सदन ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया।अधिनियम में संषोधन के कारण बताते हुए ग्रामीण विकास, पंचायती राज, विधि एवं न्याय मंत्री अब्दुल हक ने कहा कि कश्मीर घाटी में अस्पष्ट कानून और व्यवस्था/ सुरक्षा स्थिति को देखते हुए वर्ष 2016 में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव आयोजित नहीं किया जा सके और सरकार शीघ्र ही चुनाव करवाने के लिए विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग को कानून के अनुसार पंचायत हलका को निर्धारित करने और विभाजित करने के लिए अन्य बातों के साथ सशक्त किया गया है, विभिन्न कारणों से जिसे गठित नहीं किया जा सका और जनगणना 2011 की जनसंख्या और विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों की सीमा को देखते हुए, राज्य में पंचायत हलका को निर्धारित करने और विभाजित करने की आवश्यकता है जिसके लिए राज्य चुनाव आयोग के साथ कोई शक्ति विद्यमान नहीं है।
‘तदनुसार, एक आवश्यकता जम्मू और कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन करने के लिए पैदा हुई थी ताकि वांछित शक्ति प्राप्त की जा सके।’उन्होंने कहा कि विधेयक कानून में संशोधन करने का प्रयास करता है जब तक राज्य चुनाव आयोग अधिनियम के तहत गठित नहीं किया जाता है, इस अधिनियम के अनुसार पंचायत हलका को निर्वाचन करने और निर्धारित करने के लिए सभी चुनावों के साथ-साथ मतदाता सूची तैयार करने का निर्देश और नियंत्रण, मुख्य निर्वाचन अधिकारी में निहित होगा।विधायक अली मोहम्मद सागर, मुबारक गुल, नवांग रिगजिन जोरा, राजीव जसरोटिया, जीएम सरूरी ने बहस में भाग लिया और संशोधन विधेयक की जांच के लिए एक संयुक्त प्रवर समिति के गठन का सुझाव दिया है, जबकि शाह मोहम्मद तांत्रे ने विधेयक का समर्थन किया।हालांकि, सदन ने ध्वनि मत से विधेयक को पारित किया और अली मोहम्मद सागर द्वारा दिए गए संशोधनों को खारिज कर दिया।