Tuesday, 07 May 2024

 

 

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महिला अधिकारों और समानता के लिए बनाई गई योजनाओं को जमीनी स्तर पर लाना समय की आवश्यकता : सुप्रीत धीमान

केवल सशक्त महिलाएं ही सशक्त समाज का निर्माण करती हैं : ललिता चौधरी

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घड़ूआं , 08 Mar 2021

'जेंडर इक्वेलिटी एंड वीमेन एम्पॉवरमेंट की रिपोर्टस के मुताबिक सिर्फ  42.2 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जो पुरुषों के समान वेतन प्राप्त करती हैं, वहीं शिक्षा के क्षेत्र में लड़कों की तुलना में लड़कियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद उन्हें शिक्षा हासिल करने के लिए उपयुक्त अवसर और साधन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।' ये शब्द चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में 'महिला सशक्तिकरण : देश के सामाजिक-आर्थिक विकास की कुंजी' विषय पर आयोजित विशेष समारोह के दौरान लेखिका सुप्रीत धीमान ने कहे। इस दौरान लेखन, उद्योग, खेल और कला जैसे विभिन्न क्षेत्रों की प्रख्यात महिलाओं ने कार्यक्रम में शिरकत कर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर स. सतनाम सिंह संधू विशेष रूप से उपस्थित रहे।समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी व उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा 'वीमेन आइकॉन ऑफ दि इयर' अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसके अंतर्गत साहित्य के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए प्रख्यात लेखिका काना सिंह; खेल के क्षेत्र में प्रेरणा के रूप में उभरी इंडियन शूटर सुश्री गौरी शियोरन; सामाजिक सेवाओं के लिए प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता, उद्यमी, लेखिका सुप्रीत धीमान; उद्योग और उत्कृष्ट सामाजिक सेवाओं के लिए प्रख्यात फैशन डिजाइनर, उद्यमी व सामाजिक कार्यकर्ता ललिता चौधरी; मनोरंजन के क्षेत्र में असाधारण उपल​ब्धियों के लिए मिस ग्रांड इंटरनेशनल पंखुडी गिडवानी और रेडियो जॉकी 92.7 बिग एमएम की मेघा; पत्रकारिता में अनुकरणीय योगदान के लिए दैनिक ट्रिब्यून एडिटर मीनाक्षी वशिष्ठ को चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा वीमेन आइकन ऑफ दि इयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।विचार-चर्चा के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए सुप्रीत धीमान ने कहा कि महिलाओं के लिए बनाई गई योजनाओं के सही कार्यान्वयन के बिना धरातल पर उनकी सार्थकता सिद्ध नहीं हो रही है। इसके अतिरिक्त उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 2017 में हुए सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि आज भी कार्यस्थलों पर 88 प्रतिशत महिलाएं शोषण का शिकार हो रही हैं, वहीं 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं प्रतिदिन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। उन्होंने कहा कि महज कागजों पर नियम-कानून बनाने तक नहीं सीमित रहना चाहिए, बल्कि लड़कियों का साथ देकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

इस अवसर पर ललिता चौधरी ने कहा कि महिलाओं को अपनी शक्ति और अधिकारों को समझना होगा और स्वतंत्रता के सही अर्थ को पहचानकर, महिलाएं स्वस्थ राष्ट्र निर्माण और परिवार कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। उन्होंने नारीवाद और महिला सशक्तिकरण को दो अलग-अलग चीजें करार दिया और कहा कि महिलाओं को प्रतिबंधों के माहौल से बाहर आने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वोकल फॉर लोकल की लोकप्रियता के लिए गांवों की महिलाओं से शुरू की जानी चाहिए।इसके अतिरिक्त काना सिंह ने कहा कि महिलाएं पहले से ही शक्तिशाली हैं, जो पूरे परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व साबित कर रही हैं। उन्होंने अपनी लिखी कविता की पंक्तियों का उदाहरण देते हुए कहा कि महिलाओं को सहयोग की जरूरत है, जो उन्हें आगे बढ़ने का हौसला प्रदान करे।इसके अतिरिक्त पंखुडी गिडवानी ने कहा कि महिलाओं को स्वयं पर विश्वास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन के महिलाओं को नौकरी व स्वरोजगार से जोड़ने के प्रयास सराहनीय हैं, जिनके माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भरता को अपनाकर आर्थिक-सामाजिक स्तर पर राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।इसके अतिरिक्त शूटर गौरी ने कहा कि खेल क्षेत्र में महिलाओं के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए तथा प्रत्येक खेल में महिला-पुरुष के लिए समान पुरस्कार राशि का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेल के क्षेत्र में और उत्कृ​ष्ट परिणाम हासिल करने के लिए प्रशासन द्वारा युवाओं को अधिक अवसर तथा सही साधन प्रदान किए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त मीनाक्षी वशिष्ठ ने कहा कि समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए स्थानीय से राज्य स्तर पर बनाई गई विभिन्न कमेटियों का बहुत योगदान है, वहीं अपनी उत्कृष्टता साबित करते हुए महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर आसीन होकर नेतृत्व कर रही है।समारोह के अवसर पर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर स. सतनाम सिंह संधू ने कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां महिलाओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बनकर देश की बागडोर संभाली है। उन्होंने कहा कि जिस समुदाय में महिलाओं को बराबर का दर्जा नहीं मिलता, वहां उन महिलाओं के लिए महिला दिवस निर्थरक प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि इसलिए अगले साल चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी महिला दिवस का आयोजन कैंपस में नहीं, बल्कि किसी गांव में करेगी, जहां महिलाओं को उनके अधिकरों के लिए जागरूक करने के साथ इस समारोह के माध्यम से उनकी शक्ति और उनके अस्तित्व से अवगत करवाया जा सके। अंत में उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए किए गए विभिन्न प्रयास सराहनीय हैं तथा हमें समाज की समृद्धि के लिए महिला-पुरुष दोनों को एकसाथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

 

Tags: Chandigarh University , Gharuan , Chandigarh University Gharuan , Chandigarh Group Of Colleges , Satnam Singh Sandhu. CGC Gharuan , International Women’s Day

 

 

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