केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ब्रिक्स देशों के नौवें स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेकर मंगलवार को स्वदेश लौटे। निर्माण भवन स्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सभागार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिक्स सदस्य देश सस्ती, किफायती एवं गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मिलकर काम करेंगे । 5 मुद्दों पर सम्मेलन में सदस्य देशों द्वारा चर्चा की गयी। भारत में सस्ती एवं गुणवत्ता वाली दवाओं की सदस्य देशों ने सराहना की एवम ये निर्णय लिया कि सभी देश इस विषय में मिलकर कार्य करेंगे। कैशलेस इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना एवं मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण के उद्देश्यों को प्राप्त करने कि लिए जिस तरह भारत लक्ष्य की ओर अग्रसर है, उन प्रयासों कि लिए, सदस्य देश चीन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और रूस ने भारत की भूरी भूरी प्रशंसा की। भारत ब्राजील को 12 फ़ीसदी दवाइयां एक्सपोर्ट करता है। भारत में बनी दवाइयां के प्रति पूरी दुनिया में विश्वसनीयता बढ़ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री चौबे ने कहा कि सम्मेलन में मानव दूध बैंक की उपयोगिता पर भी सदस्य देशों ने चर्चा की। ब्राजील में बड़े पैमाने पर मानव दूध बैंक स्थापित किए गए हैं। भारत में भी इसे लेकर पहल की गई है, स्तनपान ध्यानाकर्षण क्षेत्र है और इस से संम्बंदित्त हमारा लक्ष्य है कि 2025 तक 70 फ़ीसदी से अधिक करना है। भारत में स्तनपान को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है। श्री चौबे ने सम्मेलन में नारा भी दिया, “जो पिए मां का दूध वह होए सबसे मजबूत”। नवजात मृत्यु दर (जिनकी मृत्यु एक महीने के अंदर) प्रति 1000 पर 23 से घटाकर 12 पर लाना है, इसे लेकर सम्मेलन में भारत ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। इस विषय विषय से संम्बंदित्त सम्पूर्ण जानकारी से सभी को अवगत कराया गया।
‘हेल्थ फॉर ऑल’ के लिए मिलकर काम भी चर्चा का एक अहम् मुद्दा था । श्री चौबे ने कहा कि ब्रिक्स के सभी सदस्य देश मिलकर यूनिवर्सल हेल्थ के लिए भी प्रतिबद्ध होंगे । भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का मिशन है कि जहां पूरी दुनिया 2030 में टीबी मुक्त होने का संकल्प लिया है, वहीं भारत 2025 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ रहा है। ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों ने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक साथ काम करने का संकल्प लिया, ताकि पूरी दुनिया से, लक्ष्य से पहले टीबी को खत्म किया जा सके।श्री चौबे ने आगे बताते हुए कहा कि ब्रिक्स देश विभिन्न स्वास्थ्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग करेंगे। सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि ब्रिक्स देश सस्ती, गुणवत्ता वाली दवाइयों के लिए एक दूसरे के ड्रग रेगुलेटर के बीच समझौता करेंगे। भारत और ब्राज़ील के बीच इस तरह का समझौता 2016 में हुआ था, जिसका सकारात्मक परिणाम दोनों देशों में देखने को मिल रहा है। जर्मनी ने भारत को कैंसर मुक्त होने कि लिए सहयोग की पेशकश की। चूंकि इस क्षेत्र में जर्मनी ने काफी अनुसंधान किया है, वो इसके बारे में भारत के साथ ‘नॉलेज शेयर’ करेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री चौबे ने बताया कि ब्राजील से लौटने के क्रम में जर्मनी में रुकना हुआ था और उस दौरान उन्होंने हैडलबर्ग यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल का दौरा किया। वहां श्री चौबे को आयन बीम थेरेपी द्वारा हो रहे कैंसर के इलाज से अवगत कराया गया जिस कि अंतर्गत हॉस्पिटल के डायरेक्टर से कैंसर के इलाज को लेकर काफी चर्चा हुई एवम ‘नॉलेज शेयरिंग’ करने के लिए लगातार संवाद कायम रखने पर विचार विमर्श हुआ। भविष्य में टेलीमेडिसिन एवं वहां के डॉक्टरों का दौरा आदि करने पर भी विचार हुआ। भारत में आईआईटी मद्रास कैंसर के प्रभावी इलाज के लिए लगातार काम कर रहा है और इस भेंट से भारत को इसका लाभ मिलेगा। अगला ब्रिक्स स्वास्थ्य मंत्रियों का सम्मेलन, रूस में होगा। पत्रकार वार्ता में संयुक्त सचिव मनदीप भंडारी भी उपस्थित थे।