आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत चल रहे 'हर घर तिरंगा' अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाते हुए, एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने आज चंडीगढ़ में एक अनोखे कार्यक्रम के दौरान "लहराते झंडे की सबसे बड़ी मानव छवि" बनाते हुए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया, जब चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और अन्य स्कूलों, कॉलेजों के 5885 से ज्यादा छात्रों के साथ-साथ एनआईडी फाउंडेशन के स्वयंसेवकों ने चंडीगढ़ क्रिकेट स्टेडियम में इकट्ठा होकर इतिहास रच दिया।
उल्लेखनीय है कि यह कार्यक्रम आज़ादी के अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ) के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'हर घर तिरंगा अभियान' को सफल बनाने के उद्देश्य से चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं और एनआईडी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था। छात्रों सहित 25 हजार से ज्यादा शहरवासियों की भागीदारी के साथ यह आयोजन देश भर में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम साबित हुआ, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'हर घर तिरंगा' अभियान को प्रतिबिंबित कर एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है।
चंडीगढ़ क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान पंजाब के राज्यपाल और प्रशासक, यूटी चंडीगढ़, बनवारीलाल पुरोहित बतौर मुख्यातिथि तथा माननीय विदेश राज्य मंत्री, भारत सरकार,मीनाक्षी लेखी कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में शिरकत की। इसके अलावा चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर और एनआईडी फाउंडेशन के चीफ पैट्रन स. सतनाम सिंह संधू, धर्म पाल, एडमिनिस्ट्रेटर एडवाइजर, चंडीगढ़ यूटी; विनय प्रताप सिंह, डिप्टी कमिश्नर चंडीगढ़; सरबजीत कौर, मेयर चंडीगढ़; एनआईडी फाउंडेशन की संस्थापक प्रो हिमानी सूद तथा यूटी प्रशासन के अन्य शीर्ष अधिकारियों के अलावा 25000 से अधिक लोग कार्यक्रम के दौरान विशेष तौर पर मौजूद रहे।
चंडीगढ़ क्रिकेट स्टेडियम में देशभक्ति का खूब जोश और उत्साह देखने को मिला, जहां 25 हजार से अधिक लोगों की भागीदारी के साथ 5885 से ज्यादा युवा लड़कों और लड़कियों ने एक लहराते हुए राष्ट्रीय ध्वज की दुनिया की सबसे बड़ी मानव छवि बनाते हुए एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। पूरा स्टेडियम राष्ट्रभक्ति के नारों से गूंज उठा, जब गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया तथा गिनीज रिकॉर्ड्स के एक आधिकारिक जज श्री स्वप्निल डांगरीकर ने वर्ल्ड रिकॉर्ड को सत्यापित किया।
ध्वज के तीन रंगों का प्रतिबिंब 5885 छात्रों ने बनाया, जबकि श्री बनवारीलाल पुरोहित, श्रीमती मीनाक्षी लेखी, स. सतनाम सिंह संधू, धर्म पाल और अन्य गणमान्य लोग भी ध्वज के स्तंभ के रूप में ध्वज निर्माण का हिस्सा बने। इस महान राष्ट्र के नागरिकों के बीच देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना को प्रज्वलित करने के अलावा, यह आयोजन भारत सरकार के 20 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर बात करते हुए गिनीज रिकॉर्ड्स के एक आधिकारिक जज श्री स्वप्निल डांगरीकर ने एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के इस रिकॉर्ड की पुष्टि करते हुए कहा कि एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के इस समारोह में 'लहराते तिरंगे की सबसे बड़ी मानव छवि' के निर्माण के साथ अब भारत ने संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ते हुए एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है।
इस दौरान जज श्री स्वप्निल डांगरीकर ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के सर्टिफिकेट की कॉपी (प्रतिलिपि) श्री बनवारी लाल पुरोहित और स. सतनाम सिंह संधू को सौंपते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने साल 2017 में 4130 लोगों के साथ लहराते हुए राष्ट्रीय ध्वज की सबसे बड़ी मानव छवि का रिकॉर्ड हासिल किया था। हालांकि, भारत ने आराम से यह रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
इस अवसर पर बात करते हुए पंजाब के राज्यपाल और प्रशासक, यूटी चंडीगढ़, श्री बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और एनआईडी फाउंडेशन द्वारा बनाए गए विश्व रिकॉर्ड के सफल निर्माण के साथ, चंडीगढ़ ने भारत के स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ पर पूरी दुनिया को एक महान संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि “यह कार्यक्रम मेरी कल्पना से भी बड़ा है, मैं चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर और एनआईडी फाउंडेशन के प्रमुख संरक्षक स. सतनाम सिंह संधू को हार्दिक बधाई देता हूं जिनकी टीम ने यह उपलब्धि हासिल की है।
न केवल उनके संस्थानों, बल्कि उन्होंने पूरे चंडीगढ़ और पूरे देश को गौरवान्वित किया है। कार्यक्रम में शामिल हुए 25000 नागरिकों से प्रेरणा लेने का आह्वान करते हुए श्री पुरोहित ने देश भर के नागरिेकों को 15 अगस्त को देश और राष्ट्र निर्माण के लिए खुद को समर्पित करने का संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और एनआईडी फाउंडेशन के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्र भक्ति और आज़ादी के अमृत महोत्सव की दिशा में उनका यह कदम प्रशंसनीय है।
