अब छाती के साधारण एक्स-रे से कोरोनावायरस से सांस संबंधी लक्षणों से जूझ रहे फेफड़ों के मरीज इसके प्रभाव को जान पाएंगे। कांट्रैस्टिव लर्निग मॉडल कहे जाने वाली इस तकनीक का विकास आयोवा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। एक अन्य ट्रांसफर लनिर्ंग तकनीक सीटी स्कैन से छाती के एक्स-रे तक फेफड़े की नैदानिक जानकारी पहुंचाती है।
इस प्रकार मरीज की हालत का पता लगता है। आयोवा में इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के चिंग-लॉन्ग लिन, एडवर्ड एम. मिलनिक और सैमुअल आर हाडिर्ंग ने फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी में जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में कहा, नई तकनीक का इस्तेमाल कर चिकित्सक मरीज के फेफड़े की सही जानकारी हासिल कर इलाज कर सकेंगे।
कोरोना के बाद सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों के फेफड़ों में ऑक्सीजनयुक्त रक्त का संचार सीमित हो जाता है और सांस लेने में बाधा आती है। लिन ने कहा, हमारे मॉडल ने कोविड रोगियों के फेफड़ों में आई समस्या की पहचान की। आंतरिक चिकित्सा-फुफ्फुसीय, महत्वपूर्ण देखभाल और व्यावसायिक चिकित्सा के प्रोफेसर एलेजांद्रो कोमेलस ने कहा कि अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि कोविड के बाद मरीजों के फेफड़ों में दो प्रकार की समस्या (छोटे वायुमार्ग की बीमारी और पैरेन्काइमा फाइब्रोसिस / सूजन) होती है, जो कोविड संक्रमण के बाद भी बनी रहती हैं।