प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए भाजपा के वरिष्ठ
नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी ने कभी भी उससे राजनैतिक रूप
से सहमति नहीं रखने वालों को 'राष्ट्र विरोधी' के रूप में नहीं देखा बल्कि उन्हें केवल
अपना 'विपक्षी' माना। चार साल के बाद लिखे गए अपने ब्लॉग पोस्ट में आडवाणी ने लिखा,
"भारतीय लोकतंत्र का मूल विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान है।"उन्होंने
लिखा, "अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही पार्टी ने कभी भी उन्हें अपना 'शत्रु'
नहीं माना जो उससे सहमति नहीं रखते बल्कि ऐसे लोगों को केवल अपना विपक्षी माना। इसी
तरह, भारतीय राष्ट्रवाद पर अपनी धारणा में हमने कभी उन्हें 'राष्ट्र विरोधी' नहीं माना
जो हमसे राजनैतिक रूप से असहमत होते हैं।"भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक
आडवाणी ने लिखा, "पार्टी (भाजपा) प्रत्येक नागरिक के निजी एवं राजनैतिक रूप से
चयन की स्वतंत्रता के अधिकार को लेकर प्रतिबद्ध है।"भाजपा ने इस बार आडवाणी को
लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है। वह साल 1991 से लगातार गांधीनगर सीट से सांसद
रहे हैं।उन्होंने लिखा, "मेरे जीवन को निर्देशित करने वाला सिद्धांत हमेशा से
यही रहा है कि राष्ट्र सबसे पहले, इसके बाद पार्टी और खुद सबसे आखिर में। सभी स्थितियों
में मैंने इसी सिद्धांत का पालन किया और आगे भी करता रहूंगा।"आडवाणी ने लिखा कि
पार्टी के अंदर और देशव्यापी स्तर पर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा भाजपा
की गर्वपूर्ण पहचान रही है। भाजपा हमेशा से मीडिया समेत हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों
की आजादी, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती के लिए आगे रही है।उन्होंने लिखा कि चुनाव
लोकतंत्र का पर्व है और साथ ही भारतीय लोकतंत्र के सभी पक्षों के लिए 'ईमानदार आत्मावलोकन
का अवसर भी हैं।'आडवाणी ने लिखा, "यह मेरी दिली इच्छा है कि हम सभी भारत के लोकतंत्र
को मजबूत करने के लिए मिलजुल कर प्रयास करें।"उन्होंने गांधीनगर के लोगों का
'हार्दिक आभार' जताया। उन्होंने कहा कि गांधीनगर के लोगों का स्नेह और समर्थन हमेशा
उन्हें अभिभूत करता रहा।