कश्मीर में दिन ब दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। टारगेट किलिंग के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे। टारगेट किलिंग के खिलाफ आज कश्मीरी पंडितों ने सामूहिक पलायन की बात कही है वहीं कश्मीर के हिंदू अमित शाह से काफी नाराज है। आतंकी बीते 26 दिन में 10 लोगों की हत्या कर चुके हैं। अब कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन जारी है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गृह मंत्री अमित शाह लगातार दूसरे दिन उच्चस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं। शाह की NSA आजीत डोभाल से ये दो दिन में लगातार दूसरी मीटिंग है।
अब सरकार ने टारगेट किलिंग कर रहे आतंकियों से निपटने के लिए एक पुख्ता प्लान की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।आपको बता दें कि खौफ के कारण कश्मीरी हिंदू कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। कश्मीरी पंडितों ने अपना दर्द और खौफ बयां किया। वह बोले कि इस बात की हमें निराशा है कि सरकार हमें बचाने में विफल रही है। उन्होंने अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि जब कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया जा रहा था, तब शाह अक्षय कुमार की फिल्म प्रमोट कर रहे थे। अब 90 के दशक के भयावह दौर की यादें ताजा हो चुकी हैं। घाटी से एक बार फिर बचे-खुचे कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हो गया है।
विजय कुमार की हत्या के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली में NSA अजीत डोभाल और रॉ चीफ सामंत गोयल के साथ बैठक की। मीटिंग में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा हुई और एनएसए के साथ मीटिंग कर एंटी-टेरर स्ट्रैटिजी पर चर्चा की। वहीं आज यानी शुक्रवार को भी अमित शाह अजीत डोभाल के साथ मीटिंग करेंगे। इस मीटिंग में रॉ चीफ सामंत गोयल भी मौजूद रहेंगे। आपको बता दें कि टारगेट किलिंग में ज्यादातर वे आतंकी शामिल हैं, जिनका पहले का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है और न ही उन सबने किसी टेरर कैंप में ट्रेनिंग ली है। ये आतंकी सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बन चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने भी रणनीति बदली है। आतंकवादी अब छोटे-मोटे अपराध या फिर बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले स्थानीय युवाओं को लालच देकर भर्ती कर रहे हैं। रेगुलर आतंकी स्थानीय युवाओं को पैसे या ड्रग का लालच दे रहे हैं। उन्हें पिस्टल की सप्लाई की जा रही है और ये युवा 'पार्ट टाइम आतंकी' या 'हाइब्रिड आतंकी' के तौर पर काम कर रहे हैं। ऐसे समय में जब कश्मीर में हालात बेकाबू हैं तब डोभाल के साथ शाह की मीटिंग काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। दोनों मिलकर कश्मीर में शांति बहाली का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। सरकार की सबसे बड़ी चुनौती कश्मीरी पंडितों का भरोसा जीतने की है। देखना ये है कि शाह-डोभाल की इस मीटिंग के बाद कश्मीर में आतंकियों पर क्या एक्शन होता है।