कांग्रेस की जम्मू एवं कश्मीर ईकाई ने रविवार को केंद्र सरकार से पूछा कि वह अब अलगाववादियों के साथ वार्ता का क्यों प्रस्ताव दे रही है, जबकि वह मुख्यधारा के राजनीतिक दलों की मांग के बाद भी तीन सालों तक वार्ता को खारिज करती रही। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष जी.ए. मीर ने कहा, “जब राज्य के मुख्यधारा के सभी दलों ने तीन साल पहले अलगाववादियों समेत सभी हितधारकों के साथ बातचीत की मांग की थी, तो केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं की जा सकती है।” उन्होंने कहा, “तीन साल पहले हम सभी की वार्ता की मांग को खारिज करने के बाद केंद्र सरकार को अब अपने ह्दय परिवर्तन के कारण का स्पष्टीकरण देना चाहिए।” उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यदि यह कदम तीन साल पहले उठाया होता तो कश्मीर में चीजें आज अलग होतीं। मीर ने यह भी कहा कि यह देखना होगा कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी का कितना समर्थन मिलता है।