महिला शक्ति का जब भी जुबान पर नाम आता है, तो ईश्वर की सुंदर रचना का ख्यान मन में आ जाता है। महिला जो कि एक मां,पत्नी व अन्य एक सुंदर समाजिक रिश्तों को निभा कर पुरुष वर्ग को खड़ा कर देती है। महिलाएं अब समाजिक रूप में भी अब आगे आनी शुरू हो गई है। महिलाएं हर क्षेत्र में अब पुरुषों के बराबर खड़ी देखी जा रही है। आज से कुछ समय से पहले महिलाओं के सम्मान दिलवाने के लिए संघर्ष किया जा रहा है। महिला शक्ति पर हो रहे अत्याचारों को लेकर सरकारों द्वारा कानून बनाए गए तथा उनको लागू करवाने के लिए कमेटियों का गठन भी किया गया तथा कानून को लागू करवाया गया तथा महिलाओं को कुछ हद तक राहत मिली है लेकिन फिर काफी हद तक काम करना अभी बाकी है।
राजनीतिक क्षेत्र में काफी पीछे है महिलाएं
महिलाएं चाहे हर क्षेत्र में अब आगे आ गई हो लेकिन फिर अभी तक राजनीतिक क्षेत्र में काफी पीछे है महिलाएं। इसके लिए कानूनी बनाकर विधानसभा,लोकसभा व राज्यसभा में महिलाओं की संख्या बढ़ाने की बात होती है लेकिन उस पर अमल नहीं होता। जब तक इस पर अमल नहीं किया जाता तब तक महिला वर्ग का तरक्की करना और सम्मान हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।
सहनशीलता की मूर्ति महिला
महिला में दुनिया की सबसे बड़ी खूबी कहे या खासियत कही जा सकती है वह उसमें सहन करने की शक्ति। अगर दुनिया में इसको सहनशीलता की मूर्ति भी कह दिया जाए तो कोई अनकथनी नहीं होगी। परिवार में रहते हुए कई बातों को सहन करते हुए जीवन व्यतीत करना और दुनिया में अपना स्थान बनाना इसकी खासियत कही जा सकती है।
महिलाओं में जागरूकता की कमी
महिलाओं को सम्मान दिलाने में सबसे बड़ी अड़चन जागरूकता की कमी सामने आ रही है। महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में पता ही नहीं है। जब कोई दहेज प्रताड़ना या मारपीट काफी हद तक बढ़ जाती है तब जाकर महिला शक्ति जागृत होती है। पिछले होशियारपुर के नजदीकी एक गांव में एक पत्नी एक पति द्वारा इतनी बुरी तक पीटा गया कि वह कौमा में चली गई और फिर भी उसे अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए उसके परिवारिक सदस्य जूझ रहे है।
महिलाओं के एक मिसाल इन्द्रजीत कौर नदन
होशियारपुर में एक महिला इन्द्रजीत कौर नदन जिसने कि अपंगता को अपने ऊपर हावी न होने दिया तथा कई किताबें लिखी जिसके लिए उनको विशेष तौर पर कई बार सम्मानित भी किया गया। ऐसी महिलाओं से महिलाओं को शिक्षा लेकर समाजिक कार्यो व अन्य कार्यो में अपना नाम बनाना चाहिए।
जिलाधीश ईशा कालिया भी कर रही महिला शक्ति का नाम रोशन
आज से काफी समय पहले महिला को अपने घर से बाहर निकलने की तो दूर की बात कमरों से निकलने की इजाजत नहीं थी लेकिन इतने में भी कई महिलाएं पढ़ाई करके आगे बढ़ते हुए एक प्रशासनिक पदों पर आसीन हुई है। ऐसी ही एक महिला है जो कि आजकल होशियारपुर में जिलाधीश की पोस्ट पर तैनात है जिनका नाम है ईशा कालिया है। इससे भी महिलाओं को शिक्षा लेनी चाहिए कि एक महिला अगर जिलाधीश बन सकती है तो हम कोई कार्य क्यों नहीं कर सकती।
सबके सहयोग से मिल सकता है महिलाओं को सम्मान
इतना कुछ होने के बावजूद भी सभी अगर मिलजुल कर काम करें तभी जाकर महिलाओं को पूरा पूरा सम्मान मिल सकता है। उसके लिए चाहे वह प्रशासन हो, समाज हो, परिवार हो हर किसी को मिलकर सहयोग करना होगा।