आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने कहा कि अटल जी ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में देश को सुशासन प्रदान किया- वे परमाणु परीक्षण के बाद देश पर लगे प्रतिबंधों, 90 के दशक के अंत में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में आर्थिक मंदी तथा सीमापार आतंकवाद के तत्कालीन परिपेक्ष्य में वाजपेयी जी द्वारा उठाये गये सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं का जिक्र कर रहे थे।सुशासन के संदर्भ में भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचार की सबसे अधिक कीमत गरीब को चुकानी पड़ती है। उन्होंने दुख व्यक्त किया कि अधिकांश भ्रष्टाचार गरीबों के नाम पर किया जाता है। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने श्री राजीव गांधी के उस वक्तव्य का उद्वहरण दिया जिसमें कहा गया था कि रूपये का मात्र 15 पैसा ही गरीब तक पहुंचता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी सहायता राशि के डाइरेक्ट बैंक ट्रांसफर से बिचौलियों द्वारा भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक नियंत्रण किया जा सका है।
उन्होंने कहा कि जनाकांक्षाओं पर खरा उतरना, विकास को सर्वस्पर्शी और समन्वयवादी बनाना ही सुशासन की कसौटी है। विमुद्रीकरण को कालेधन के विरूद्ध एक निर्भीक कदम बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद को समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसको समर्थन करने वाला कालेधन का अर्थतंत्र समाप्त किया जाय। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण और कसी हुई मौद्रिक नीति के बावजूद 7.5% की विकास दर और 3.3% तक सीमित वित्तीय घाटा देश के सराहनीय वित्तीय प्रबंधन का सराहनीय उदाहरण है।सुशासन के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास तथा सामाजिक सशक्तिकरण के लिए लागू की गयी परियोजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि श्री वाजपेयी जी ने जिस संपर्क क्रांति की शुरूआत की थी – सरकार ने उसी श्रृंखला में भारत माला, सागरमाला और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी परियोजनाओं को लागू किया है।उपराष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन के आर्थिक और सामाजिक आयाम होते हैं। आर्थिक विकास का सामाजिक संदर्भ होना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिन सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।