सारागढ़ी की ऐतिहासिक लड़ाई में दुष्मनों के साथ टक्कर लेते हुए शहादत प्राप्त करने वाले 21 सिख बहादुर सैनिकों की बेमिसाल बलिदान, बहादुरी और जूझारूपन को समर्पित 2 करोड़ की लागत के साथ बना देश का पहला ऐतिहासिक सारागढ़ी म्युजिय़म लोकार्पित किया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों संबंधी मंत्री अनमोल गगन मान के योग्य नेतृत्व में पंजाब सरकार की तरफ से राष्ट्रीय शहीदों की स्मारक, पंजाब के गौरमयी इतिहास संबंधी लोगों को जागरूक करने, राज्य में पर्यटन को प्रोत्साहित करने और ऐतिहासिक महत्व वाले स्थानों के विकास के लिए बड़े प्रयास किये जा रहे हैं, जिसके अंतर्गत आज विधायक स. रणबीर सिंह भुल्लर और डिप्टी कमिश्नर श्री राजेश धीमान ने सारागढ़ी म्युजिय़म का लोकार्पण किया।
उन्होंने बताया कि इस म्युजिय़म में सारागढ़ी जंग के समय इस्तेमाल किए गए सिगनलिंग तकनीक के आर्कीफैक्ट्स, इक्यूपमैंट, कोडिंग, डीकोडिंग को दिखाया गया है, जिससे यहाँ आने वाले लोगों और ख़ास कर स्कूली विद्यार्थियों को ऐतिहासिक के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान भी मिलेगा। इस म्युजिय़म में सात गैलरियाँ बनी हैं, जो कि सारागढ़ी पोस्ट और जंग के अलग-अलग पहलुओं से तस्वीर पेश करती हैं।
पहली गैलरी में सारागढ़ी पोस्ट का मॉडल बनाया गया है और सारागढ़ी जंग का इतिहास भी दिखाया गया है, जिसमें सारागढ़ी के शहीदों के बारे में जानकारी है। गैलरी- 2 में थ्रीडी रंगमंच बनाया गया है जहाँ हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में हज़ारों अफगानों के साथ लड़े 21 सिख सैनिकों की शूरवीरता को समर्पित सारागढ़ी की ऐतिहासिक जंग को दर्शाती पूरी मूवी दिखाई जाती है।
गैलरी-3 में हील्योग्राफी गैलरी है, जिसमें उस समय पर दो किले और एक पोस्ट में किस प्रकार सिगनलिंग होती थी के बारे में लाईव वी.एफ.एक्स. तकनीक के द्वारा दिखाया गया है। गैलरी-4 में टूडी मूवी चलती है, जिसमें इस लड़ाई के बाद के हालातों, घटनाओं, सम्मानों के बारे में विस्तार सहित जानकारी दी गई है। अगली गैलरी में इस लड़ाई के दौरान सिख फौजियों और अफगानों की तरफ से इस्तेमाल किए गए हथियारों और बंदूकों को प्रतिकों द्वारा दिखाया गया है।
छटी गैलरी जिसको लास्ट मैन गैलरी भी कहा जाता है आखिरी शहीद गुरमुख सिंह को समर्पित है। इसके बाद आखिरी गैलरी-7 है जो कि श्रद्धाँजलि गैलरी और सैल्फ़ी गैलरी है। यहाँ सिख फौजियों की बंदूक रखी गई है जहाँ सैंसर लगाया गया है जिसको छूकर शहीदों को श्रद्धाँजलि दी जाती है।
इसी गैलरी में सारागढ़ी जंग के शहीदों का लाइव कटआऊट लगाया गया है जिसके पास खड़े होकर लोग सैल्फ़ी ले सकते हैं। इस गैलरी में उस समय की अख़बारों की कटिंग और महारानी विक्टोरिया द्वारा किया सम्मान, शहीदों के बने यादचिन्हों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इन गैलरियों में टच पैनल लगाए गए हैं जिनमें सारागढ़ी जंग और शहीदों के बारे में पंजाबी और अंग्रेज़ी भाषा में विस्तार से जानकारी ली जा सकती है।
सारागढ़ी के शहीदों के महान बलिदान की याद में बनाया यह अजायबघर 36 सिख के 21 सैनिकों की बेमिसाल गाथा जो कि समाना रिज्ज (अब पाकिस्तान) में घटी थी, जिन्होंने 12 सितम्बर, 1897 को 10,000 अफगानियों के हमले के खि़लाफ़ लड़ाई लड़ते हुए बलिदान दे दिया था, भारतीय फ़ौज के इतिहास में हमेशा मिसाल बनी रहेगी।
पंजाब सरकार द्वारा 2 करोड़ रुपए की राशि ख़र्च कर सारागढ़ी जंग के शहीदों की याद में सारागढ़ी मेमोरियल जिसका नींव पत्थर मुख्यमंत्री द्वारा रखा गया था, का काम भी ज़ोरों पर है। इसके साथ ही सरहदी जि़ले फिऱोज़पुर में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और देश-विदेश के लोगों को पंजाबियों के कीमती बलिदानों के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
