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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ‘अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन 2018’ का उद्घाटन किया

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5 Dariya News

नई दिल्ली , 23 Aug 2018

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज यहां ‘अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन 2018’ का उद्घाटन किया। पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के.जे. अल्फोन्स ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की। 4 दिवसीय सम्मेलन का आयोजन पर्यटन मंत्रालय ने महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य सरकारों के सहयोग से किया है। यह आयोजन 23 से 26 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली और अजंता (महाराष्ट्र) में चलेगा। इसके बाद राजगीर, नालंदा और बोधगया (बिहार) तथा सारनाथ (उत्तर प्रदेश) स्थानों का अवलोकन होगा। राष्ट्रपति ने महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों पर आधारित पर्यटन मंत्रालय की वेबसाइट indiathelandofbuddha.in को लांच किया। इस अवसर पर देश के बौद्ध स्थलों के बारे में एक नई फिल्म भी जारी की गई है। 24 से 26 अगस्त, 2018 की अवधि के दौरान प्रतिनिधिमंडल को औरंगाबाद, राजगीर, नालंदा, बोधगया और सारनाथ की यात्रा भी कराई जाएगी। बांग्लादेश, इंडोनेशिया, म्यांमार और श्रीलंका से मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सम्मेलन में हिस्सा ले रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में इन 29 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं - ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, कंबोडिया, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, लाओ पीडीआर, मलेशिया, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, नॉर्वे, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, स्लोवाक गणराज्य, स्पेन, श्रीलंका, ताइवान, थाईलैंड, इंग्लैंड, अमेरिका और वियतनाम। अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि बौद्धधर्म का भारत से एशिया गमन और अंतर-महाद्विपीय संपर्क केवल अध्यात्म तक सीमित नहीं थे। वे अपने साथ ज्ञान और शिक्षा का भंडार ले गए थे। वे अपने साथ कला और शिल्प ले गए थे। वे अपने साथ ध्यान की तकनीक और मार्शल आर्ट भी ले गए थे। इसी तरह भिक्षुओं और भिक्षुणियों ने जो मार्ग खोला, वह शुरूआती व्यापार मार्ग के रूप में विकसित हुआ। इस प्रकार बौद्ध धर्म भूमंडलीकरण के शुरूआती रूप का आधार बना है। इसके जरिये हमारे महाद्वीप में आपसी संपर्क बढ़ा। यही सिद्धांत और मूल्य हमारा आज भी मार्गदर्शन करते हैं।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि पर्यटन एक ऐसा उद्यम है, जिसमें कई हितधारक शामिल हैं। निजी क्षेत्र और सिविल सोसाइटी की महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं। आगंतुकों को सुरक्षित और संरक्षित अनुभव प्रदान करने के लिए राज्य और नगर निकाय प्रशासन अहम भूमिका निभाते हैं। पर्यटन में अपार व्यापारिक संभावना मौजूद है। पूरे विश्व में यह उद्योग बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराता है, खासतौर से स्थानीय घरों और स्थानीय समुदायों के लिए। बौद्ध धर्म की तरह पर्यटन भी लोगों से संबंधित होता है और उन्हें अपनी क्षमता के प्रति जागरूक होने में शक्तिसंपन्न बनाता है।अपने संबोधन में श्री के.जे. अल्फोन्स ने कहा कि भारत में एक समृद्ध प्राचीन बौद्ध विरासत मौजूद है तथा भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित यहां कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। भारतीय बौद्ध विरासत पूरे विश्व में बौद्ध धर्म को मानने वालों को आकर्षित करती है। सम्मेलन का उद्देश्य भारत में बौद्ध विरासत को प्रदर्शित करना तथा देश के बौद्ध स्थलों में पर्यटन को बढ़ावा देना है। इसके जरिये बौद्ध धर्म में रुचि रखने वाले समुदायों और देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध भी विकसित होते हैं। अल्फोन्स ने कहा कि सम्मेलन में पर्यटन मंत्रालय और राज्य सरकारें प्रस्तुतिकरण देंगी, विद्वानों और भिक्षुओं के बीच विचार-विमर्श होगा तथा विदेशी और भारतीय टूर-ऑपरेटरों के बीच बी2बी बैठकों का आयोजन किया जाएगा। मंत्रालय ने बौद्ध स्थलों पर विश्वस्तरीय अवसंरचना के विकास के संबंध में निवेश के लिए सम्मेलन के दौरान ‘निवेशक शिखर सम्मेलन’ का भी आयोजन किया है।भारत में जापान के राजदूत श्री केनजी हिरामात्सू ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के साथ जापान के बहुत पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं और पर्यटन भारत-जापान संबंधों में महत्वपूर्ण हैसियत रखता है। भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक संबंध लगातार कायम हैं। 

