श्री गुरू गोबिन्द सिंह धर्म अध्ययन विभाग और श्री गुरू गोबिन्द सिंह चेयर, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला की तरफ से श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित पंजाब सरकार की तरफ से करवाए जा रहे समारोहों की श्रंखला में मासिक सैमीनार, ‘नानक नाम चढ़दीकलाः गुरू नानक वाणी और चढ़दीकला का संकल्प ’ विषय पर आयोजित किया गया।इस सैमीनार की अध्यक्षता करते हुए यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डा. बी. एस. घुम्मण ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में बहुत सी तबदीलियाँ हो रही हैं। यह सदी पिछली कई सदियों से इस वजह से अलग है कि अब हम तकनीकी ज्ञान से भी आगे मशीनी दिमाग की तरफ जा रहे हैं। पहले की सदियां अपने भूतकाल पर निर्भर करती थी और आने वाले समय के लिए आधारशिला बनाते थे परन्तु इक्कीसवीं सदी भविष्य पर केंद्रित है। यह सदी पिछली सदियों को अपनी आधारशिला बनाने की बजाए इस नये आने वाले समय पर केंद्रित है।उन्होंने कहा कि इस सदी में वे लोग टिक सकेंगे जिनकी सोच और दिशा भविष्यमुखी होगी। गुरू नानक देव जी ने नाम की चढ़दीकला का सिद्धांत दिया जिसकी भविष्यमुखी संभावनाएं हैं। विद्वानों का फर्ज बनता है कि वह गुरू नानक देव जी की वाणी के प्रसंग को आज के ज्ञान के संदर्भ में पेश करें।विद्यार्थियों के लिए उन्होंने कहा कि नौकरी लेने के लिए और ज्यादा ठोस जानकारी और नौकरी कर रहे व्यक्तियों से और ज्यादा प्रबुद्ध और माहिर बनने की जरूरत है।
नानक नाम चढ़दी कला तेरे भाणे सरबत का भला केवल इस सैमीनार का विषय नहीं बल्कि 550वें साल में मनाए जाने वाले समागमों का मुख विषय है। धर्म अध्ययन विभाग इस सैमीनार के लिए बधाई का हकदार है।गुरू गोबिन्द सिंह चेयर के प्रोफैसर इंचार्ज डा. गुरमीत सिंह सिद्धू ने सैमीनार बारे जानकारी देते बताया कि चढ़दी कला गुरू नानक देव जी के नाम के साथ प्रचलित एक मौलिक संकल्प है। जिसके विभिन्न सैद्धांतिक पहलुओं पर खोज करन की जरूरत है। चढ़दी कला निराश मन को उत्साहित करन के लिए एक नयी ऊर्जा भरने का सिद्धांत है।इस सैमीनार का मुख आकर्षण कैप्टन अमरजीत सिंह कालेका का उद्घाटनी भाषण था। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव में से मिसालों दे कर गुरबानी के हवाले से चढ़दी कला के सिद्धांत पर रौशनी डाली। पाकिस्तान खिलाफ 1965 की जंग में गोला बारूद खत्म होने पर भी मोर्चो में डटे रहे और खेमकरन के क्षेत्र में दुश्मन फौजों को खदेड़ा। फौज से रिटायर हो कर कालेज में प्रोफैसरी की, पंजाब कर और आबकारी विभाग में एक ईमानदार अफसर के तौर पर सेवा मुक्त हुए। दिल के आपरेशन और कैंसर जैसी नामुराद बीमारी में भी इन्होंने गुरबाणी के आसरे चढ़दी कला में रह कर बीमारियों का मुकाबला किया।विभाग के प्रमुख प्रोफसर मुहम्मद हबीब ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हमारे विभाग के लिए यह सम्मान वाली बात है कि उन्हें ऐसे सैमीनार करवाने का मौका मिला है।दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रोफैसर सरबजिन्दर सिंह ने की और प्रिंसिपल सूबा सिंह मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए। इस सैमीनार में कुल 9 विद्वानों ने चढ़दी कला विषय पर खोज पत्र प्रस्तुत किए।