पंजाब की शिक्षा मंत्री अरूणा चौधरी के काम करने का अजीब तरीका मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ङ्क्षसह के लिए गंभीर हालात पैदा कर रहा है। पहले पति को अपने कार्यालय में बराबर कुर्सी पर बिठाकर सरकारी फाइलें निपटाना तथा अब पंजाब कैबिनेट से पहले फीसों संबंधी बिल को मंजूरी देने से आठ दिन पहले ही उस पर अमल करने के आदेश देकर एक नई किस्म का विवाद खड़ा कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी पंजाब के उपाध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल तथा प्रदेश सचिव विनीत जोशी ने इसका गंभीर नोटिस लेते हुए इसको मंत्री का गैर जिम्मेदार कदम, प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों से वसूली जा रही भारी भरकम फीसों के मामले पर सरकार में तालमेल की कमी करार दिया है।चंडीगढ़ से जारी एक बयान में भाजपा नेताओं ने बताया कि 11 तारीक को शिक्षा मंत्री ने निजी स्कूलों में फीस 8 फीसदी बढ़ाने तथा इसकी जांच के लिए डिवीजन स्तर पर कमेटियों के गठन के आदेश दिए थे। मंत्री ने अपने आदेशों में दि पंजाब रैगूलेशन ऑफ फीस आफ अन-एडिड एजूकेशनल इंस्टीच्यूशन एक्ट का हवाला दिया था।
जबकि कानून को लागू करने के लिए विभाग द्वारा जो नियम बनाए गए हैं, उनका नोटिफिकेशन जारी ही नहीं हुआ था। कैप्टन अमरिंदर ङ्क्षसह की अगुवाई अधीन मंत्रिमंडल ने इस नोटिफिकेशन पर मोहर 19 तारीख की बैठक में लगाई है। विनीत जोशी ने सवाल किया कि निजी स्कूलों में फीसों को रेशनेलाइज करने के लिए जिन नियमों को लागू करने के लिए मंत्रिमंडल 19 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी कर रहा है। उससे पहले ही मंत्री उसको लागू कैसे करती है।जोशी ने इसको निजी स्कूलों खिलाफ लड़ रहे हजारों अभिभावकों के साथ धोखा करार दिया। उन्होंने बताया कि जिन कमेटियों के पास जाने के लिए मंत्री पिछल एक सप्ताह से लोगों को कह रहे हैं, असल में वह तो कानूनी तौर पर असिस्तत्व में ही नहीं आई। उन्होंने आगे बताया कि इन कमेटियों में शिक्षा माहिरों को शामिल भी किया जाना चाहिए था, जो अभी तक नहीं किया गया।विनीत जोशी ने कहा कि घर के भागय चौखट से दिख जाते हैं, पर साधु सिंह धर्मसोत व अरूणा चौधरी जैसे मंत्रियोयं की कार्यशैली साबित करती है कि सरकार किस तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को सत्ता में आए अभी महीना भी नहीं गुजरा है, पर इसके मंत्रियों का स्तर देखकर पता लग जाता है कि यह सरकार किस तरफ को जा रही है।