पंजाब सरकार की तरफ से आज मीडिया वैटर्न डा. सन्दीप गोयल को हाल ही में गठित की गई पंजाब सीएसआर अथॉरिटी के पहला सीइअयो के तौर पर नियुक्त किया गया है, जिनको पंजाब के और बाहर के उद्योगों से सीएसआर फंडों को आकर्षित करने और सीएसआर की गतिविधियों समेत निश्चित लक्ष्यों को प्राप्त करने की जि़म्मेदारी सौंपी गई है। सीईओ ने उद्योग और वाणिज्य विभाग के सचिव को रिपोर्ट करनी होगी।पंजाब राज्य सीएसआर सम्बन्धी इंडिया इंक की प्राथमिकता सूची में बहुत पिछले स्थान पर आता है। राज्य को देश भर के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सीएसआर के लिए उद्योगों के कुल खर्च किए 42,467.23 करोड़ रुपए में से सिफऱ् 234.27 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं जोकि कुल राशि का सिफऱ् 0.55प्रतिशत बनता है। यह आंकड़े केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों संबंधी मंत्रालय के मुताबिक वित्तीय साल 2015 -16 और 2017 -18 के दौरान कंपनियों के द्वारा 30 जून, 2019 तक किये गये आवेदन पर आधारित हैं। चाहे पंजाब की कंपनियों के द्वारा सीएसआर का सालाना खर्चा 69.93 करोड़ रुपए(2015 -16) से बढ़ कर 88.51 करोड़ रुपए (2017-18) हो गया है परन्तु यह अभी भी पड़ोसी राज्य हरियाणा और राजस्थान समेत अन्य सभी बड़े राज्यों को उद्योग से प्राप्त हो रहे फंड सहायता से बहुत कम है।इन तीनों ही सालों के दौरान कंपनियों की तरफ से दिल्ली और हरियाणा में क्रमवार 1,554.70 करोड़ रुपए और 1,027.24 करोड़ रुपए शिक्षा, सेहत और अन्य क्षेत्रों में सीएसआर की गतिविधियों पर खर्च किए गए। इसी तरह राजस्थान और उत्तर प्रदेश के उत्तरी राज्यों ने भी पंजाब राज्य के मुकाबले उद्योगों से सीएसआर फंडों का बड़ा हिस्सा प्राप्त किया है।कम्पनीज़ एक्ट, 2013 के अनुसार, कम से -कम रुपए की कुल 500 करोड़ रूपये की लागत वाली कंपनियाँ जिनका सालाना कारोबार 1000 करोड़ रुपए है या शुद्ध लाभ 5 करोड़ या इससे अधिक है, को अपने औसतन मुनाफों का 2प्रतिशत पहले तीन वित्तीय सालों के दौरान सीएसआर की गतिविधियों पर ख़र्च करना होता है। कानून हर कंपनी के बोर्ड को अधिकार देता है कि वह की जाने वाली गतिविधियों और सीएसआर प्रोजेक्टों को लागू करने के लिए ऐच्छिक क्षेत्र सम्बन्धी फ़ैसला करें।
नयी जि़म्मेदारी का स्वागत करते हुये अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग और वाणिज्य) श्रीमती विनी महाजन, आई.ए.एस. ने कहा कि डा. गोयल के पंजाब सीएसआर अथॉरिटी का पहला सीईओ नियुक्त होने पर हम मान महसूस करते हैं जोकि एक पेशेवर के तौर पर और एक उद्यमी के तौर पर कॉर्पोरेट जगत में तीन दशकों से अधिक समय बिता चुके हैं। उनके पास आसान पहुँच, पुराने संबंधों और भारत के चोटी के कॉर्पोरेटज़ तक पेशेवर पहुँच के कारण नयी गठित अथॉरिटी का नेतृत्व करने के लिए उचित योग्यता मौजूद है।डा. सन्दीप गोयल स्थानीय संैट जोनज़ स्कूल के पूर्व विद्यार्थी है। उन्होंने डीएवी कालेज, चण्डीगढ़ से अंग्रेज़ी साहित्य में बी.ए. (ऑनरज़) किया और पंजाब यूनिवर्सिटी से स्वर्ण पदक के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने एमबीए की और फिर कई सालों बाद एफएमएस -दिल्ली से पीएचडी की। वह हारवर्ड बिजऩस स्कूल के पूर्व विद्यार्थी भी रहे हैं। डा. गोयल 1990 के आखिर में एड एजेंसी रैडफ्यूजऩ के प्रधान थे। वह उस समय जी टेलीफिलमज़ के ज्वाइंट सीईओ थे, 2003 में उद्यमी बनने से पहले जब उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी मशहूर एजेंसी डैंटसू इंक. के साथ सांझे उद्यम की स्थापना की।डा. गोयल इस समय पर स्नैप इंक. के इंडिया एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन हैं। वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन ब्रांडज़ (आईआईएचबी) के मुख्य सलाहकार भी हैं।डा. गोयल कहते हैं, ‘मुझे ख़ुशी है कि मुझे पंजाब सरकार की तरफ से सीएसआर अथॉरिटी के नेतृत्व के लिए चुना गया। यह आसान काम नहीं है। मौजूदा महामारी और तालाबन्दी के कारण सीएसआर फंडों पर भारी दबाव पड़ा है और कॉर्पोरेट लाभों पर गंभीर प्रभाव पडऩे की संभावना है। फिर भी एक बार उदासी के प्रभाव ने कुछ हद तक हटने के बाद उद्योगों के साथ राज्य और इसके विषयों को लाभ पहुँचाने वाले प्रोजेक्टों का समर्थन करने के लिए हम उद्योग के साथ टिकाऊ और लंबे समय की हिस्सेदारी बनाने की कोशिश करेंगे।’पंजाब में कम सीएसआर खर्चों का मुख्य कारण शायद यह है कि पंजाब में स्थित बड़ी कंपनियाँ वास्तव में राज्य से बाहर अपने सीएसआर फंडों से और ज्यादा पैसा ख़र्च कर रही हैं जिससे राज्य एक ‘शुद्ध दानी ’ बन जाता है।सी.एस.आर. के 2,232.16 करोड़ रुपए खर्चों में से पंजाब में रजिस्टर्ड कंपनियों के द्वारा साल 2014 -15 से 2017 -18 के दौरान राज्य में सीएसआर पर 161.64 करोड़ भाव सिफऱ् 7.24प्रतिशत ख़र्च हुए हैं। सीएसआर फंड 2,070.52 करोड़ रुपए का बकाया अन्य राज्यों में सीएसआर प्रोजेक्टों के लिए चला गया, जबकि चार सालों के अरसे के दौरान पंजाब को अन्य राज्यों में रजिस्टर्ड कंपनियों से 126.13 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुये।