कोयला गैसीकरण संयंत्र पीएफ तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के लिए लम्प सम टर्न की (एलएसटीके) अनुबंध चीन की मेसर्स वुहान इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दिया गया। ऐसा भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड (एफसीआईएल) और हिन्दुस्तान उर्वरक निगम लिमिटेड (एचएफसीएल) की बंद इकाइयों का पुनरुद्धार करने के उपाय के रूप में किया गया। सरकार ने आरसीएफ, गेल, सीआईएल और एफसीआईएल की संयुक्त क्षेत्र कंपनी तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) को 13,287 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से एफसीआईएल की तालचेर की इकाई का पुनरुद्धार करने के लिए अधिकृत किया था। इस संयंत्र की उत्पादन क्षमता कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी के माध्यम से 1.27 एमएमटीपीए नीम चढ़े यूरिया के उत्पादन की है। टीएफएल को अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए कैप्टिव खान के रूप में नॉर्थ अर्खपाल खान का उत्तरी हिस्सा आवंटित किया गया है। रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान, सचिव (उर्वरक) श्री छबीलेंद्र राउल ने इस अनुबंध समारोह की अध्यक्षता की।इस अवसर पर श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने कहा कि टीएफएल कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी पर आधारित इस परियोजना को लागू कर रहा है, जो भारत में अपने किस्म की पहली परियोजना है। यह संयंत्र यूरिया उत्पादन के लिए कोयला और पेट्रोक के मिश्रण का फीड स्टॉक के रूप में उपयोग करेगा। इस परियोजना के लिए कोयला तालचेर क्षेत्र में टीएफएल को आवंटित उत्तरी अर्कपाल खान के कैप्टिव उत्तरी भाग से प्राप्त किया जाएगा। कैप्टिव खान का विकास कार्य प्रगति पर है। इस परियोजना के लिए पेटकोक पारद्वीप रिफाइनरी से प्राप्त किया जाएगा। इस परियोजना से पर्यावरण अनुकूल तरीके से स्थानीय रूप से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कोयले के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से भारत की यूरिया में आत्म निर्भरता सुधरेगी और ओडिशा के साथ-साथ पूरे देश में किसानों के लिए यूरिया की उपलब्धता के बारे में विश्वसनीयता को बढ़ावा मिलेगा। इस पहल से “मेक इन इंडिया” के तहत किए गए प्रयासों से यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 4,500 रोजगार पैदा होंगे।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना के कार्य का पिछले साल सितंबर में उद्घाटन किया था। तब से लेकर टीएफएल परियोजना पूर्व गतिविधियों का निष्पादन कर रहा है। अऩ्य प्रमुख पैकेजों के लिए निविदाओं की प्रक्रिया चल रही है और उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले अधिक से अधिक निविदाएं सौंप दी जाएंगी।