UP में माहौल ठीक नजर नहीं आ रहा है। जुमे वाले दिन कानपुर में हुई हिंसा के बाद अब आगरा में बवाल हो गया। ये बवाल बाइक की मामूली टक्कर के बाद हुआ। माहौल इतना खराब हो गया कि दो समुदाय आपस में भिड़ गए और जमकर पथराव हुआ। पथराव ताजगंज के बसई खुर्द इलाके में हुआ। पत्थरबाजी के बाद वहां का माहौल तनावपूर्ण हो गया था। फोर्स मौके पर आई और स्थिति को संभालने की कोशिश की।खबर है कि बसई खुर्द इलाके की सड़क बनाई जा रही है और दोनों तरफ टाइल्स पड़े हुए हैं।
एक मोटरसाइकिल सवार वहां से गुजर रहा था। तभी उसकी मोटरसाइकिल स्लिप कर गई और एक व्यक्ति से टकरा गई। इसके बाद दोनों के बीच कहासुनी हो गई और कहासुनी अचानक पथराव में बदल गई। दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया। एक-दूसरे के ऊपर पत्थर फेंके जाने लगे। पथराव की सूचना पुलिस तक पहुंची। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में किया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जुमे की नमाज के बाद कानपुर में हिंसा के बाद अब स्थिति कंट्रोल में लेकिन पथराव की घटना के पीछे साजिश के कईं तार खुल रहे हैं। कानपुर में हिंसा से PFI से सीधा कनेक्शन जुड़ रहा है।
जो लोग गिरफ्तार हुए हैं, उनमें से कुछ से PFI से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं। हिंसा के मास्टरमाइंड बताए जा रहे जफर हाशमी के दफ्तर से भी PFI की स्टूडेंट विंग CFI के दस्तावेज मिले हैं। खबर है कि बवाल के बाद जफर हयात हाशमी लखनऊ के अपने दफ्तर में छिपा था। इसके दफ्तर से कुछ यूट्यूब चैनल चलाए जाते थे। इन्हीं चैनलों के जरिए 3 जून को कानपुर बंद की अपील जारी की गई थी। हिंसा से जुडे कुछ वीडियो भी बताते हैं कि ये पूरी साजिश थी। एक वीडियो में दिख रहा है कि उग्र भीड़ अपने साथ एक ठेला लेकर चल रही है। इस ठेले पर पत्थरों का जखीरा है। हिंसा में शामिल तीन-चार लोग इस ठेले को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं और बाकी इसी ठेले से उठाकर पत्थर बरसा रहे हैं। जांच में पता चला है कि चंद्रेश्वर हाता में रहने वाले हिंदू परिवार निशाने पर थे।
अब तक 36 दंगाई पुलिक के हत्थे लगे-
कानपुर हिंसा मामले में अब तक पुलिस ने 36 उपद्रवियों की पहचान कर ली है। पुलिस ने अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसमें कानपुर हिंसा का मास्टरमाइंड जफर हयात हाशमी के अलावा जावेद अहमद खान, मोहम्मद राहिल और मोहम्मद सुफियान अहम नाम शामिल हैं। जबकि सपा नेता का नाम लिस्ट में पांचवें नंबर पर है। इस मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड जफर हयात हाशमी ने पूछताछ में बताया है कि जानबूझकर 3 जून की तारीख तय की गई थी ताकि देश को संदेश दिया जा सके क्यों उस समय वहां प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों मौजूद थे। उसका कहना था कि वह अपने मकसद में कामयाब रहा है।