"जिस तरह से एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लोगों को एक साथ ला कर देशभक्ति की भावना का जश्न मना रहा है और देश की आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, वह प्रशंसनीय है। यह पूरे भारत में अपनी तरह का पहला आयोजन है और मैं उन्हें इस आयोजन की सफलता पर समस्त टीम को बधाई देता हूं।
इस अवसर पर माननीय विदेश राज्य मंत्री, भारत सरकार, श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कि “हमारे हजारों युवा हमारे तिरंगे की लहराती छवि बनाने के लिए यहां एकत्र हुए, पूरे देश में इससे बेहतर दृश्य नहीं हो सकता है, जो आज यहा देखा गया है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि इस सपने को साकार करने के लिए एनआईडी फाउंडेशन, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी आगे आई। लोगों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को धन्यवाद देते हुए लेखी ने कहा कि तिरंगा हर भारतीय की पहचान है।
उन्होंने कहा कि "75वें स्वतंत्रता दिवस पर, मैं लोगों से और भी बेहतर भारत के लिए संकल्प लेने की अपील करती हूं और प्रतिज्ञा करती हूं कि वे अगले 25 वर्षों में विश्व गुरु बनने के भारत के संकल्प में अपना पूर्ण योगदान देंगे।"इस बारे में बात करते हुए स. सतनाम सिंह संधू ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत की आज़ादी के अमृत महोत्सव का जश्न मनाने तथा जन-जन तक राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करने के लिए 'हर घर तिरंगा' अभियान का आरंभ किया।
तथा हमें प्रसन्नता है कि एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का यह प्रयास भारत की स्वतंत्रता के जश्न के लिए एक बड़े स्तर पर लोगों को अपने साथ लाया है।“हमारा राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से अधिक है, लेकिन यह हमारे अतीत के गौरव, वर्तमान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और भविष्य के हमारे सपनों का भी प्रतिबिंब है। हमारा तिरंगा भारत की एकता, अखंडता और विविधता का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने में चंडीगढ़ प्रशासन के समर्थन का शुक्रगुजार हूं।
एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की पहल के बारे में बात करते हुए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्र सुनील शर्मा ने कहा कि मुझे यूनिवर्सिटी के इस विशेष कार्यक्रम के माध्यम से स्वतंत्रता समारोह का हिस्सा बनने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि भारत हमारी भूमि है, जिसने हमें एक विशिष्ट पहचान दी है, और इसकी गौरवशाली विरासत तथा मूल्यों को संरक्षित करना हम सभी का कर्तव्य है।
छात्र शाहिद ने कहा कि उन्हें 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सिटी ब्यूटीफुल में आयोजित कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने हर घर तिरंगा अभियान के तहत इस गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट उपलब्धि बताया। उन्होंने एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रों को बधाई दी, जिनके सहयोग से चंडीगढ़ की भूमि पर यह अनोखा विश्व कीर्तिमान स्थापित हुआ।
इस अवसर पर, छह एनजीओ को उनके संबंधित क्षेत्रों में विशिष्ट समाज सेवा के लिए कार्यरत शख्सियतों को 'करम योद्धा अवॉर्ड्स ' से सम्मानित किया गया। इनमें तेरा ही तेरा मिशन अस्पताल के लिए हरजीत सिंह सब्बरवाल, सरबत दा भला एनजीओ से प्रो. (डॉ) सुरिंदर पाल सिंह ओबेरॉय; संत बाबा करतार सिंह जी भैरों माजरा से श्री गुरमीत सिंह सोदी; डिवेलपिंग इंडिजीनियस रिसोर्सेज इंडिया के एमडी और सीईओ आशा कटोच; जोशी फाउंडेशन से श्री विनीत जोशी, और वुमन एंड चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी से पूजा बख्शी को अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसके अलावा मनोरंजन जगत की प्रख्यात भारतीय अभिनेत्री ईशा रिखी और ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रख्यात भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त को यूथ आइकन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का समापन ध्वजारोहण और राष्ट्रगान के साथ हुआ। दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक गतिविधियां भी देखी गईं, और स्वतंत्रता सेनानियों और सशस्त्र बलों के कर्मियों के वीरतापूर्ण कार्यों और बलिदान को स्वीकार करने और उनका सम्मान करने के लिए एक विशेष समारोह भी आयोजित हुआ, जिस दौरान कला, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक स्तर, समाज सेवा और साहित्य के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों हासिल करने वाली प्रख्यात हस्तियों को अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि एक विशाल डिजिटल अभियान भी शुरू किया गया है, जहां एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के 1 लाख नागरिकों को 'हर घर तिरंगा' अभियान में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए पहुंच रही है। इसके अलावा इस अभियान को गति देने के लिए चंडीगढ़ के 50000 युवाओं को देशभक्ति के संदेश भी भेजे जा रहे हैं। अंत में स. संधू ने युवाओं को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को मजबूती देने का आग्रह करने के साथ-साथ उस गुजरे वक्त को भी याद किया, जब आजाद भारत के लिए झंडे का सपना देखने वालों द्वारा इसके लिए बलिदान दिए।