ज्ञानवापी पर RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान खूब वायरल हो रहा है। वहीं भागवत के इस बयान को देवबंद के उलेमा ने भी सपोर्ट किया है। नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान मोहन भागवत ने ज्ञानवापी के मुद्दे पर कहा कि इतिहास हम बदल नहीं सकते, ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने। ये तब हुआ जब हम लोगों में से कोई भी नहीं था।
ज्ञानवापी का एक मुद्दा है, इसे हिंदू-मुस्लिम से जोड़ना गलत है। मुसलमान आक्रमणकारी तो बाहर से आए थे।। उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया। हिंदू समाज का ध्यान जिन पर है, विशेष श्रद्धा जिन पर है, उसके बारे में मामले उठते हैं। लेकिन हिंदू, मुसलमानों के विरुद्ध नहीं सोचता है। आज के मुसलमानों के उस समय पूर्वज भी हिंदू थे। आपस में मिल बैठ कर सहमति से कोई रास्ता निकालिए। नहीं निकाल सकते तो फिर कोर्ट में जाइए। इसके बाद जो निर्णय कोर्ट देगा उसको मानना चाहिए।
मोहन भागवत यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि रोज एक नया मुद्दा नहीं निकालना चाहिए। ठीक है कि ऐसे कुछ प्रतीकात्मक स्थानों के बारे में हमारी कुछ विशेष श्रद्धा थी। लेकिन रोज एक नया मामला निकालना, ये भी नहीं करना चाहिए। हम झगड़ा क्यों बढ़ाए। उन्होंने अपने भाषण के दौरान राम मंदिर आंदोलन का भी जिक्र किया। मोहन भागवत ने कहा कि संघ ने राम मंदिर आंदोलन में जरूर हिस्सा लिया था और कोई इस बात को नहीं नकार रहा है। लेकिन तब संघ ने अपनी मूल प्रवृति के विरोध जाकर उस आंदोलन में हिस्सा लिया था। अब भविष्य में संघ किसी मंदिर आंदोलन में नहीं शामिल होने वाला है।
ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रद्धाएं हैं परंपरा से चलती आई हैं, हम कर रहे हैं ठीक है। परंतु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? वो भी एक पूजा है, ठीक है बाहर से आई है। लेकिन जिन्होंने अपनाई है, वो मुसलमान, वो बाहर से संबंध नहीं रखते वो भी भारत के ही हैं। ये बात उनको भी समझनी चाहिए। अगर पूजा उनकी उधर की है, उसमें वो रहना चाहते हैं तो अच्छी बात है। हमारे यहां किसी पूजा का विरोध नहीं है। जो जिसको मानता है उसकी पूजा कर सकता है।