इस मौके पर डिप्टी कमिश्नर राजेश धीमान ने कहा कि फिऱोज़पुर में पर्यटन को प्रोत्साहित करने और ऐतिहासिक महत्व वाले स्थानों के विकास के लिए बड़े स्तर पर काम किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सारागढ़ी वॉर म्युजिय़म और सारागढ़ी युद्ध स्मारक के अलावा हूसैनीवाला शहीदी स्मारक का भी नवीनीकरण किया जायेगा, जिसके अंतर्गत शहीदी स्मारकों, पार्कों और इमारतों का सौन्द्रीयकरण, पार्किंग व्यवस्था, तालाब और सैलानियों की सुविधा के लिए 25 करोड़ रुपए की ख़र्च किये जाएंगे।
इस मौके पर एस.डी.एम. फिरोजपुर चारूमिता, सारागढ़ी मेमोरियल ट्रस्ट के मैंबर डॉ. अनिरुद्ध गुप्ता, विनोद चौहान डायरैक्टर वीचायो वोयेज के अलावा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
MLA Ranbir Singh Bhullar, DC Rajesh Dhiman Inaugurate Country’s First Historical Saragarhi Museum In Ferozepur
Rs.25 Cr to be for renovation of Hussainiwala Martyrs Memorial
Ferozepur
The country's first historical Saragarhi Museum built for Rs.2 Cr. was dedicated today to the unparalleled sacrifice, bravery and fighting of 21 brave Sikh soldiers who were martyred in the historical battle of Saragarhi, was dedicated to the public. The inauguration of which was performed by MLA Ferozepur (Urban) Ranbir Singh Bhullar and Deputy Commissioner Rajesh Dhiman.
Under the able leadership of Punjab Chief Minister Bhagwant Singh Mann and Minister for Tourism and Cultural Affairs Anmol Gagan Mann, the Punjab government organized a commemoration of national martyrs, awareness among people about the glorious history of Punjab, promotion of tourism in the state and historical importance and enormous efforts are being made for the development of the places.
MLA said that in this museum, the artefacts, equipment, coding, and decoding of the signalling technology used during the Saragarhi War have been shown, with which the people coming here and especially the school students will get historical as well as technical knowledge. The museum consists of seven galleries that depict the Saragarhi Post and the war from different angles.
The first gallery has a model of the Saragarhi post and also displays the history of the Saragarhi war, including information about the martyrs of Saragarhi. A 3D Theater has been constructed in Gallery-2 where a full movie depicting the historic battle of Saragarhi dedicated to the valour of 21 Sikh soldiers who fought alongside thousands of Afghans led by Havildar Ishar Singh is shown.
Gallery 3 has the heliography gallery which has live VFX on how signalling was done between two forts and a post at that time. The two-way movie is played in Gallery-4, in which detailed information is given about the circumstances, events, and honours after this battle. The next 5th gallery displays replicas of the weapons and guns used by the Sikh soldiers and the Afghans during this battle.
The 6th gallery also known as the Last Man Gallery is dedicated to the last martyr Gurmukh Singh. After this is the last gallery-7 which is the tribute gallery and the selfie gallery. A gun of the Sikh army is kept here where a sensor is installed, by touching which tributes are paid to the martyrs.
