मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को उसी स्कूल में शिक्षक की भूमिका में नजर आए, जहां कभी वे विद्यार्थी हुआ करते थे। चौहान शनिवार को राजधानी की शासकीय संजय गांधी माध्यमिक शाला पहुंचे। इस शाला में चौहान ने छठी से आठवीं तक की पढ़ाई की थी। यहां उन्होंने 'मिल बांचे मध्य प्रदेश' कार्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं को पाठ पढ़ाया, कविता सुनाई, जोड़-घटाना किया और शिक्षाप्रद कहानी सुनते-सुनाते हुए उन्हें ज्ञान-संस्कार की सीख दी।मुख्यमंत्री चौहान ने लगभग सवा घंटा बच्चों के साथ शिक्षक के रूप में बिताया। बच्चों के साथ घुल-मिलकर उन्हें छोटी-छोटी बातों से बड़ी-बड़ी सीख दी, जिससे बच्चे उत्साहित थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने बच्चों को बताया कि प्रभावशाली ढंग से अपनी बात कहने और समझने का प्रभावी माध्यम शिक्षा है। उन्होंने अपने छात्र जीवन के प्रसंग के माध्यम से जीवन के निर्माण में शिक्षा और भाषा पर पकड़ की महत्ता को समझाया। उन्होंने बच्चों को गुरु की आज्ञा पालन की महत्ता, आरुणि की गुरु भक्ति की कहानी और देश के लिए प्राणों का न्योछावर करने वाले चंद्रशेखर आजाद के प्रेरक प्रसंग सुनाए। मुख्यमंत्री ने बच्चों से पुस्तकों के पाठ का पठन भी करवाया तथा उससे मिलने वाली शिक्षा पर बात की। इतना ही नहीं बच्चों के गणित ज्ञान के परीक्षण के लिए चौहान ने गुणा-भाग भी कराया।
चौहान ने बच्चों को समझाया कि आत्म-विश्वास व्यक्तित्व का आधार है। सत्य बात कहने में संकोच नहीं करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने बच्चों के साथ प्रश्नोत्तर भी किए। उन्हें माता-पिता और गुरुजन का सदैव सम्मान के लिए प्रेरित किया तथा कमजोरियों पर विजय पाने के लिए निरंतर प्रयास की जरूरत बतलाई।उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि बचपन में वे भी गणित विषय से डरते थे। बोलते भी अत्यंत धीमे थे। उन्होंने अपने गुरु का आभार ज्ञापित किया, जिन्होंने उनकी इन कमियों को दूर करवाया।मुख्यमंत्री ने 'मिल-बांचे मध्य प्रदेश' अभियान की मंशा के अनुरुप बच्चों से पाठ्य-पुस्तक के पाठों का पठन करवाया।
छात्रा गौरवी विश्वकर्मा ने रम्मो और कल्लो की कहानी का पठन किया। दीपू मालवीय ने शिवाजी की जीवनी का वाचन किया। दूसरी कक्षा की छात्रा संतोषी ने प्रार्थना का पाठ किया। छात्र-छात्राओं में भाषा का ज्ञान और समझ बढ़ाने के लिए सरकार के 'मिल-बांचे मध्य प्रदेश' कार्यक्रम में हर वर्ग ने भागीदारी की। इस राज्यव्यापी कार्यक्रम में प्रदेश की 1,12,073 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में दो लाख से ज्यादा लोगों ने बच्चों को पढ़ाया। इनमें राज्य सरकार के विधायक एवं जन-प्रतिनिधि, अधिकारी, समाजसेवी, सेवानिवृत्त अधिकारी, इंजीनियर, डॉक्टर, पूर्व विद्यार्थी तथा हर वर्ग के लोग शामिल हैं।