पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अकालियों की तरफ से मुख्यमंत्री राहत फंड में 64 करोड़ की राशि संबंधी सवाल उठाए जा रहे हैं जोकि राज्य सरकार के द्वारा कोविड की रोकथाम के लिए प्रबंधों पर ख़र्च की जा चुकी 300 करोड़ से अधिक रकम के मुकाबले तुच्छ है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने आपातकालीन उद्देश्यों के लिए यह फंड रखे हैं जिनको ज़रूरत पडऩे पर इस्तेमाल किया जायेगा।कोविड सम्बन्धी कामों के लिए राज्य सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री राहत फंड में से सिफऱ् 2.28 करोड़ रुपए ख़र्चने की की जा रही आलोचना के लिए अकालियों की खिल्ली उड़ाते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि कोविड के साथ सम्बन्धित खर्चों को वित्त देने का स्रोत पूरी तरह बेतुका है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्र सरकार, जिसमें अकाली भी हिस्सेदार हैं, से कोई आर्थिक सहायता न मिलने के बावजूद उनकी सरकार ने कोविड सम्बन्धी प्रबंध करने के रास्ते में वित्तीय रुकावटा पैदा नहीं होने दीं।मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि अकालियों को सचमुच ही राज्य में कोविड के फैलाव को रोकने के लिए प्रबंधों का फिक्र है तो उनको केंद्र सरकार से सवाल पूछना चाहिए कि इस कठिन समय में पंजाब सरकार को सहायता क्यों नहीं दी। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित नागरिकों की तरफ से मुख्यमंत्री राहत फंड में डाला जा रहा योगदान एक एमरजैंसी फंड है जिसको राज्य सरकार ने बहुत ज़रूरी हालत जब तत्काल कोई अन्य वैकल्पिक स्रोत मौजूद न हों, के मौके ज़रूरतों की पूर्ति के लिए ख़र्चने के लिए रखा है।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि महामारी से पैदा हुई अनिश्चितता के मद्देनजऱ जो कई महीनों और यहाँ तक कि शायद एक साल या इससे अधिक समय भी तक रह सकती है, किसी भी तरह की संभावित स्थिति से निपटने की तैयारियों के लिए ऐसे आपातकालीन फंड को रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने व्यंग्य करते हुये कहा कि हालाँकि, अकाली स्पष्ट तौर पर ऐसी आपातकालीन तैयारियों में विश्वास नहीं रखते जिसकी मिसाल इनके 10 सालों के शासनकाल के दौरान पैदा हुई आपातकालीन स्थिति के साथ निपटने में इनकी नाकाबलियत से ली जा सकती है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि राहत फंड में बाकी पड़े 64,86,10,456 रुपए की रकम उन करोड़ों रुपये के मुकाबले समुद्र में बूँद की तरह हैं, जो उनकी सरकार कोरोनावायरस के खि़लाफ़ लड़ाई के लिए बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने, कोविड इलाज केन्द्रों की स्थापति, अतिरिक्त मैडीकल और पैरामैडिकल स्टाफ के सम्मिलन, पी.पी.ई किटों की खरीद और अन्य ज़रूरी उपकणों पर पहले ही ख़र्च चुकी है। उन्होंने कहा कि अब तक स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अकेले ही अन्य ज़रूरतों के साथ-साथ ऐंबूलैंसों, ऑक्सीजन सिलंडरों, उपभोगी वस्तुएँ, दवाओँ, तीन परत वाले मास्कों, एन.95, पी.पी.ई, वी.टी.एम किटों जैसी कोविड इलाज के लिए ज़रूरी चीजों पर 150 करोड़ रूपये के करीब ख़र्च किये गए हैं।मुख्यमंत्री ने बताया कि इसके अलावा राज्य सरकार 398 श्रमिक रेल गाडिय़ों के द्वारा 5.20 लाख प्रवासी कामगारों को उनके जद्दी राज्यों में घरों तक पहुँचाने के लिए 29.5 करोड़ ख़र्च कर चुकी है। मुख्यमंत्री की तरफ से यह शिरोमणि अकाली दल की तरफ से की जा रही आलोचना कि मुख्यमंत्री राहत फंड का प्रयोग प्रवासी कामगारों की सहायता के लिए नहीं किया गया, संबंधी प्रतिक्रिया प्रकटाते हुये कहा गया। मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि राज्य में आर्थिक पक्ष से कमज़ोर और गरीबों के लिए खाद्य वस्तुओं और ज़रूरी चीजों की सप्लाई पर भी करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि शिरोमणि अकाली दल की तरफ से अपने बयान में कहीं भी किसी अस्पताल के मामले संबंधी स्पष्ट जि़क्र नहीं किया गया जहाँ डाक्टरों को सुरक्षा उपकरण न मिले हों या वेंटिलेटर या अन्य सहूलतों की कमी हो। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा कोई मसला अकालियों के ध्यान में है, वह हमारे ध्यान में लाएं जिससे हम समस्या का हल कर सकें। हम कैसे और कहाँ से फंड निकलवा रहे हैं, यह हमारी समस्या है और उनको इस संबंधी चिंता करने की ज़रूरत नहीं।मुख्यमंत्री ने कहा ऐसे संकट के समय में निराधार मसलों पर समय खराब करने और लोगों को अपने ग़ैर-ज़रूरी और बेबुनियाद दोषों के साथ गुमराह करने की बजाय अकालियों को कोविड महामारी के साथ लड़ाई में राज्य सरकार का साथ देना चाहिए।