Maa Kali Controversy: देशभर में माँ काली को लेकर चर्चा हो रही है ऐसे में लोग इस देवी माँ के पूजा उपासकों,रंग रूप,और चढ़ावे में मांस- मदिरा को लेकर जानने में काफी उत्सुक हैं। ऐसे में क्या आप जानते है कौन है मां काली? क्या उन्हें सच में मांस-मछली-मदिरा का चढ़ावा चढ़ाया जाता है? अगर नहीं जानते है तो आज हम आपको बताने जा रहे है कि आखिर में मां काली कौन है। क्यों उन्हें मांस मदिरा का चढ़ाव चढ़ता है –
के अनुसारमाना जाता है कि मां काली, मां पार्वती और मां सीता का क्रोधित रूप है। जिसकी उत्पत्ति धर्म की सक्षा और पापियों-राक्षसों का विनाश करने के लिये हुई थी। मान्यता ये भी है की माँ काली भगवान शिव की रुद्रावतार महाकाल की पत्नी हैं। इसलिए असल में मां काली और महाकाल दोनों ही निराकार रूप में हैं और उनके पिंडी रूप की पूजा की जाती है। लेकिन बदले ज़माने में माँ काली को रंग-रूप दे दिया जिसकी वजह से आज हर जगह काली माँ की पूजा के इस मूर्ति के रूप में इस अवतार में की जाती है।
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क्यों चढ़ता है मां काली को मांस-मछली-मदिरा का चढ़ावा-
काली माता को तामसिक देवी-देवताओं में सबसे अहम माना जाता है। जैसा की हमने ऊपर बताया माँ काली की उत्पत्ति धर्म की सक्षा और पापियों-राक्षसों का विनाश करने के लिये हुई थी। अब तक मां काली ने कई असुरों और राक्षसों का विनाश किया है। मां काली ने महिषासुर, चंड और मुंड, धम्राक्ष, रक्तबीज आदि राक्षस का वध किया है।
कहा जाता है की आदिवासी लोग माँ काली की सबसे ज्यादा उपासना करते हैं इसलिए वे कभी खेती नहीं करते वे हमेशा शिकार ही करते हैं यही नहीं नवरात्रों के समय इन लोगों में बलि देने का भी रिवाज है ऐसे में उन्हें मांस, मछली, मदिरा और मुद्रा, अनाज का चढ़ावा चढ़ाने की प्रथा और परंपरा रही है।
इसलिए जीब रहती है बाहर
पौराणिक कथाओं के अनुसार बताया गया है कि रक्तबीज को मारने के बाद काली को खूब क्रोध आ गया। क्रोध में वह तांडव करने लग गई। ऐसे में माँ काली को रोकना हर किसी के लिए असंभव हो गया था। अंत में उन्हें शांत करवाने के लिए भगवान महाकाल को उनके चरणों में लेटना पड़ा। जिसके बाद वह शांत हुई और शर्म की वजह से उन्होंने अपनी जीब बाहर निकाल ली। तब से उनकी जीब हर तस्वीर में बाहर ही दिखाई जाती है।
इन राज्यों में होती है सबसे ज़्यादा माँ काली की पूजा
मां काली की सबसे ज्यादा पूजा अर्चना श्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों, बिहार, असम, ओडिशा और बांग्लादेश में होती है। यहां के लोग मां काली की पूजा तंत्र शक्तियां पाने के लिए भी करते है। यही नहीं यदि हम तंत्र ग्रंथों की बात करें तो इनमें काली के 9 रूपों का वर्णन मिलता है। ये हैं काली, दक्षिणाकाली, उग्रकाली, श्मशान काली, कामकलाकाली, कंकाली, रक्त काली, श्यामाकाली और वामा काली। इसके अलावा दशमहाविद्याओं में पहली महाविद्या भी काली ही हैं।