बौद्ध धर्म के संवर्धन के लिए जापान अपने यहां बौद्ध स्थलों के पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है। पर्यटन सचिव श्रीमती रश्मि वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि बौद्ध धर्म भारत की संस्कृति को भूटान, चीन, कंबोडिया, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, म्यांमार, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों से जोड़ता है। विश्व में लगभग 500 मिलियन बौद्ध धर्म के मानने वाले हैं, जो विश्व की आबादी का 7 प्रतिशत है। इस तरह बौद्ध धर्म के अनुयायी विश्व में चौथे सबसे बड़े समुदाय हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जापान हमारा प्रतिभागी देश है, जिसके लिए हमें गर्व है। उन्होंने जापान के राजदूत के नेतृत्व में जापानी प्रतिनिधिमंडल की बड़े पैमाने पर भागीदारी के लिए उसकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पर्यटन मंत्रालय ने देश के 12 कलस्टरों में 17 स्थलों की पहचान की है। 2018-19 की बजट घोषणा के अनुरूप इन स्थलों को आइकोनिक पर्यटन स्थल विकास परियोजना के अंतर्गत विकसित किया जाएगा। स्थल से संपर्क, स्थल पर पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं, कौशल विकास, स्थानीय समुदाय की भागीदारी, निजी निवेश के द्वारा स्थल को बढ़ावा देना और ब्रांड निर्माण करना – इन सभी विषयों को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय इन स्थलों को विकसित करेगी। मंत्रालय ने आइकोनिक स्थल के रूप में दो स्थानों की पहचान की है – महाबोधी मंदिर, बिहार और अजंता, महाराष्ट्र।पर्यटन मंत्रालय प्रत्येक दो वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन आयोजित करता है। पिछला सम्मेलन सारनाथ/वाराणसी और बोधगया में आयोजित किया गया था। (अक्टूबर, 2016)

आईबीसी-2018 में धार्मिक/आध्यात्मिक, अकादमिक और राजनयिक व व्यापारिक आयाम शामिल हैं। पर्यटन मंत्रालय ने बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों के वरिष्ठ नेताओं, विद्वानों, जन-नेताओं, पत्रकारों, अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू टूर संचालक आदि को आमंत्रित किया है। 

उन देशों को भी आमंत्रित किया गया है जहां बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। इसमें आसियान देश और जापान शामिल है। विदेश स्थित भारतीय मिशनों ने बौद्ध धर्म के विद्वानों, संतों और जनमत निर्माताओं की पहचान की है और आमंत्रित किया है। अनुमान है कि पूरे विश्व में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या 50 करोड़ है और इनमें से अधिकांश पूर्व एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और सुदूर पूर्व देशों में रहते हैं। लेकिन बौद्ध धर्मावलंबियों की एक छोटी संख्या ही प्रत्येक वर्ष बौद्ध स्थलों के भ्रमण के लिए भारत आती है। इसलिए जहां भगवान बुद्ध ने जीवन व्यतीत किया और उपदेश दिए, उन स्थलों में पर्यटन बढ़ने की असीम संभावनाएं हैं। आसियान, आईबीसी-2016 का विशिष्ट अतिथि था जबकि जापान आईबीसी – 2018 का ‘सहयोगी देश’ है। पूरे विश्व को प्राचीन भारत का सबसे बहुमूल्य उपहार है – भगवान बुद्ध और उनका मार्ग। मार्गों की संख्या आठ है। पाली भाषा में इसे “अत्तथांगिको मग्गू” कहा जाता है। अर्थ की दृष्टि से बुद्ध मार्ग के दो आयाम है। पहले आयाम के अंतर्गत बुद्ध के असाधारण उपदेश आते हैं। इस मार्ग को मध्य मार्ग भी कहा जाता है। जब हम इस मार्ग का अनुसरण करते हैं तो यह हमारे मस्तिष्क में पवित्रता लाता है और इससे हमें शांति, प्रसन्नता और सद्भाव का अनुभव होता है। बुद्ध मार्ग नैतिक मूल्यों पर आधारित जीवन की गुणवत्ता से संबंधित है।दूसरे आयाम के अंतर्गत बुद्ध मार्ग बौद्ध विरासत के आठ महान स्थलों से संबंधित है। इसे पाली में अथमहाथाननी कहा जाता है। ये आठों स्थल बुद्ध के जीवन और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं से संबंधित है। इसमें भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति, धर्म के उपदेश से लेकर मानवता द्वारा अनुभव किए जाने वाले दुःख और उनका महापरिनिर्वाण - सभी शामिल हैं। 80 वर्ष की आयु में उनका महापरिनिर्वाण हुआ जब भगवान बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त किया तो इन स्थलों को बौद्धवाद के मार्ग से जोड़ा गया। बुद्ध मार्ग एक सजीव विरासत है। यह लाखों लोगों को शांति, प्रसन्नता, सद्भाव और सांत्वना के लिए प्रेरित करती है। हम भारतीय बुद्ध के इस आसाधारण विरासत को अत्याधिक महत्व देते हैं और इस पर गर्व करते हैं। इसलिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित छठे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन की थीम है – “बुद्ध मार्ग – सजीव विरासत”।

 

Tags: Ram Nath Kovind , KJ Alphons

 

 

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