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नुपुर को SC की फटकार से नाराज 15 पूर्व जज,77 पूर्व IAS अफसर, बोले-इस दाग को मिटाया नहीं जा सकता

Supreme Court द्वारा Nupur Sharma को लगी फटकार से नाराज देश की 177 बड़ी हस्तियां.. बोले- ये टिप्पणियां न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं। इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।

Supreme Court, Supreme Court OF India, CJI, Chief Justice Of India, IAS Offices Opposed SC, IAS Officers, Former Judges, Nupur Sharma Supported
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5 Dariya News

नई दिल्ली , 05 Jul 2022

नुपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर पूरे देश में घमासान मचा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का पुरजोर विरोध हो रहा है। देश के 15 पूर्व जजों, 77 पूर्व IAS अधिकारियों और 25 रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने खुला खत लिखकर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए हैं। इन सभी ने SC की टिप्पणी की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने लक्ष्मण रेखा लांघी है। सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी एक ऐसा दाग हैं, जिसे मिटाया नहीं जा सकता है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Nupur Sharma द्वारा पैगंबर पर दिए बयान का देश-विदेश में विरोध हुआ। दंगे हुए और भारत में कईं जगहों पर हिंसा हुई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी। Supreme Court ने कहा था कि नुपुर की बेकाबू जुबान ने पूरे देश को आग में झोंक दिया। देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं। नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर कई राज्यों में दर्ज केस को एक साथ जोड़ने संबंधी अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी और कहा था कि नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी सस्ता प्रचार पाने या किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत या किसी घृणित गतिविधि के तहत की। 

अब 117 हस्तियों ने अपने हस्ताक्षर के साथ बयान जारी सुप्रीम कोर्ट को घेरा है। इसके विरोध में खुला खत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा गया है। लेटर में कहा गया है, न्यायपालिका के इतिहास में, ये दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां बेमेल हैं और सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर ऐसा दाग हैं, जिसे मिटाया नहीं जा सकता। इस मामले में तत्काल सुधार करने की जरूरत है, क्योंकि इसके लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

इन्होंने किया विरोध-

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश SM सोनी, राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति आर एस राठौर, न्यायमूर्ति प्रशांत अग्रवाल और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश SN ढींगरा शामिल हैं। पूर्व आईएएस अधिकारी आरएस गोपालन और एस. कृष्ण कुमार, राजदूत (रिटायर्ड) निरंजन देसाई, पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपी वैद और बीएल वोहरा, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) वीके चतुर्वेदी और एयर मार्शल (रिटायर्ड) एसपी सिंह ने भी बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां न्यायिक लोकाचार से मेल नहीं खातीं। बयान में कहा गया है, ये टिप्पणियां न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं। इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।

बयान में SC की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा गया है, हम जिम्मेदार नागरिक के तौर पर यह मानते हैं कि किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक ही बरकरार रहेगा, जब तक कि सभी संस्थाएं संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करती रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की हालिया टिप्पणियों ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है और हमें एक खुला बयान जारी करने के लिए मजबूर किया है।

क्या है पूरा मामला- 

शुक्रवार 27 मई को भाजपा के प्रवक्ता के तौर पर नुपुर एक TV चैनल की डिबेट में पहुंचीं। बहस के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदू आस्था का लगातार मजाक उड़ा रहे हैं। अगर यही है तो वह भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं। नुपुर ने इसके आगे इस्लामी मान्यताओं का जिक्र किया, जिसे कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया और नुपुर पर पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया। इस बयान के बाद देश में दंगे होने लगे और काफी जगह हिंसा हुई। पुलिस पर पत्थरबाजी की गई। नुपुर के इस बयान से पूरा देश जल उठा यहां तक कि इसकी आग अभी तक नहीं बुझी है।

 

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