और सिख समुदाय के प्रति सम्मान तथा स्नेह को प्रदर्शित करने का एक अद्भुत व ईमानदार प्रयास है।
उन्होंने कहा कि पहली पुस्तक में जहां प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सुशासन मॉडल को दर्शाया गया है, वहीं दूसरी पुस्तक में सिख समुदाय के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहलों का वर्णन है। उन्होंने प्रधानमंत्री के सुशासन मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता के कारण देश की छवि में वैश्विक स्तर पर सुधार हुआ है और देश पर लगे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का कलंक हटा दिया है।
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक सिख जीवन के पांच सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों सत्य, संतोष, दया, विनम्रता और प्रेम पर आधारित है, जिन्हें प्रधानमंत्री जी के शासन मॉडल में सर्वत: महसूस किया जा सकता है। सिख जीवन के पांच आवश्यक गुणों को केंद्र बिंदु मानते हुए, यह पुस्तक सिखों और पंजाब के हित तथा कल्याण के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा की गई विभिन्न पहलों को दर्शाती है।
पुस्तक में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के एक राजनेता के रूप में अपने शुरुआती दिनों में सिखों और पंजाब के साथ घनिष्ठ संबंध का विवरण दिया गया है, क्योंकि उन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर सिख गुरुओं की शिक्षाओं का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं और सिख समुदाय के लिए उनके स्नेह ने सरकार में समुदाय के कल्याण और हित के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए।
उल्लेखनीय है कि एनआईडी फाउंडेशन राष्ट्र निर्माण के लिए अथक प्रयास कर रही है। नई शिक्षा नीति को लागू करने से लेकर भारतीय विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टॉप पदों पर लाने तक, फाउंडेशन द्वारा अपनी स्थापना के बाद से कई निर्णायक प्रयास किए गए हैं। इस दौरान बात करते हुए विस्कॉन्सिन-पार्कसाइड यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. डेबी फोर्ड, ने शिक्षा के लिए एनआईडी फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना की और कहा कि दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के बीच नई साझेदारी बनाने के लिए फाउंडेशन द्वारा दिए गए अवसर बहुमूल्य हैं, क्योंकि वे विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमियों से भविष्य के ग्रेजुएट्स और पेशेवरों को सीखने का मौका देते हैं।
डॉ. फोर्ड ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा हेतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी बनाने की दिशा में प्रयास सराहनीय हैं।"यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि एनआईडी फाउंडेशन राष्ट्र;निर्माण के लिए अथक प्रयास कर रही है। नई शिक्षा नीति को लागू करने से लेकर भारतीय विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष पदों पर लाने तक, फाउंडेशन द्वारा अपनी स्थापना के बाद से कई निर्णायक कदम उठाए गए हैं।