विपक्षी पार्टियों ने 500 और 1,000 रुपये के नोट अमान्य घोषित किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सोमवार को संसद भवन परिसर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के नजदीक प्रदर्शन किया, जबकि दोनों सदनों में इस मुद्दे पर भारी हंगामा हुआ। कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं ने संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने किया।हालांकि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और जनता दल (युनाइटेड) विरोध प्रदर्शन से दूर रहे, क्योंकि यह मुख्य रूप से कांग्रेस का कार्यक्रम था।बाद में सपा के राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने आईएएनएस से कहा कि विरोध प्रदर्शन को लेकर उनकी पार्टी को अंधेरे में रखा गया।यादव ने कहा, "हमें तो वहां होना ही नहीं था। सुबह में विपक्षी दलों की एक बैठक हुई थी। इस प्रदर्शन के बारे में तब चर्चा नहीं हुई थी। हमें अंधेरे में रखा गया।"हालांकि उन्होंने आगे कहा कि आक्रोश दिवस मनाने में उनकी पार्टी अन्य विपक्षी दलों के साथ है।नोटबंदी का असर 16 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही पर भी पड़ा है। इस दौरान विपक्ष के हंगामे व विरोध-प्रदर्शनों के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के कारण देश में नकदी का संकट खड़ा हो गया है। बैंकों व एटीएम बूथों के बाहर लोगों की लंबी कतारें अब भी जारी हैं।