In the same gallery, a live cut-out of the martyrs of the Saragarhi war has been installed, standing next to which people can take a selfie. This gallery contains detailed information about the newspaper cuttings of the time and the honours given by Queen Victoria, the memorials made to the martyrs.
Touch panels have been installed in these galleries in which detailed information can be obtained in Punjabi and English language about the Saragarhi war and martyrs. Built to commemorate the great sacrifice of the martyrs of Saragarhi, this museum commemorates the exemplary saga of 21 soldiers of 36 Sikhs that took place at Samana Ridge (now Pakistan), who sacrificed their lives fighting fiercely against an attack by 10,000 Afghans on September 12, 1897.
This will always remain an example in the history of the Indian Army. The work of the Saragarhi Memorial, the foundation stone of which was laid by the Chief Minister in memory of the martyrs of the Saragarhi war, is also in full swing by the Punjab government spending Rs 2 crore.
This will give a boost to the tourism industry in the border district of Ferozepur and the people of the country and abroad will also get information about the precious sacrifices of Punjabis. DC Rajesh Dhiman said that works are being done on a large scale to promote tourism and develop places of historical importance at Ferozepur.
He said that apart from Saragarhi War Museum and Saragarhi War Memorial, Hussainiwala Martyrdom Memorial will also be renovated and Rs.25 crore will be spent for the beautification of martyrdom monuments, parks and buildings, parking arrangements, ponds and facilities for tourists. On this occasion, present among others were SDM Ferozepur Charumita, Member of Saragarhi Memorial Trust Dr. Anirudh Gupta, and Vinod Chauhan, Director VCHAU Voyage.
ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਵਿਖੇ 2 ਕਰੋੜ ਦੀ ਲਾਗਤ ਨਾਲ ਬਣਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਇਤਿਹਾਸਕ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਮਿਊਜ਼ੀਅਮ ਲੋਕ ਅਰਪਿਤ
2 ਕਰੋੜ ਦੀ ਲਾਗਤ ਨਾਲ ਬਣਨ ਵਾਲੇ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਵਾਰ ਮੈਮੋਰੀਅਲ ਦਾ ਕੰਮ ਵੀ ਜ਼ੋਰਾਂ ’ਤੇ
ਫਿਰੋਜ਼ਪੁਰ
ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਦੀ ਇਤਿਹਾਸਕ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਦੁਸ਼ਮਣ ਨਾਲ ਟੱਕਰ ਲੈਂਦਿਆਂ ਸ਼ਹੀਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ 21 ਸਿੱਖ ਬਹਾਦਰ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਲਾਮਿਸਾਲ ਕੁਰਬਾਨੀ, ਬਹਾਦਰੀ ਤੇ ਜੂਝਾਰੂਪਣ ਨੂੰ ਸਮਰਪਿਤ 2 ਕਰੋੜ ਦੀ ਲਾਗਤ ਨਾਲ ਬਣਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਇਤਿਹਾਸਕ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਮਿਊਜ਼ੀਅਮ ਲੋਕ ਅਰਪਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਭਗਵੰਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਤੇ ਸੈਰ ਸਪਾਟਾ ਤੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਮਾਮਲਿਆਂ ਬਾਰੇ ਮੰਤਰੀ ਅਨਮੋਲ ਗਗਨ ਮਾਨ ਦੀ ਯੋਗ ਅਗਵਾਈ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਕੌਮੀ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀ ਯਾਦਗਾਰ, ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸ਼ਾਨਾਮਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਬਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਨ, ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸੈਰ ਸਪਾਟੇ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕ ਮਹੱਤਤਾ ਵਾਲੇ ਸਥਾਨਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਵੱਡੇ ਉਪਰਾਲੇ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਤਹਿਤ ਅੱਜ ਵਿਧਾਇਕ ਸ. ਰਣਬੀਰ ਸਿੰਘ ਭੁੱਲਰ ਅਤੇ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਸ੍ਰੀ ਰਾਜੇਸ਼ ਧੀਮਾਨ ਨੇ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਮਿਊਜ਼ੀਅਮ ਦਾ ਲੋਕ-ਅਰਪਪਣ ਕੀਤਾ।
ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਮਿਊਜ਼ੀਅਮ ਵਿੱਚ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਜੰਗ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ਸਿਗਨਲਿੰਗ ਤਕਨੀਕ ਦੇ ਆਰਕੀਫੈਕਟਸ, ਇਕਿਊਪਮੈਂਟ, ਕੋਡਿੰਗ, ਡਿਕੋਡਿੰਗ ਨੂੰ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਇਥੇ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਅਤੇ ਖਾਸ ਕਰ ਸਕੂਲੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਤਿਹਾਸਕ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਤਕਨੀਕੀ ਗਿਆਨ ਵੀ ਮਿਲੇਗਾ। ਇਸ ਮਿਊਜ਼ੀਅਮ ਵਿੱਚ ਸੱਤ ਗੈਲਰੀਆਂ ਬਣੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਪੋਸਟ ਅਤੇ ਜੰਗ ਦੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਹਲੂਆਂ ਤੋਂ ਤਸਵੀਰ ਪੇਸ਼ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ।
ਪਹਿਲੀ ਗੈਲਰੀ ਵਿੱਚ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਪੋਸਟ ਦਾ ਮਾਡਲ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਜੰਗ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਵੀ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਹੈ। ਗੈਲਰੀ -2 ਵਿੱਚ ਥਰੀ ਡੀ ਥਿਏਟਰ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਹਵਲਦਾਰ ਈਸ਼ਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿੱਚ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਅਫਗਾਨਾਂ ਨਾਲ ਨਾਲ ਲੜੇ 21 ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਸ਼ੂਰਬੀਰਤਾ ਨੂੰ ਸਮਰਪਿਤ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਦੀ ਇਤਿਹਾਸਕ ਜੰਗ ਨੂੰ ਦਰਸਾਊਂਦੀ ਦੀ ਪੂਰੀ ਮੂਵੀ ਦਿਖਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।
ਗੈਲਰੀ-3 ਵਿੱਚ ਹੀਲਿਓਗ੍ਰਾਫੀ ਗੈਲਰੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਵੇਲੇ ਦੋ ਕਿਲੇ ਅਤੇ ਇਕ ਪੋਸਟ ਦੇ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਿਗਨਲਿੰਗ ਹੁੰਦੀ ਸੀ ਬਾਰੇ ਲਈਵ ਵੀ.ਐਫ.ਐਕਸ. ਤਕਨੀਕ ਰਾਹੀਂ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਗੈਲਰੀ-4 ਵਿੱਚ ਟੂ ਡੀ ਮੂਵੀ ਚਲਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਇਸ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੀਆਂ ਹਾਲਾਤਾਂ, ਘਟਨਾਵਾਂ, ਸਨਮਾਨਾਂ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰ ਸਹਿਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ। ਅਗਲੀ ਗੈਲਰੀ ਵਿੱਚ ਇਸ ਲੜਾਈ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਫੌਜੀਆਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਾਂ ਵੱਲੋਂ ਵਰਤੇ ਗਏ ਹਥਿਆਰਾਂ ਅਤੇ ਬੰਦੂਕਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀਕ੍ਰਿਤਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ।
ਛੇਵੀਂ ਗੈਲਰੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਲਾਸਟ ਮੈਨ ਗੈਲਰੀ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਆਖ਼ਰੀ ਸ਼ਹੀਦ ਗੁਰਮੁਖ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਮਰਪਿਤ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਖ਼ਰੀ ਗੈਲਰੀ-7 ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਗੈਲਰੀ ਅਤੇ ਸੈਲਫ਼ੀ ਗੈਲਰੀ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਸਿੱਖ ਫੌਜੀਆਂ ਦੀ ਬੰਦੂਕ ਰੱਖੀ ਗਈ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਸੈਂਸਰ ਲਗਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਛੂਹ ਕੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।
