लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) ने अपने शांति देवी मित्तल ऑडिटोरियम में ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन अवार्ड्स के तीसरे संस्करण और स्टडी ग्रांट वितरण के प्रथम वार्षिक पुरस्कार समारोह का आयोजन किया, जहाँ माननीय राज्यपाल (पंजाब) वी.पी. सिंह बदनोर ने वर्चुअली सम्बोधन किया और देश भर से चुने गए 667 पुरस्कार प्राप्त प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, स्कूलों और मेधावी छात्रों को पुरस्कृत किया गया। अद्वितीय और नवीनतम विचार के आधार पर, इस आयोजन में पूरे भारत के 5 लाख से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों और माता-पिता की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी देखी गई।यह महसूस करते हुए कि इस आयोजन ने "गुरु - शिष्य परम्परा" की सच्ची भावना को उजागर किया है, राज्यपाल बदनोर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "यहाँ एक ‘शिष्य’ गुरु दक्षिणा देने के लिए अपनी क्षमता से परे चला गया और "गुरु" द्वारा अपने जीवन में किए गए विशेष परिवर्तन के बारे में दुनिया को बताया। भारतीय शिक्षा प्रणाली के मूल्य जो इस तेजी से बदलती दुनिया में लुप्त हो गए लग रहे थे, इस इवेंट के साथ फिर से सामने आए”।उन्होंने यह भी साझा किया कि जिस तरह से विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों के योगदान को पहचाना है; यह शिक्षकों और उनके बीच सबसे मधुर संबंध दर्शाता है।अध्यापन के पेशे को निस्वार्थ सेवा के रूप में उल्लेख करते हुए, राज्यपाल बदनोर ने आगे कहा कि “एक अच्छा शिक्षक बच्चों को अच्छा नागरिक बनने में मदद करके एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण का कार्य करता है। यह एक ऐसा पेशा है, जिसने यह साबित कर दिखाया है कि यह अन्य सभी व्यवसायों को भी सिखाता है। उन्होंने कहा कि "कोविड-19 महामारी के वर्तमान समय के दौरान, शिक्षकों को शिक्षण के नए तरीके से परिचित होने और विद्यार्थियों की प्रेरणा और आकांक्षाओं को उच्च रखने के लिए भी बहुत सारे अतिरिक्त प्रयास करने पड़े हैं। इसकी वजह यह है कि टीचिंग बिरादरी के समर्पण के कारण हम अपने गर्वित देश की युवा प्रतिभाओं के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा के साथ महामारी के इस समय के दौरान भी आगे बढ़ने में सक्षम हुए हैं।
"इस इवेंट को एक प्रभावशाली सामाजिक जिम्मेदारी प्रयास के रूप में बताते हुए, माननीय राज्यपाल ने एलपीयू प्रबंधन को देश के विद्यार्थियों को अपने मेहनती शिक्षकों को धन्यवाद देने के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करने के लिए बधाई दी। माननीय राज्यपाल ने साझा किया कि एलपीयू जिस तरह से अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन अवार्ड्स जैसे प्रयासों के साथ आगे बढ़ रहा है, वह अन्य किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान के लिए भी आगे बढ़ने का सही तरीका है।समारोह में भाग लेने के लिए अवार्ड प्राप्त करने वाले भारत भर से एलपीयू कैंपस पहुंचे थे, जहाँ यह आयोजन सोशल डिस्टन्सिंग और सरकार द्वारा जारी अन्य संबंधित निर्देशों की सख्त पालना के तहत आयोजित किया गया था। देश भर से चुने गए 107 स्कूलों के 412 प्रेरक प्रिंसिपलों, शिक्षकों और स्टूडेंट्स, तथा 255 मेधावी विद्यार्थियों को 2.5 करोड़ रुपए से अधिक के पुरस्कार दिए गए।बुद्धिजीवियों का स्वागत करते और उन्हें संबोधित करते हुए, एलपीयू के चांसलर श्री अशोक मित्तल ने पुरस्कारों के आयोजन के लिए मिले जबर्दस्त रिस्पांस पर प्रसन्नता व्यक्त की। श्री मित्तल ने साझा किया कि ये पुरस्कार देश में शिक्षा की बेहतरी के लिए देश के और अधिक शिक्षकों को प्रेरित करने और प्रोत्साहित करने के लिए हैं। इस अवसर पर एलपीयू की प्रो चांसलर श्रीमती रश्मि मित्तल; कार्यकारी डीन डॉ लोवी राज गुप्ता, डॉ संजय मोदी; सीनियर डीन डॉ मोनिका गुलाटी; हेड एडमिशंस डॉ राजीव सोबती; और, पुरस्कारों के लिए नियुक्त जूरी सदस्य श्री विक्रम पुरी, हेड एग्रो टेक एडवाइजरी- फार्म डिविजन, महिंद्रा एंड महिंद्रा भी उपस्थित थे।एलपीयू के "ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन अवार्ड्स" उन शैक्षिक केंद्रों और उनके शिक्षकों के समर्पित प्रयासों को स्वीकार करने के लिए हैं, जहां छात्र संबंधित केंद्रों और शिक्षकों को कक्षाओं में शिक्षा में परिवर्तन करके अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का श्रेय देते हैं। वार्षिक' स्टडी ग्रांट' का फोकस देश के योग्य और मेधावी छात्रों को पुरस्कृत कर एलपीयू की प्रतिबद्धता स्थापित करना है।