पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा ब्लू स्टार ऑपरेशन के संबंध में पंजाब में पैदा हुए तनाव को ख़त्म करने के लिए प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह द्वारा निभाई गई अहम भूमिका को याद किया।प्रसिद्ध लेखक संबंधी एक किताब को जारी करते हुए स्वर्गीय खुशवंत सिंह के साथ अपनी निजी चर्चाओं और संबंधों को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय राज्य में कड़वाहट की आम भावना पैदा हो गई थी और लोगों की उत्तेजना को घटाने के लिए एक टीम नियुक्त की गई थी जिसका खुशवंत सिंह एक प्रमुख सदस्य था।कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि खुशवंत सिंह अपने पीछे एक महत्वपूर्ण विरासत छोड़ गया है जो सच में विश्वास करने से संबंधित है। उन्होने कहा कि खुशवंत सिंह ने जो भी लिखा वह सत्य था और वह महान लेखक और उसकी किताबें लोगों के दिलों और दिमाग़ों में आते समय दौरान जिंदा रहेंगी।भारत में आपातकाल लगाने और नसबंदी संबंधी खुशवंत सिंह द्वारा दिए गए समर्थन के एक प्रशन के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय अपनाये गए ढंग-तरीकों संबंधी कोई भी सहमत या असहमत हो सकता है परन्तु वास्तविकता यह है कि जनसंख्या एक गंभीर मुद्दा है और जिस को हल किये जाने की ज़रूरत है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि खुशवंत सिंह अपने दिल से बोलता था और उसके इस गुण की हर कोई कद्र करता था। वीतासता प्रकाशन की नयी किताब ‘खुशवंत सिंह: इन विसडम एंड इन जैस्ट’ के लोकार्पण के अवसर पर गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर समारोह में शामिल हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि खुशवंत सिंह एक ऐसा आदमी था जो सब से अधिक प्रचंड तरीको से अपनी बात कह सकता थी। यह किताब विजय नारायण शंकर और ओंकार सिंह द्वारा सांझे तौर पर लिखी गई है।किताब के जारी किये जाने के बाद विचार-चर्चा में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह खुशवंत सिंह के ईश्वर के अस्तित्व में संदेह करने वाले खयालों से सहमत नहीं हैं और उनको विश्वास है कि यह सिफऱ् उनके बारे सार्वजनिक धारणा थी। उन्होंने कहा कि वह सिख धार्मिक पाठ ‘‘जप जी साहिब’’ संबंधी बहुत अधिक जानकार था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि वास्तव में खुशवंत सिंह की ‘‘जाप साहिब ’’ का अनुवाद सब से बढिय़ा था। उन्होंने किताब में से नुक्ते उठा कर बताया कि लेखक रात को बंगला साहिब गुरुद्वारा जाता था जिससे यह संकेत मिलता है कि वह धर्म में विश्वास रखता था चाहे कि वह कर्मकांडों का विरोधी था।
कैप्टन अमरिंदर जो कि योजना कमीशन के पूर्व डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह आहलूवालीया और पूर्व अटार्नी जनरल सोलही सोराभजी के साथ मंच पर विराजमान थे, ने कहा कि वह लंबे समय से खुशवंत सिंह को जानते थे और इस किताब ने उसके साथ पूरा न्याय किया है। उन याद किया कि वह मुख्य मंत्री बनने के बाद पहली बारी खुशवंत सिंह के घर किस तरह गए थे और वह डेढ़ घंटा देर से पहुँचने कारण किस तरह वापस आए थे। खुशवंत सिंह ने उनका घर में आने पर स्वागत करने से इंकार कर दिया था। यह रात के खाने का समय था जब कैप्टन अमरिन्दर सिंह काफ़ी देर से पहुँचे थे। मुख्य मंत्री ने एक ओर घटना को भी याद किया जब खुशवंत सिंह ने शिष्टता की अनुपस्थिति कारण उनको भी नहीं था बख्शा। लाहौर दरबार बारे कैप्टन की किताब जारी करने के मौके लेखक ने उनको बताया था ‘‘उस समय की यह पहली किताब है जिस में मेरा हवाला नहीं दिया गया ’’। सोलही सोराभजी ने खुशवंत सिंह को एक विलक्षण व्यक्ति बताया जो कि सिख धर्म के साथ संबंधित होने के बावजूद भी सिक्खों बारे चुटकुले कह सकता था। मोंटेक सिंह आहलूवालीया ने इस मौके कहा कि खुशवंत सिंह ने कई पक्षों से दिल्ली को भरपूर किया है। वह पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का बहुत ज़्यादा प्रशंसक था। अपनी 40 साल की उम्र तक कोई ख़ास प्राप्ति न करने की बात को करते हुए मोंटेक सिंह ने कहा कि वह नौजवानों के लिए सम्मानित व्यक्ति था जो उसकी मिसाल से सीख सकते हैं कि सफलता किसी भी उम्र में मिल सकती है।