ਇਸੇ ਗੈਲਰੀ ਵਿੱਚ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਜੰਗ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦਾ ਲਾਈਵ ਕਟਆਊਟ ਲਗਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਕੋਲ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਕੇ ਲੋਕ ਸੈਲਫ਼ੀ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਗੈਲਰੀ ਵਿੱਚ ਉਸ ਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਦੀ ਕਟਿੰਗ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਣੀ ਵਿਕਟੋਰੀਆਂ ਦੂਆਰਾ ਕੀਤਾ ਸਨਮਾਨ, ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀਆਂ ਬਣੀਆਂ ਯਾਦਗਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ।
ਇਨ੍ਹਾਂ ਗੈਲਰੀਆਂ ਵਿੱਚ ਟੱਚ ਪੈਨਲ ਲਗਾਏ ਗਏ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਜੰਗ ਅਤੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਬਾਰੇ ਪੰਜਾਬੀ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਜਾਣਕਾਰੀ ਲਈ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ। ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀ ਮਹਾਨ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਉਸਾਰਿਆ ਇਹ ਅਜਾਇਬਘਰ 36 ਸਿੱਖ ਦੇ 21 ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਮਿਸਾਲੀ ਗਾਥਾ ਜੋ ਕਿ ਸਮਾਣਾ ਰਿੱਜ (ਹੁਣ ਪਾਕਿਸਤਾਨ) ਵਿਖੇ ਵਾਪਰੀ ਸੀ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 12 ਸਤੰਬਰ, 1897 ਨੂੰ 10,000 ਅਫ਼ਗਾਨੀਆਂ ਦੇ ਹਮਲੇ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਗਹਿਗੱਚ ਲੜਾਈ ਲੜਦਿਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇ ਦਿੱਤੀ ਸੀ, ਭਾਰਤੀ ਫੌਜ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਮਿਸਾਲ ਬਣੀ ਰਹੇਗੀ।
ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ 2 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਰਾਸ਼ੀ ਖਰਚ ਕਰ ਕੇ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਜੰਗ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਮੈਮੋਰੀਅਲ ਜਿਸ ਦਾ ਨੀਂਹ ਪੱਥਰ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਵੱਲੋਂ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਦਾ ਕੰਮ ਵੀ ਜ਼ੋਰਾਂ ਤੇ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਰਹੱਦੀ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਵਿੱਚ ਸੈਰ ਸਪਾਟਾ ਉਦਯੋਗ ਨੂੰ ਹੁਲਾਰਾ ਮਿਲੇਗਾ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਦੇਸ਼ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੀਆਂ ਵੱਡਮੁੱਲੀਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਬਾਰੇ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਮਿਲੇਗੀ।
ਇਸ ਮੌਕੇ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਰਾਜੇਸ਼ ਧੀਮਾਨ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਵਿਖੇ ਸੈਰ ਸਪਾਟੇ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕ ਮਹੱਤਤਾ ਵਾਲੇ ਸਥਾਨਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਵੱਡੀ ਪੱਧਰ ’ਤੇ ਕੰਮ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਵਾਰ ਮਿਊਜ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਜੰਗੀ ਯਾਦਗਾਰ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੂਸੈਨੀਵਾਲਾ ਸ਼ਹੀਦੀ ਸਮਾਰਕ ਦਾ ਵੀ ਨਵੀਨੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ, ਜਿਸ ਤਹਿਤ ਸ਼ਹੀਦੀ ਸਮਾਰਕਾਂ, ਪਾਰਕਾਂ ਤੇ ਇਮਾਰਤਾਂ ਦਾ ਸੁੰਦਰੀਕਰਨ, ਪਾਰਕਿੰਗ ਵਿਵਸਥਾ, ਤਲਾਬ ਅਤੇ ਸੈਲਾਨੀਆਂ ਦੀ ਸੁਵਿਧਾ ਲਈ 25 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਖਰਚ ਕੀਤੇ ਜਾਣਗੇ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਐਸ.ਡੀ.ਐਮ. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਚਾਰੂਮਿਤਾ, ਸਾਰਾਗੜ੍ਹੀ ਮੈਮੋਰੀਅਲ ਟਰੱਸਟ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਡਾ. ਅਨਿਰੁੱਧ ਗੁਪਤਾ, ਵਿਨੋਦ ਚੌਹਾਨ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਵੀਚਾਓ ਵੋਯੇਜ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ ਅਧਿਕਾਰੀ ਵੀ ਹਾਜ਼ਰ ਸਨ।