पटियाला से सांसद परनीत कौर ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को सांसद सदस्यों का एम.पी. लैंड फंड तुरंत बहाल करने की मांग की है। परनीत कौर ने मंगलवार को लोकसभा में वित्तीय बिल पर चर्चा मौके संबोधन करते हुए कहा कि सांसदीय सदस्यों का अधिकार है कि हम अपने हलकों की ज़रूरतों को दबाने से रोक सकें। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री को अपील भी की कि कोविड महामारी दौरान हमारी फ्रंटलाईन वर्करों के तौर पर काम कर रही आशा वर्करों के वेतन बढ़ाए जाएं। केंद्रीय वित्त मंत्री की तरफ से साल 2021-22 केंद्रीय बजट में कृषि आधारभूत ढांचा और विकास सैस जोड़े जाने के मुद्दे पर भी सांसद परनीत कौर ने कहा कि यह सैस जहां हमारे संघी वित्तीय ढांचे पर बुरा प्रभाव डालेगा, वहीं राज्यों के मालीया हिस्से को भी चोट पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करना बेहद कठिन हो जाएगा। उन्होंने वित्तीय विल 2021 का जिक्र करते हुए कहा कि, इसमें से भी बहुसंख्यक व्यवस्थाएं मनी बिल की परिभाषा मुताबिक पूरी नहीं की जा सकती, क्योंकि यह व्यवस्थाएं, टैक्सों, सरकार से पैसा उधार लेने के अलावा ना ही खर्चा और न ही प्राप्तियों के साथ जुड़ी हुई हैं, जो कि भारत के संगठित फंड में शामिल है।सांसद ने अफसोस के साथ कहा कि वित्तीय बिल के द्वारा ऐसे प्रस्तावों को आगे धकेलना केवल संसदीय जांच से बचने की कोशिश ही कही जा सकती है, क्योंकि मनी बिल के मामले में राज्यसभा को इसको रद्द करने या सुधारने का अधिकार ही नहीं है।
यह बिल्कुल उसी तरह ही है जैसे सरकार महत्वपूर्ण बिलों को संसद के घेरे से बाहर निकालकर और संसदीय पड़ताल से बचने के लिए आरडीनैंसों का रास्ता अपनाती है। कोविड महामारी से देश की आर्थिकता पर पड़े प्रभावों बारे बोलते हुए परनीत कौर ने कहा कि हमारा कृषि सैक्टर अकेला ऐसा सैक्टर था, जो कि हमारी आर्थिकता के लिए उम्मीद की किरण साबित हुआ था, इस क्षेत्र को छोड़ कर हर दूसरा क्षेत्र इस महामारी से प्रभावित हुआ है। यह केवल सिर्फ और सिर्फ हमारे उन मेहनती किसानों और मजदूरों करके ही संभव हो सका था जोकि आज अपनी जायज मांगों के लिए अमन शान्ति और धीरज के साथ प्रदर्शन करने लिए मजबूर हैं। पटियाला से सांसद ने केंद्र सरकार से टैक्स राहत की आकांक्षा करते हुए तनखाहदार मुलाजिमों की बात करते कहा कि, बड़ी उम्मीदों के बावजूद कर दाताओं के इस बड़े वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई, क्योंकि वेतन व पैनशनरों के लिए मानक कटौती पहले की तरह ही जारी है। हालांकि तालाबंदी के कई पड़ावों करके 2.1 करोड़ से और ज्यादा मुलाजिमों की नौकरियां चलीं गई और जो अपने वेतन और मेहनताने पर भारी कट लगवा कर नौकरियां बचाने में सफल भी रहे, को भी कोई राहत नहीं दी गई।केंद्रीय वित्त मंत्री की तरफ से सीनियर सिटीजनस को छूट देने को भी गुमराहकुन करार देते हुए परनीत कौर ने कहा कि वित्त मंत्री की तरफ से 75 साल या इससे ज्यादा उम्र के नागरिकों को आमदन कर रिटर्न भरने से छूट देने का प्रस्ताव भी एक भ्रम से अधिक कुछ नहीं है, क्योंकि यह प्रस्तावत भी बिना शर्त नहीं हैं और न ही यह आमदन कर से छूट के संकेत है, जैसे कि गलती के साथ पहले इन को बहुते की तरफ से खुशी का एक पल मान लिया गया था। उन्हेांने कहा कि छूट तो केवल कुछ शर्तों पर आधारित रिटर्न भरने से ही है।